टाटा मोटर्स ने अपने व्यवसाय को दो भागों — वाणिज्यिक वाहन यानी कमर्शियल व्हिकल (सीवी) और यात्री वाहर यानी पैसेंजर व्हिकल (पीवी), में बांटने की घोषणा की है। कंपनी के आंकलन के हिसाब से यह बहुत बड़ा कदम होगा लेकिन बाजार विश्लेषक रेंटिग एजेंसी नोमुरा ने टाटा मोटर्स के इस कदम पर बड़ा बयान दिया है। भारत में सीवी, जेएलआर और पीवी वाहनों की ठीकठाक मांग है और सभी प्रतिद्वंद्वियों का अपना मार्केट है। इसलिए टाटा मोटर्स का यह डीमर्जर प्लान कुछ खास काम नहीं कर पाएगा।
नोमुरा का अनुमान है कि मध्यम अवधि में अलग-अलग व्यवसायों को अपनी रणनीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने की स्वतंत्रता होगी। यह विश्लेषण आने वाले वर्षों में मूल्य सृजन के लिए पीवी व्यवसाय को आशापूर्ण ढंग से देखता है। टाटा मोटर्स के पीवी सेगमेंट में 2020 के बाद से एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है, जिससे वित्त वर्ष 2024 के नौंवे महीने तक इसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 13.5% हो गई है। नोमुरा इस सफलता का श्रेय कंपनी के सुरक्षा, आकर्षक डिजाइन और फीचर से भरपूर वाहनों पर फोकस को देती है।
ब्रोकरेज फर्म के अनुसार, देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के क्षेत्र में अपनी पैठ बढ़ाने के लक्ष्य के चलते टाटा मोटर्स वित्त वर्ष 2025-26 तक भारत की दूसरी सबसे बड़ी पीवी निर्माता बन सकती है। नोमुरा ने फिलहाल टाटा मोटर्स पर ₹1,057 का टारगेट प्राइस बरकरार रखा है।
वर्तमान में 70% से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ टाटा मोटर्स भारत में ईवी क्षेत्र के विकास में सक्रिय योगदान दे रही है। कंपनी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2026 तक अपने पोर्टफोलियो में 10 ईवी मॉडल पेश करना और 2030 तक अपने कुल वाहनों के उत्पादन में से 50% यानी आधे ईवी बनाना है। अगर यह योजनाएं सफलतापूर्वक क्रियान्वित की जाती हैं तो पर्याप्त मूल्य सृजन क्षमता यानी वैल्यू क्रिएशन कैपेबिलिटी हासिल की जा सकती है।
पीवी व्यवसाय का एबिटा मार्जिन 6.5% होने के बावजूद, समग्र मार्जिन नकारात्मक ईवी मार्जिन (तीसरी तिमाही में -8.2%) से प्रभावित हुआ है। नोमुरा को उम्मीद है कि समय के साथ ईवी मार्जिन में सुधार होगा, खासकर जब उत्पाद विकास लागत से होने वाला नुकसान कम हो जाएगा। इसके अतिरिक्त, सीवी व्यवसाय में बढ़ती बाजार हिस्सेदारी और बढ़ी हुई लाभप्रदता के कारण पुनः रेटिंग देखने को मिल सकती है।
एनसीएलटी व्यवस्था योजना के माध्यम से निष्पादित होने वाले डिमर्जर को 2022 में पीवी और ईवी व्यवसायों के पहले सब्सिडीकरण के बाद अगले तार्किक कदम के रूप में देखा जाता है।
डीमर्जर यानी विभाजिकरण विचार के लिए टीटीएमटी निदेशक मंडल के समक्ष पेश किया जाएगा और इसे पूरा करने के लिए शेयरधारको, लेनदारों और नियामक अधिकारियों की मंजूरी जरूरी होगी। अगर सबकुछ ठीक रहा तो प्रक्रिया पूरी होने में 12 से 15 महीने का समय लगेगा।