नई दिल्ली: बिहार के हाई-स्टेक चुनावों के पहले चरण में रिकॉर्ड 64.66% मतदान हुआ है. यह 2020 के 56.1% से 8.5 प्रतिशत अधिक है. इस रिपोर्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस उछाल को अपने पक्ष में बता रहे हैं. दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को आएंगे.
गुरुवार को 18 जिलों के 121 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ, जहां कार्यदिवस होने के बावजूद 3.75 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया. यह लगभग दो-तिहाई भागीदारी है. 2020 के विधानसभा चुनावों में पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान हुआ था, जहां 3.70 करोड़ पात्र मतदाताओं में से 2.06 करोड़ ने वोट डाले थे. पारंपरिक रूप से, उच्च मतदान को सत्ता-विरोधी लहर का संकेत माना जाता है. हालांकि, यह सिद्धांत पूर्ण रूप से सटीक नहीं है. कभी-कभी यह सत्ता-समर्थक उत्साह को भी दर्शाता है.
बिहार के चुनावी इतिहास से पता चलता है कि जब भी मतदान में 5% से अधिक की वृद्धि हुई है, तो सरकार बदल गई है. 1967 में मतदान 1962 के 44.5% से बढ़कर 51.5% हो गया – 7 प्रतिशत अंकों की वृद्धि. तब कांग्रेस पहली बार सत्ता से बाहर हुई और गैर-कांग्रेसी दलों का गठबंधन सत्ता में आया. 1980 में मतदान लगभग 7% बढ़ा (1977 के 50.5% से 57.3%). इससे जनता पार्टी सरकार गिरी और कांग्रेस की वापसी हुई. फिर 1990 में मतदान 56.3% से 62% हो गया – 5.8% की बढ़ोतरी.
कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई और लालू प्रसाद यादव की जनता दल सत्ता में आई .2005 में हालांकि मतदान 16% गिरा, लेकिन फिर भी सत्ता परिवर्तन हुआ और जद(यू) के नीतीश कुमार पहली बार सत्ता में आए. अब, रिकॉर्ड 8.5% की उछाल के साथ राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या इतिहास दोहराएगा.
पहले चरण में मतदान वाली अधिकांश सीटें गंगा के दक्षिण में हैं, जो अक्सर बिहार की राजनीति की नब्ज तय करती रही हैं. इसमें मिथिलांचल, कोसी, मुंगेर, सारण और भोजपुर क्षेत्र शामिल हैं. 2020 चुनावों में इन 121 सीटों पर मुकाबला कांटे का था. महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और वाम दल) ने 61 सीटें जीतीं, जबकि एनडीए ने 59.
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद सबसे बड़ी पार्टी बनीं और 42 सीटें जीतीं, उसके बाद भाजपा (32), जद(यू) (23) और कांग्रेस (8). वाम दलों ने मिलकर 11 सीटें जीतीं, जबकि छोटे दल जैसे वीआईपी, एलजेपी आदि ने बाकी साझा कीं. हालांकि, इस बार गठबंधन बदल गए हैं. 2020 में अकेले लड़ने वाले चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा अब एनडीए में वापस हैं.