समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर अयोध्या बलात्कार (Ayodhya Rape Case) की घटना का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया. यादव ने सोमवार को कहा कि भाजपा चुनाव से पहले साजिश शुरू करना चाहती है. पहले दिन से ही उनका उद्देश्य समाजवादियों को बदनाम करना रहा है. उनकी मानसिकता, खासकर मुसलमानों के प्रति, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. अयोध्या में 12 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले का जिक्र करते हुए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पिछली टिप्पणी का बचाव किया और पूछा कि आरोपियों का डीएनए टेस्ट कराने में क्या गलत है.
यादव ने पहले कहा था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 2023 में कानून में संशोधन किया है और सात साल से अधिक की सजा वाले किसी भी प्रावधान के लिए डीएनए टेस्ट अनिवार्य किया है. अखिलेश यादव ने कहा कि यह उनका (यूपी सरकार का) संशोधित कानून 2023 है जिसमें कहा गया है कि अगर किसी के लिए सात साल से अधिक की सजा का प्रावधान है तो डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए, फिर इस मांग में क्या गलत है और उनके परिवार के सदस्य भी कह रहे हैं और पुलिस सच्चाई जानती है. वे कितना भी करें, जनता को उनसे कोई उम्मीद नहीं है.
अयोध्या गैंगरेप की घटना के अलावा यादव ने दो और उदाहरण दिए उन्होंने कहा कि भाजपा ने समाजवादी पार्टी को बदनाम करने के लिए काम किया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए सपा प्रमुख ने कहा कि अगर कोई 'योगी' लोकतंत्र और संविधान में विश्वास नहीं रखता है, तो वह 'योगी' नहीं हो सकता. यादव ने कहा कि पहली घटना हाथरस की है, जिसमें भाजपा विधायकों और नेताओं ने एक साधु के कार्यक्रम की अनुमति के लिए पत्र लिखा था. लेकिन प्रशासन ने ठीक से व्यवस्था नहीं की और परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई.
दूसरी बात, आपने गोमती नगर में देखा होगा, पुलिस ने पूरी सूची दी थी लेकिन सीएम और भाजपा की सरकार चाहती है कि पुलिस भाजपा की कार्यकर्ता बन जाए. जब पुलिस ने सभी नामों की सूची दी थी, तो सीएम ने केवल यादवों और मुसलमानों का नाम क्यों लिया? जिस यादव का नाम लिया गया था, सुनने में आ रहा है कि वह कैमरे की फुटेज में नहीं था. वह चाय पीने गया था और पुलिस को कोई यादव मिल गया, इसलिए उसे जेल भेज दिया गया.
सपा प्रमुख ने कहा कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि ऐसे लोग जो कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और भाजपा के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे हैं, जब भी (SP) सरकार आएगी, ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी और तीसरा उदाहरण अयोध्या का है. इस बीच फैजाबाद (अयोध्या) से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि यह घटना बेहद शर्मनाक है. समाजवादी पार्टी पीड़िता के साथ खड़ी है. जो भी आरोपी है उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, आरोपियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि पार्टी ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर उसे जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट देने को कहा है, रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. प्रसाद ने आगे सरकार से बलात्कार पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की. समाजवादी पार्टी की मांग है कि सरकार पीड़िता और उसके परिवार को सुरक्षा मुहैया कराए और उन्हें कम से कम 20 लाख रुपये दिए जाएं. इससे पहले रविवार को अखिलेश यादव ने अदालत से मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए अयोध्या बलात्कार पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया था. एक्स पर एक पोस्ट में अखिलेश ने कहा था कि सरकार को बलात्कार पीड़िता के लिए सर्वोत्तम चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करनी चाहिए. लड़की के जीवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है.
मैं माननीय न्यायालय से विनम्र अनुरोध करता हूं कि मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए स्थिति का स्वतः संज्ञान लें और अपनी निगरानी में पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करें. अयोध्या में 12 वर्षीय बच्ची के साथ दो लोगों ने कथित तौर पर दुष्कर्म किया. इस मामले में बेकरी मालिक मोइद खान और उसके कर्मचारी राजू खान को 30 जुलाई को पूराकलंदर इलाके से गिरफ्तार किया गया था. खान के खिलाफ पीड़िता के परिवार को मामले में समझौता करने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया था. उसे दो महीने से अधिक समय तक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में गुरुवार को गिरफ्तार किया गया. खान और उसके घरेलू सहायक पर अयोध्या में खान के घर पर दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करने वाली 12 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और उसे ब्लैकमेल करने का आरोप है.
शनिवार को अयोध्या प्रशासन ने मोइद खान की बेकरी को ध्वस्त कर दिया एक्स पर पिछली पोस्ट में अखिलेश यादव ने कहा था कि दुष्कर्म के मामले में आरोपियों का डीएनए टेस्ट कराकर न्याय का रास्ता निकाला जाना चाहिए, न कि केवल आरोप लगाकर राजनीति करने से. जो भी दोषी हो उसे कानून के मुताबिक पूरी सजा मिलनी चाहिए, लेकिन अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित होते हैं तो इसमें शामिल सरकारी अधिकारियों को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए, यही न्याय की मांग है.