वफ्क बिल के बाद एक और धमाका करने की तैयारी, मोदी-शाह की शह पर योगी रचेंगे चक्रव्यूह!

Rahul Jadaun 04 Apr 2025 12:56: PM 4 Mins
वफ्क बिल के बाद एक और धमाका करने की तैयारी, मोदी-शाह की शह पर योगी रचेंगे चक्रव्यूह!

नई दिल्ली: देश में वक्फ बिल पर हंगामा मचा हुआ है. लेकिन बीजेपी ने एक और बड़ा बम फोड़ने की तैयारी कर ली है. जिसका नाम है वर्शिप एक्ट. अब इसी एक्ट के सहारे मथुरा से लेकर अजमेर तक बड़ा एक्शन होने वाला है. जिसकी कमान योगी आदित्यनाथ संभालेंगे. मंदिरों को तोड़ कर बनाई गई मस्जिदों और मदरसों पर बुल्डोजर एक्शन होगा! इसके लिए जल्द ही वर्शिप एक्ट को खत्म किया जाएगा. देश के मंदिरों को मुक्त करने की मुहिम में बीजेपी-आरएसएस लगातार आगे बढ़ती जा रही है. और इस रास्ते पर बढ़ने के लिए सबसे पहले वर्शिप एक्ट नाम के स्पीड ब्रेकर को तोड़ना बेहद जरूरी है. वर्शिप एक्ट को खत्म क्यों करना जरूरी है ये जानने के लिए पहले इस एक्ट को जानना चाहिए. 

GFX IN क्या है वर्शिप एक्ट ?

वर्शिप एक्ट को 18 सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने बनाया था. 15 अगस्त 1947 से पहले बने पूजा स्थलों के धार्मिक स्वरूप से छेड़छाड़ ना करने का आदेश ये कानून देता है. पूरे देश में सिर्फ जम्मू-कश्मीर को छोड़ कर ये लागू है. वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले बने किसी भी पूजा स्थल को दूसरे धर्म द्वारा बदला नहीं जाएगा, अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना और 3 साल तक की जेल भी हो सकती है.

राम मंदिर विवाद के बीच कांग्रेस लाई थी वर्शिप एक्ट

वर्शिप एक्ट को देश में उस समय लागू किया गया था जब अयोध्या राम मोंदिर का मुद्दा चल रहा था... उसी समय कांग्रेस की पीवी नरसिम्हा राव सरकार इसे लेकर आई थी... लेकिन इसमें सबसे खास बात ये थी कि राम मंदिर को वर्शिप एक्ट से अलग रखा गया था… यही वजह थी कि कानून बनते ही विवादों में आ गया था... राम मंदिर समर्थकों का कहना था कि अयोध्या को इससे अलग क्यों रखा गया है.... लोगों का तो ये भी मानना था कि राम मंदिर ना बन सके इसी लिए नरसिम्हा राव सरकार ये कानून लेकर आई....

 

इस कानून की खास बातें

यह कानून, किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदलने पर रोक लगाता है.

इस कानून के तहत, किसी भी स्मारक के धार्मिक आधार पर रखरखाव पर भी रोक है.

इस कानून में यह प्रावधान है कि धार्मिक स्थल में बदलाव को लेकर अगर कोई विवाद होता है, तो फैसला देते समय 15 अगस्त, 1947 की स्थिति पर विचार किया जाएगा.

अगर कोई इस कानून का उल्लंघन करने का प्रयास करता है, तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है.

इस कानून में मान्यता प्राप्त प्राचीन स्मारकों पर धाराएं लागू नहीं होंगी.

हिन्दुओं ने किया विरोध

वर्शिप एक्ट की इन्हीं बातों का हिंदुओं पर उल्टा प्रभाव पड़ा... उन्हें लगा कि इस कानून की मदद से उनके धार्मिक स्थलों को वापस लेने का रास्ता बंद किया जा रहा है... और यही वजह रही कि लगातार हिंदुओं ने वर्शिप एक्ट को खत्म करने की मांग उठाना शुरू कर दिया... तो दूसरी तरफ AIMIM समेत कई मुस्लिम संगठनों ने वर्शिप एक्ट को सख्ती के साथ लागू करन की मांग उठाई... और ये मामला कोर्ट में पहुंचा... सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक्ट को चुनौती दी जाती है... बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय, सुब्रमण्यम स्वामी और कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर समते कई लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं... ये लोग प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करते हैं... इनका दावा है कि ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 पूरी तरह हिन्दुओं के खिलाफ है. ये एक असंवैधानिक कानून है जिसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए’

सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई

इस मामले की सुनवाई CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने की। याचिका में एक्ट की धारा 4(2) को चुनौती दी गई थी। जो किसी स्थान के धार्मिक चरित्र को बदलने की कार्यवाही पर रोक लगाती है। आखिरी बार इस मामले पर सुनवाई 12 दिसंबर 2024 को हुई थी... जिसमें बैंच ने कहा था  हम इस कानून के दायरे, उसकी शक्तियों और ढांचे को जांच रहे हैं, ऐसे में यही उचित होगा कि बाकी सभी अदालतें अपने हाथ रोक लें. इस सुनवाई के दौरान CJI ने कहा था कि हमारे सामने 2 मामले हैं, मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद.. तभी हिंदू पक्ष कोर्ट को बताता है कि ऐसे 18 से ज्यादा मामले लंबित हैं... जिसमें 10 मस्जिदों से जुड़े हैं.. जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार से अपना पक्ष रखने के लिए कहता है... और जब मामला केंद्र के पास है, तो किसी भी हाल में मोदी-शाह इस मौके पर चूकना नहीं चाहेंगे... क्योंकि बीजेपी भी इस एक्ट को खत्म करने के पक्ष में रही है... और अब वक्फ बोर्ड बिल पास करने के बाद केंद्र ने ये इशारा भी दे दिया है कि अगला नंबर वर्शिप एक्ट 1991 का है...

यूपी में दिखेगा सबसे ज्यादा असर!

इस एक्ट को खत्म करते ही यूपी में सबसे बड़ा असर देखने को मिलेगा,,, क्योंकि सबसे ज्यादा विवादित मामले उत्तर प्रदेश में ही हैं.... और वहां की योगी सरकार जल्द से जल्द इन मामलों को निपटाना चाहती है... योगी के सनातनी पक्ष को हर कोई जानता है... योगी का हिंदुत्व ही तो है जो सम्भल में सनातन की खोज हो रही है... ऐसे में योगी आदित्यनाथ वर्शिप एक्ट खत्म होते ही अतिक्रमण के इतिहास को मटियामेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे...

 

 

The Places of Worship Act 1991 Preparations underway to repeal Places of Worship Act 1991 naresndra modi yogi adityanath

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