उत्तर प्रदेश का बदायूं 19 मार्च को एक बार फिर उस वक्त देश-दुनिया में सुर्खियों आ गया। जब आरोपी साजिद व जावेद ने आयुष और आहान दो नाबालिग सगे भाईयों को उनके घर में घुसकर बेहरमी से धारदार हथियार से काट-काट कर मौत की नींद सुला दिया। वही किसी तरह तीसरा भाई बच गया। हालांकि आरोपी साजिद ने उस पर भी हमला बोला उसके हमले में वो घायल हो गया था।
इस पूरी मर्डर मिस्ट्री की बात की जाए तो इस केस से जुड़े लोगों के अलग-अलग बयान समाने आए। सबसे पहले वारदात में मारे गए बच्चों की मां पीड़िता संगीता की बात करें तो उन्होंने बताया कि आरोपी पड़ोस में सैलून चलाता था। कोई रंजिश नही थी 19 मार्च साढ़े छ: बजे के लगभग आरोपी साजिद व जावेद उनके घर आया। और उसने 45 रूपये का सामान लिया। जिसके बाद पांच हजार रुपए यह मजबूरी बताते हुए उधार मांगे। कि मेरे बच्चे जन्म के बाद जीवित नही रहते है। अब फिर पत्नी की डिलीवरी होने को है। इसलिए पैसे चाहिए। संगीता ने पति विनोद को फोन काॅल कर उसकी मजबूरी बताई जिसके बाद पति ने रूपये देने को बोल दिया। और पैसे दे दिए। फिर संगीता ने आरोपी को चाय के लिए कहा। इस दौरान आरोपी छत की तीसरी मंजिल पर पहुंच गया और बहाने से आयुष और आहान को बेहरमी से मार देता है। जबकि एक बेटे को आरोपी गुटखा लेने को भेज देता है। लेकिन वारदात के दौरान वो भी वापस पहुंच जाता है। उसे देखकर आरोपी हमलावर हुआ उसे भी घायल कर दिया चीख-पुकार के बाद संगीता और सास मुन्नी भी पहुंच जाती है। आरोपी खूनी खेल खेलकर फरार हो जाते।
सूचना के बाद पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी कोशिश करती है। और एनकाउंटर में कुछ घंटे के भीतर साजिद को मार गिराती है। जबकि जावेद फरार हो जाता है। पीड़िता के बयान के बाद आईजी राकेश कुमार मीडिया को बताते है कि आरोपी साजिद को एनकाउंटर में मार दिया गया। यानि की साजिद का ही वो नाम लेते है। जबकि पीड़िता साजिद व जावेद का नाम लेती है। आरोपी साजिद की पत्नी मायके में थी जब मीडिया ने उससे गर्भवती होने का सवाल पूंछा तो वो साफ इंकार कर देती है कि वो गर्ववती नही थी। आरोपी की मां कहती है कि जिसने जैसा किया भरा। पीड़िता संगीता के पति विनोद कुमार कहते है कि वो घर नही थे। आरोपियों ने उनके दो बेटों को बहाने से छत पर बुलाकर मार दिया। पानी लेने भेजा तीसरा बेटा भी घायल कर दिया।
अब बात करते है बरेली में सिरेंडर करने वाले आरोपी जावेद की तो उसका एक वीडियो शोसल मीडिया पर वायरल होता जिसमें वो ऑटो चालक व मौजूद कुछ लोगों से यह कहता सुना जा सकता कि उसका कोई कसूर नही था। साजिद ने किया है,वो बेकसूर है। मुझे पुलिस के पास ले चलो मैं जावेद हूँ। लोग उसका आधार कार्ड देखते है। जिसके बाद वो बरेली के बरादरी थाने की सेटेलाइट पुलिस चौकी पर खुद को सिरेंडर कर देता। अब बदायूं पुलिस टीमें उसे यहां लेकर आती है जहां पुलिस उससे पुछताछ करती है। पुलिस पूछ-ताछ में वो साजिद के साथ संगीता के घर जाने की बात कहता है। जहां साजिद हत्याकांड को अंजाम देता है। वो बताता है कि साजिद बीमार रहता था परिवार वालों के नियंत्रण में नही रहता था एक बार उसने चूहा मार दवा खाकर जान देने की कोशिश की। पिता ने उसका पीर फकीर और छोटे बड़े सरकार की दरगाह पर इलाज कराया लेकिन फिर भी उसका स्वाभाव नही बदला।
बरहाल बेकसूर मासूमों के एक कातिल साजिद को पुलिस ने मुठभेड में ढेर कर दिया और दूसरे जावेद ने सिरेंडर कर दिया। फिर भी पूरे केस की अनसुलझी गुत्थी बरकरार है। दोनों बच्चों के कत्ल की वजह अभी तक साफ नही कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया। ना कोई रंजिश और ना कोई ऐसी कहानी जिससे यह साबित हो सके कि आखिर उसने यह खूनी खेल क्यों खेला।
लोग दबी जुबान कहने लगे है कि साजिद व जावेद के खातों और सोशल मीडिया की साइटे भी खंगाली जानी चाहिए जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई और कंनेशन तो नही इस मर्डर हिस्ट्री के पीछे।