भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा था, हालांकि नतीजों में पार्टी को निराशा हाथ लगी। लेकिन इन नतीजों से निराश होकर बैठने के बजाय बीजेपी दोगुनी तैयारी के साथ आगामी राज्य विधानसभा चुनावों की तैयारी में लग गई है। इसकी शुरुआत की पार्टी ने अलग अलग राज्यों के लिए नए प्रभारी की नियुक्ति के साथ, जिनका मकसद चुनावी सफलता हासिल करना है।
महाराष्ट्र में, भाजपा ने भूपेंद्र यादव को प्रभारी और अश्विनी वैष्णव को सह-प्रभारी नियुक्त किया है। भूपेंद्र यादव एक अनुभवी नेता हैं और उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। अश्विनी वैष्णव, जो एक सक्षम रणनीतिकार माने जाते हैं, इनके सहारे बीजेपी महाराष्ट्र में खुद को मजबूत करने की कोशिश करेगी।
झारखंड में, भाजपा ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा को जिम्मेदारी सौंपी है। शिवराज सिंह चौहान, जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, उनके पास अच्छा -खासा अनुभव है और उन्होंने अपने राज्य में भाजपा को कई चुनावों में जीत दिलाई है। वहीं हिमंता बिस्वा सरमा, असम के मुख्यमंत्री और एक कुशल रणनीतिकार हैं. ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि दोनों एक साथ मिलकर झारखंड में भाजपा की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
हरियाणा में, भाजपा ने धर्मेंद्र प्रधान और बिप्लब देब को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। धर्मेंद्र प्रधान, जो एक प्रमुख नेता हैं और विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्यभार संभाल चुके हैं, और बिप्लब देब, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं, दोनों की जोड़ी हरियाणा में भाजपा को बढ़त दिलाने के लिए काम करेगी।
जम्मू और कश्मीर के लिए, भाजपा ने जी. किशन रेड्डी को प्रभारी नियुक्त किया है। जी. किशन रेड्डी, जो केंद्रीय मंत्री हैं और उनके पास प्रशासनिक कार्यों का गहन अनुभव है, को जम्मू और कश्मीर में पार्टी की पकड़ मजबूत करने की जिम्मेदारी दी गई है।
भाजपा की यह रणनीति दिखाती है कि पार्टी अपनी पिछली गलतियों से सबक ले रही है और आगामी चुनावों के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर रही है।
इस तरह की नियुक्तियां और रणनीतिक बदलाव पार्टी की चुनावी तैयारी में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इन राज्यों में कैसे प्रदर्शन करती है। विधानसभा चुनावों में पार्टी की यह नई टीम क्या परिणाम लाएगी, यह समय ही बताएगा, लेकिन एक बात साफ़ है कि भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में कोई कसर नहीं छोड़ी है।