बरेली की एक दलित लड़की, अपने घर से जनसेवा केन्द्र के लिए निकलती है, वहां से काम निपटाकर जैसे ही वापस लौटने लगी, भरे बाजार चार लड़कों ने उसे घर लिया. आमिर ने सीने पर हाथ मारा, फैजान ने उसका हाथ पकड़ा और अरमान ने ये तक कहा कि हमें हिंदुस्तान को बांग्लादेश बनाना है, तुम मेरी बात मान लो, वो लड़की घबराकर इधर-उधर भागती है. तभी सलीम अपनी जेब से कट्टा निकालता है और हवा में फायर कर देता है, जिसे देखकर वो डर जाती है. आसपास मौजूद किसी तरह उसे काबू करते हैं और पुलिस के हवाले कर देते हैं.
उधर लड़की किसी तरह भागकर अपने घर पहुंचती है और उसके बाद जो होता है, उसकी उम्मीद आप सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही कर सकते हैं. पश्चिम बंगाल या केरल में कोई लड़की ऐसा सोच भी नहीं सकती. वो लड़की थाने जाकर मुकदमा लिखवाती है. दारोगा आरोपियों की तलाश के लिए टीम बनाते हैं, एक आरोपी घटना के कुछ घंटे बाद ही गिरफ्तार कर लिया जाता है, जबकि तीन आरोपी फरार होते हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जगह-जगह दबिश देती है.
पुलिस के सामने चुनौती ये थी कि इतनी सुरक्षा व्यवस्था के बाद भी भरे बाजार में कोई कट्टा लेकर कैसे घूम रहा है. क्या उसके साथ कुछ और लोग भी हैं, जो पाकिस्तान के इशारे पर हिंदुस्तान को बांग्लादेश बनाने की साजिश रच रहे हैं. पुलिस पूरी तैयारी के साथ जब आरोपियों का लोकेशन ट्रेस कर पहुंचती है, तो पता चलता है, ये जोश में कही हुई बात थी, इनके साथ इनका कोई आका वहां मौजूद नहीं था. पर इसके बाद से तीन बड़े सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
सवाल नंबर 1- क्या लड़की के साथ मामला सिर्फ छेड़छाड़ का था, और बांग्लादेश वाली कहानी केस को बड़ा करने के लिए जोड़ दी गई?
सवाल नंबर 2- अगर भारत का माहौल बिगाड़ने की साजिश ये लोग रच रहे हैं, तो इनका आका कहां है, उसकी गिरफ्तारी कब तक होगी?
सवाल नंबर 3- पुलिस ऐसे आरोपियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन लंगड़ा क्यों चलाती है, जबकि बड़े आरोपी सही-सलामत अरेस्ट होते हैं?
इन चारों आरोपियों के घरवाले अपने लड़कों को बेकसूर बता रहे हैं, पर बेकसूर तो वो हर परिवार अपने घरवालों को बताता है, जो लड़की के साथ गलत करता है. चाहे वो मोईद खान का परिवार हो या नवाब सिंह यादव का. योगी का आदेश साफ है जो बहन-बेटी के साथ गलत करेगा, यमराज उसका अगले चौराहे पर इंतजार करेंगे.
ये सजा मनचलों के मन में खौफ पैदा करने के लिए है, लेकिन ये खौफ यूपी में तो है, पर बंगाल जैसे राज्य की हालत ये है कि वहां 10 दिन बाद भी एक लड़की को इंसाफ नहीं मिल पाता, जबकि योगीराज में सिर्फ 10 घंटे के भीतर योगी की पुलिस न सिर्फ लड़की को इंसाफ दिलाती है, बल्कि सीधे तौर पर ये मैसेज देती है कि जो भी ऐसा करेगा, उसकी जगह सलाखों के पीछे होगी. हालांकि चारों नाम सुनने के बाद कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि आरोपी एक खास तबके से हैं, इसिलिए एक्शन इतना तेज हुआ.