महाकुंभ नगर: महाकुंभ की घटना साज़िश है या फिर हादसा? अफवाह फैलाई किसने? वो कौन था जो भीड़ में अपना मकसद पूरा कर निकल गया. कहां गलती हुई? किसकी गलती थी? इन सारे सवालों का जवाब आपको इस रिपोर्ट में मिल जाएगा. सबसे बड़ा सवाल क्या योगी को इस्तीफा देना पड़ेगा? या अधिकारियों पर गाज गिरेगी, हिन्दुओं के महापर्व को किसकी नज़र लगी? और दो राजनीतिक पार्टियां कौन सी हैं जो महाकुंभ के माहौल को दिल्ली और लखनऊ में बैठकर खराब करना चाह रही थी.
अब आप समझिए घटना वाली जगह अचानक हुआ क्या? दरअसल जहां भीड़ ज्यादा थी. वहां थोड़ा ढलान है, यानि घाट के बेहद करीब वाली जगह है, वहां से 100 कदम चलने पर महाकुंभ में डुबकी लगाई जा सकती है. ढलान के दौरान ही अफवाह फैली, बुजुर्ग अपने आप को संभाल नहीं पाए और वहां कई लोग जमीन पर गिर पड़े, जो गिरे वो खुद से उठ नहीं पाए. महाकुंभ के ख़िलाफ़ कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे का बयान कि गरीबी नहीं मिटेगी, फिर भगदड़ में गरीबों की जान जाना जांच का विषय हो सकता है. कोई पाकिस्तानी मंसूबे में कामयाब नहीं हुआ तो भगदड़ का रास्ता चुना जा सकता था. वहां पर भीड़ में कौन क्या करने आया है इसका आंकलन शायद आप खुद नहीं कर पाएंगे. इसकी जांच होनी चाहिए. कांग्रेस योगी से इस्तीफा मांग रही थी, लेकिन पंडित नेहरू के कार्यकाल में 300 से ज्यादा लोगों की जान गई थी, उनका इस्तीफा नहीं हुआ था. अखिलेश यादव की सरकार में 42 भक्तों की जान गई थी उनका इस्तीफा नहीं हुआ था. फिर योगी का इस्तीफा किस आधार पर मांगा जा रहा है जरा समझिए.
महाकुंभ में हादसे की मुख्य वजह है ज्यादा भक्तों का पहुंच जाना. महाराष्ट्र और बिहार की आबादी के बराबर प्रयागराज में श्रद्धालुओं की संख्या थी. एक से बढ़कर एक अधिकारी लगे हैं. UPSC पास करके अधिकारी बने ब्रिलियंट मैन वहां पर तैनात हैं. योगी पूरी रात बैठक में थे. फिर भी जो होनी को मंजूर होता है उसे कौन टाल सकता है. तैयारी ना होती तो संख्या ज्यादा होती. हादसे को टालने वाला इंसान नहीं है, हां उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है. संगम में जिन परिवारों के लोग नहीं रहे उनके साथ देश खड़ा है, लेकिन महाकुंभ की घटना का सहारा लेकर योगी की कुर्सी पर निशाना लगाना क्या विपक्ष का सही तरीका है? दिल्ली में चुनाव है तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को मुद्दा मिल गया. पर सच्चाई वो बता पाएंगे जो महाकुंभ में गए हैं. प्रशासन की गलती हो सकती है. लापरवाही हो सकती है, लेकिन योगी की निष्ठा पर जो लोग सवाल उठा रहे हैं, इनमें से ज्यादातर लोगों ने कभी इतनी भीड़ देखी ही नहीं थी. ये मानव इतिहास का पहला मौका था जब एक साथ एक जगह पर इतनी भीड़ थी.
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