नई दिल्ली: कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ की स्क्रीनिंग को लेकर देश और विदेश में हंगामा मचा हुआ है. यह फिल्म 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लागू किए गए आपातकाल पर आधारित है, और इसकी स्क्रीनिंग के दौरान यूके में बवाल खड़ा हो गया है. आरोप हैं कि खालिस्तान समर्थक इस फिल्म की स्क्रीनिंग को बाधित कर रहे हैं, जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम लंदन में मास्क पहने खालिस्तान समर्थकों ने थिएटर में घुसकर फिल्म की स्क्रीनिंग को रोका और दर्शकों को धमकाया. कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने बताया कि रविवार को उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग थिएटर में फिल्म देखने गए थे, लेकिन करीब 30-40 मिनट के बाद खालिस्तानी समर्थक वहां घुस आए और धमकी देकर फिल्म की स्क्रीनिंग बंद करवा दी.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर चिंता जताई है. मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायवाल ने कहा कि भारत ने यूके से लगातार भारत विरोधी तत्वों की धमकियों को लेकर अपनी चिंताएं उठाई हैं. उन्होंने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चुनिंदा तरीके से लागू नहीं किया जा सकता. हम उम्मीद करते हैं कि यूके प्रशासन दोषियों पर उचित कार्रवाई करेगा.” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग ने सुरक्षा के लिए समुदाय के सदस्यों से संपर्क किया है.
वोल्वरहैम्प्टन, बर्मिंघम और मैनचेस्टर जैसे शहरों से भी फिल्म की स्क्रीनिंग में बाधा डालने की खबरें आई हैं. इसके परिणामस्वरूप, दो प्रमुख मूवी थिएटर चेन ने फिल्म का प्रदर्शन रोकने का निर्णय लिया है. ब्रिटिश सिख संगठनों, जैसे सिख प्रेस एसोसिएशन ने ‘इमरजेंसी’ को “सिख विरोधी” करार दिया है. उनका कहना है कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से दिखाया गया है और इससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची है. फिल्म के भारत में रिलीज से पहले सेंसर बोर्ड और कोर्ट के बीच इस मुद्दे पर कई बार विचार-विमर्श हुआ था.
सिख संगठनों ने आरोप लगाया था कि फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और इसे सिख समुदाय के खिलाफ दिखाया गया है. भारत सरकार ने भी माना था कि फिल्म में कुछ संवेदनशील सामग्री है. हालांकि, महीनों की बातचीत और तीन कट्स के बाद फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिली थी. फिल्म को अंततः 17 जनवरी को रिलीज किया गया. इस घटनाक्रम के बाद अब यह सवाल उठता है कि क्या फिल्म को लेकर उठते विवाद और विरोधों के कारण विदेशों में भी इसे प्रदर्शित करने में और मुश्किलें आएंगी.