पुलिस की थ्योरी से अलग है अंकिता भण्डारी की मौत की INSIDE स्टोरी

Global Bharat 24 Sep 2022 5 Mins 54 Views


योगी मॉडल की ये तस्वीरें उत्तराखण्ड की है, बीजेपी नेता के रिजॉर्ट पर आधी रात को बुलडोजर चला तो सुकून सबको मिला लेकिन कौन थी अंकिता भण्डारी जिसकी कहानी आपको सुननी चाहिए! कहते हैं पहाड़ पर एक वक्त ऐसा था जब थानों में कोई FIR लिखवाने वाला नहीं मिलता था, आज उसी उत्तराखण्ड में कुछ राक्षसों का जन्म हो गया तो पूरा उत्तराखण्ड इंसाफ की तरफ देख रहा है…एक तरफ थी सत्ता की ताकत, दूसरी तरफ थी सोशल मीडिया की ताकत, आख़िरकार उत्तराखण्ड CM ने जनता के साथ आने का फैसला किया? लेकिन अंकिता के साथ जो हुआ उसकी पूरी सच्चाई आपको नहीं बताई गई, हमने तमाम पड़ताल के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है, जिससे आप समझ सकते हैं आख़िर देवभूमि में राक्षसों ने किया क्या था!
तारीख थी, 22 सितंबर उस दिन शाम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देहरादून के स्टेडियम में डीजीपी अशोक कुमार के साथ बैठकर क्रिकेट का आनंद ले रहे थे, तो वहां से 50 किलोमीटर दूर ऋषिकेश में एक पिता पुलिस थाने में इंसाफ की गुहार लगा रहा था, लेकिन सत्ता का कनेक्शन ऐसा था कि पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने से बच रही थी, आखिरकार 22 सितंबर को एफआईआर हुई और 24 घंटे के भीतर तीन आरोपी पकड़े गए. अब तक ऐसा लगा कि शायद अंकिता को न्याय न मिले, लेकिन फिर जो हुआ वो एक इतिहास बन गया…कहते है हर इंसान को अपनी मौत से पहले आहट हो जाती है…अंकिता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ…अंकिता को जब लगा अब मुश्किल आने वाली है तो उसने अपने एक दोस्त को फोन लगाया, बीजेपी सरकार में राज्य मंत्री रहे विनोद आर्य का बेटा पुलकित आर्य अंकिता पर कई तरह के दबाव बनाता…वो कहता रिजॉर्ट में आने वालों के साथ वो गलत काम कर मुझे पैसा कमाकर दे…लेकिन अंकिता इसपर राजी नहीं थी…फिर एक व्हाट्सएप चैट सामने आया जो अंकिता की मौत की मुख्य वजह बना…17 सितंबर को अंकिता और पुलकित आर्य का व्हाट्सऐप चैट सामने आया..अंकिता के दोस्त का दावा है कि उसी वक्त मेरी आख़िरी बात हुई

अंकिता के दोस्त ने बताया कि 17 सितंबर को उनका कुछ चैट सामने आया था। इसके बाद विवाद बढ़ा। इसके बाद हमने उनको फोन किया था। इस पूरे मामले में जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि बाद में मैं इस बारे में सारी बात बताऊंगी। हालांकि, उन्होंने बताया कि हमको कुछ वीआईपी गेस्ट के लिए एक्स्ट्रा सर्विस लेने की मांग की जा रही है। इसके अगले दिन से वो गायब हो गई। अंकिता के दोस्त ने कहा कि मैंने 18 सितंबर की शाम 6.00 बजे उनसे बात की थी। उस समय वो रोने लगी। वो अपनी बात बता नहीं पाई। उसने कहा कि रात को मैं पूरी बात बताऊंगी। अंकिता ने मुझे बताया कि पुलकित आर्य ने पुलिस को फोन किया। वो मेरे बारे में कह रहा था कि यहां एक अश्लील लड़की है। इसको यहां से ले जाओ। शायद, उसको डराने के लिए गिरफ्तारी की धमकी दी जा रही थी। उस पर शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाया जा रहा था। पुलकित आर्य अंकिता या रिजॉर्ट के किसी अन्य स्टाफ के साथ ही शाम को बाहर जाता था। मैंने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अंकिता के दोस्त ने कहा कि रात को जब अंकिता का फोन आया तो कुछ शक मुझे हुआ…हमारे लिए ये आम बात थी, लेकिन थोड़ा-थोड़ा शक हो रहा था…हमने उससे जोर देकर पूछा कि कहां हो? वो बोली रास्ते में हूं। लोकेशन उसने नहीं बताया। मैंने उससे बात करनी शुरू कर दी। उससे पूछा कि बताओ, शाम को क्या कह रही थी? अंकिता मुझे कुछ बताना चाहती थी, लेकिन बता नहीं पा रही थी। अपने आप बोल रही थी, खाना खा लिया। ठीक हूं। मुझे कुछ गलत लगा तो हमने उसे कहा कि फोन मत काटना। थोड़ी देर बात करती रहो। हमारी बात करीब 18 मिनट 55 सेकंड हुई। आखिर में उसने एक बात कही, 'मैं फंस गई हूं'। उसके बाद उसका फोन बंद हो गया। रात करीब 8.52 बजे हमारा फोन कट हो गया था। इसके बाद पुलकित आर्य ने मुझे करीब 9.30 बजे फोन किया। वह अंकिता पर कई आरोप लगा रहा था।

अंकिता के दोस्त के बयान से साफ पता चल रहा है कि पुलकित आर्य अंकिता के साथ गलत करने की कोशिश कर रहे थे और इसमें रिजॉर्ट का मैनेजर सौरभ भास्कर और अंकित ऊर्फ पुलकित गुप्ता उसका साथ दे रहा था. जबकि उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार कुछ अलग दावा कर रहे हैं.

18 सितंबर की शाम अंकिता और पुलकित में झगड़ा हुआ, तब पुलकित ने कहा कि इसे ऋषिकेश लेकर चलते हैं, वहां जाकर सबने शराब पी, गुस्सा इस बात को लेकर था कि अंकिता उन्हें बदनाम कर रही थी, वो रिजॉर्ट में चलने वाले गलत धंधे का खुलासा करने वाली थी, इसी को लेकर लड़ाई हुई और फिर उसे गुस्से में धक्का दे दिया.
दोनों के बयान में एक बात तो कॉमन है कि इन तीनों आरोपियों ने ही अंकिता के साथ खेल किया है. पुलकित आर्य के पिता विनोद आर्य उत्तराखंड के राज्यमंत्री रहे हैं, ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और यूपी के सह प्रभारी भी हैं, इसके अलावा विनोद आर्य के भाई अंकित आर्य भी बीजेपी के बड़ नेता हैं, इसलिए पुलिस पुलकित पर हाथ डालने से डर रही थी लेकिन योगी के घर में बेटी के साथ अन्याय हो और योगी चुप रहें ऐसा नहीं हो सकता. इसीलिए आरोपियों की गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर ही धामी को वहां बुलडोजर भेजना पड़ा, हालांकि कुछ लोग कह रहे हैं बुलडोजर भेजकर धामी सरकार ने गलती कर दिया, ऐसे रिजॉर्ट में रखे सबूत मिट सकते हैं और अगऱ ऐसा हुआ तो फिर ये आरोपी सबूत के अभाव में छूट भी सकते हैं. लेकिन मोदी-योगी के रहते ये संभव नहीं लगता. बीजेपी ने दोनों नेताओं को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निकाल दिया है. ये कार्रवाई इसलिए भी जरूरी थी क्योंकि अंकिता केस को लेकर लोगों का गुस्सा चरम पर है. जब पुलिस तीनों आरोपियों को कोटद्वार पेशी के लिए ले जा रही थी तभी कोडिया नाम की जगह पर महिलाओं ने घेर लिया और आरोपियों को तब तक पीटा जब तक उनका गुस्सा शांत नहीं हो गया. हालांकि ऐसे राक्षसों के लिए ऐसी सजा भी कम है.

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