प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 29 जून 2025 को भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हंगामे और हिंसा के बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए 51 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. यह घटना तब शुरू हुई जब भीम आर्मी के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद को पुलिस ने करछना तहसील के इसौटा गांव में जाने से रोक दिया. चंद्रशेखर एक हत्या और बलात्कार के पीड़ित परिवारों से मिलने जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उन्हें सर्किट हाउस में ही रोक लिया. इससे नाराज कार्यकर्ताओं ने जमकर उत्पात मचाया, जिसके बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, 29 जून को करछना के इसौटा गांव में भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने चंद्रशेखर को रोके जाने के विरोध में सड़क जाम कर दी, पुलिस वाहनों और निजी गाड़ियों पर पथराव किया, और दो मोटरसाइकिलों को आग के हवाले कर दिया. इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए, और एक डायल 112 वाहन सहित अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचा. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कार्यकर्ताओं को पुलिस पर पथराव करते और वाहनों को तोड़ते देखा गया. इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत पैदा कर दी, और कई आम नागरिक भी भगदड़ में चोटिल हो गए.
30 जून को पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर 51 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. यमुना नगर के उप पुलिस आयुक्त विवेक चंद्र यादव ने बताया कि पथराव और तोड़फोड़ में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है, और उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी संपत्ति को नुकसान की भरपाई के लिए आरोपियों की संपत्ति जब्त की जाएगी. गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को पुलिस हिरासत में लेने के बाद उनसे माफी मंगवाई गई, और कई ने अपनी गलती स्वीकार की.
आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार चिट्टोड ने इन आरोपों से इनकार किया कि हिंसा में शामिल लोग उनके कार्यकर्ता थे. उन्होंने दावा किया कि यह एक सुनियोजित साजिश थी ताकि कौशांबी और करछना की घटनाओं से ध्यान हटाया जाए. दूसरी ओर, चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी संविधान में विश्वास रखती है और हिंसा में शामिल नहीं होती. उन्होंने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है.
यह घटना उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर चल रही बहस को और गर्म कर रही है. विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया है कि यह कार्रवाई दलित समुदाय के खिलाफ है. वहीं, पुलिस का कहना है कि यह कदम कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. इस घटना ने स्थानीय समुदाय में तनाव बढ़ा दिया है, और पुलिस ने क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात कर स्थिति को नियंत्रित किया है.