नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी के पूर्व नेता आकाश आनंद ने रविवार को पार्टी सुप्रीमो और अपनी बुआ मायावती से पार्टी में वापस लेने की गुहार लगाई. एक्स पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में आकाश ने कहा कि मायावती उनकी एकमात्र राजनीतिक गुरु हैं और दावा किया कि वह अपने रिश्तेदारों, खासकर अपने ससुराल वालों को बाधा नहीं बनने देंगे. आकाश ने कहा कि मैं बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, यूपी की चार बार मुख्यमंत्री और कई बार लोकसभा और राज्यसभा की सांसद रहीं आदरणीय बहन जी मायावती को अपना एकमात्र राजनीतिक गुरु और आदर्श मानता हूं. आज मैं यह संकल्प लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित के लिए मैं अपने रिश्तेदारों और खासकर अपने ससुराल वालों को बाधा नहीं बनने दूंगा.
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, मैं कुछ दिन पहले किए गए अपने ट्वीट के लिए भी माफी मांगता हूं, जिसके कारण आदरणीय बहन जी ने मुझे पार्टी से निकाल दिया है. अब से मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि अपने किसी भी राजनीतिक फैसले के बारे में किसी भी रिश्तेदार या सलाहकार से कोई सलाह न लूं. मैं आदरणीय बहन जी से अपील करता हूं कि मेरी सभी गलतियों को माफ करें और मुझे फिर से पार्टी में काम करने का मौका दें, इसके लिए मैं उनका हमेशा आभारी रहूंगा. साथ ही, मैं भविष्य में ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा, जिससे पार्टी और आदरणीय बहन जी के स्वाभिमान और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचे.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कुछ महीने पहले ही अपने भतीजे को हटाकर उनके पिता आनंद कुमार और राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया था. उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपने जीवनकाल में किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं बताएंगी. उन्होंने आकाश पर अपने ससुर के प्रभाव में रहने का आरोप लगाया गया था, जिसे पार्टी के हित से ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता था.
मायावती ने कहा था कि कल बीएसपी की अखिल भारतीय बैठक में आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक सहित सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया गया, क्योंकि उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ने उन पर लगातार प्रभाव डाला हुआ था, जिसे पार्टी के हित से ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया था. उनसे पश्चाताप और परिपक्वता दिखाने की उम्मीद थी. हालांकि, इसके विपरीत, आकाश द्वारा दिया गया लंबा और विस्तृत जवाब उनके पश्चाताप और राजनीतिक परिपक्वता को नहीं, बल्कि उनके ससुर के स्वार्थी, अहंकारी और गैर-मिशनरी प्रभाव को दर्शाता है - जिससे बचने के लिए मैंने पार्टी सदस्यों को लगातार सलाह दी है और दंडित भी किया है.
निष्कासन के बाद आनंद ने कहा था कि वह मायावती के फैसले का सम्मान करते हैं और उसके साथ खड़े हैं. उन्होंने इस बड़े घटनाक्रम को व्यक्तिगत रूप से भावनात्मक बताया और कहा कि मायावती का हर फैसला पत्थर की लकीर की तरह होता है. उन्होंने कहा था कि मैं परम आदरणीय बहन मायावती जी का कैडर हूं और उनके नेतृत्व में मैंने त्याग, निष्ठा और समर्पण के अविस्मरणीय सबक सीखे हैं.
उन्होंने कहा था कि ये सब मेरे लिए सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य है. आदरणीय बहन जी का हर फैसला मेरे लिए पत्थर की लकीर है. मैं उनके हर फैसले का सम्मान करता हूं और उस फैसले पर कायम हूं. इससे पहले पिछले साल 7 मई को मायावती ने परिपक्वता की कमी के कारण आकाश को बर्खास्त कर दिया था. बाद में 26 जून को उन्हें दोनों भूमिकाओं में बहाल कर दिया गया था.