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नई दिल्ली: जेपी नड्डा का उत्तराधिकारी कौन होगा, बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठेगा, ये सवाल लंबे वक्त से चर्चा में है, कई दावेदार भी बीजेपी के सामने हैं, लेकिन अब जो फाइनल ख़बर सामने आई है, वो साफ बता रही है बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी सुषमा स्वराज जैसी तेजतर्रार नेता को मिलने जा रही है. बीजेपी को पहली महिला अध्यक्ष मिलने जा रही है, खास बात ये है कि जिनका नाम इस रेस में पहले नंबर पर हैं, वो दक्षिण भारत के बड़े राजनीतिक घराने से तालुल्क रखती हैं. इनके पिता एनटी रामाराव का जहां साउथ की सियासत में बड़ा नाम है, तो वहीं इनके जीजा चंद्रबाबू नायडू अभी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. खुद वो लगातार तीन बार से सांसद हैं. नाम है डी पुरंदेश्वरी.
इंडियन एक्सप्रेस अपनी रिपोर्ट में लिखता है ''15 से 16 मार्च तक बीजेपी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान करने वाली है. दक्षिण के लोगों को मजबूत संदेश देने के लिए महिला नेता को पार्टी की कमान देने पर विचार किया जा रहा है. आंध्र प्रदेश से सांसद दग्गुबती पुरंदेश्वरी का नाम जहां इस लिस्ट में पहले नंबर पर है, तो वहीं दूसरे नंबर पर कोयंबटूर से विधायक वनथी श्रीनिवासन का नाम है.''
यहां डी पुरंदेश्वरी का पलड़ा इसलिए भी भारी है, क्योंकि इनकी संगठनात्मक क्षमता और भाषण देने की शैली बिल्कुल सुषमा स्वराज की तरह है. विरोधियों को अपने जवाब से जहां पस्त कर देती हैं, तो वहीं संगठन संभालने की प्रतिभा भी इनके अंदर कूट-कूटकर भरी है. सनातन प्रेम तो ऐसा है कि महाकुंभ में स्नान के लिए आती हैं, मंदिरों में दर्शन-पूजा करती हैं, और तेलंगाना की माध्वी लता की तरह हिंदुत्व का झंडा हर कदम पर बुलंद करती हैं.
कहा ये तक जाता है कि जनता से जुड़े मुद्दे ये जिस हिसाब से उठाती हैं, उसकी वजह से लोग इन्हें खूब पसंद भी करते हैं. कुछ दिनों पहले ही संसद में साइबर क्राइम से जुड़ा ऐसा मुद्दा उठाया. बीजेपी ही नहीं बल्कि विपक्ष के बड़े-बड़े नेता से लेकर आम जनता तक इनकी बातों से सहमत नजर आए.
अब चूंकि अगले साल तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, और साउथ में लंबे वक्त से बीजेपी अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी है. इसलिए डी पुरंदेश्वरी को अध्यक्ष बनाकर बीजेपी एक तीर से दो निशाने साध सकती है, ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि क्या दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष का पद ये संभाल पाएगी.
कौन हैं डी पुरंदेश्वरी
64 साल की पुरंदेश्वरी चेन्नई से पढ़ी-लिखी हैं, साल 2004 में ये कांग्रेस में शामिल हुईं, पर 2014 में अलग तेलंगाना राज्य बनने से दुखी होकर पार्टी छोड़ दी, और बीजेपी में शामिल हो गईं. महिला मोर्चा की प्रभारी बनीं, ओडिशा-छत्तीसगढ़ का प्रभार मिला, उसके बाद आंध्र प्रदेश बीजेपी की भी अध्यक्ष बनीं, जो ये बताता है कांग्रेस से आकर हिमंत बिस्वा सरमा की तरह ये मोदी-शाह की भरोसेमंद बन गईं.
फिलहाल इनके कंधों पर आंध्र प्रदेश में बीजेपी को मजबूत करने की जिम्मेदारी है, सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता, जीजा-साली की सियासी लड़ाई अगर निर्णायक मोड़ पर पहुंचती है तो फिर बीजेपी को न सिर्फ आंध्र प्रदेश बल्कि पूरे दक्षिण भारत में बंपर फायदा मिल सकता है. अध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलेगी इस पर फाइनल फैसला पीएम मोदी को लेना है, लेकिन जिस हिसाब से पीएम मोदी महिलाओं को लेकर योजनाएं लॉन्च कर रहे हैं, उन्हें सियासत में भागीदारी देने का न सिर्फ राग छेड़ रहे हैं, बल्कि महिला आरक्षण बिल सदन में पेश भी किया, वो साफ बताता है बीजेपी इस बार महिला अध्यक्ष बना सकती है, और इस रेस में डी पुरंदेश्वरी का नाम सबसे पहले होगा.
इसके बाद बीजेपी ये कह सकेगी कि हमने न सिर्फ दिल्ली में रेखा गुप्ता के रूप में महिला मुख्यमंत्री दिया, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान भी एक योग्य महिला के हाथों में सौंप दी है. हालांकि ये दांव नुकसान देगा या फायदा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा, आपके हिसाब से बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी किसे मिलनी चाहिए, कमेंट कर अपनी राय जरूर दें.