सुल्तानपुर में वरूण गांधी अपनी मां मेनका गांधी के लिए चुनावी रैली में पहली बार दिखे. चुनाव में BJP ने उन्हें प्रचार के लिए नहीं भेजा था वरूण खुद से गए. इस दौरान वरूण ने वो किया जिसका अंदाजा नहीं था, जिसके बाद दावा किया जा रहा है कि वरूण गांधी को समझ में आ गया है कि मोदी ही आ रहे हैं इसलिए उन्होंने किसानों, नौजवानों की बात भूलकर ये कहने लगे मेरी किसी से दुश्मनी नहीं है?
इस दौरान वरूण गांधी का साफ इशारा था मैं किसी और के लिए नहीं अपनी मां के लिए आया हूं. वरुण गांधी इसके आगे ये भी कहते हैं कि आज देश में सुल्तानपुर का नाम पहली पंक्ति में लिया जाता है.
मतलब वो अपनी मां के कार्यकाल में हुए विकास की बात तो करते हैं पर साथ में मोदी-योगी राज में हुए विकास की बात को भी कबूल करते हैं, तो सवाल उठता है कि क्या टिकट कटने के बाद वरुण गांधी के तेवर बदल गए हैं.
दावा यह भी किया जा रहा है कि वरुण गांधी अब सियासत समझ चुके हैं. वे समझ चुके हैं कि ट्विटर और सोशल मीडिया पर जो लोग तारीफ कर रहे थे, वो लोग असली हितैषी नहीं हैं. बल्कि असली हितैषी पार्टी होती है, वो पार्टी जिसे कई नेता मां के समान मानते हैं.