फडणवीस की सियासी तीर से घायल हुआ विपक्ष, BJP के नए डिज़ाइनर हैं देवेंद्र!

Global Bharat 03 Aug 2024 05:19: PM 5 Mins
फडणवीस की सियासी तीर से घायल हुआ विपक्ष, BJP के नए डिज़ाइनर हैं देवेंद्र!

अभिषेक शांडिल्य

महाराष्ट्र में चुनाव से पहले देवेंद्र फडणवीस के पीछे पूरा विपक्ष हाथ धोकर क्यों पड़ा है? क्या डर छा गया है कि जब तक ये खिलाड़ी मैदान में होगा तब तक ना राहुल का तीर चलेगा, ना पंवार का पंच महाराष्ट्र में बीजेपी को नुकसान पहुंचा पाएगा. दिल्ली में PM से देवेंद्र फड़नवीस मिलते हैं और उसके कुछ घण्टे बाद ही उन्हें बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा, ऐसी कहानी महाराष्ट्र की कुछ पार्टी और नेताओं ने गढ़ना क्यों शुरू किया?

क्या महाराष्ट्र में बीजेपी के विरोधी चाहते हैं कि बस देवेंद्र फडणवीस दिल्ली चले जाए ताकि लड़ाई आसान हो जाए, लेकिन ऐसा होने की उम्मीद नहीं दिखती और खेल बीजेपी भी बड़ा खेलने वाली है, जिसमें मुख्य किरदार में हैं देवेंद्र फडणवीस. देवेंद्र फडणवीस BJP और RSS की फर्स्ट च्वाइस हैं, ऐसा कहा जा रहा है वो महाराष्ट्र में सरकार लाएंगे और पार्टी उनके हाथों में कमान सौंप देगी.

हाल ही में डिप्टी सीएम फडणवीस की PM मोदी से मुलाकात हुई, उस मुलाकात के बाद चर्चा तेज़ हुई कि शायद वो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं. ये मामला शांत भी नहीं हुआ था कि उद्धव ठाकरे ने फडणवीस पर सीधा हमला किया और कहा कि “या तो वो या फिर फडणवीस राजनीति में रहेंगे."

सवाल है क्या महाराष्ट्र की सियासत में देवेंद्र फडणवीस के आगे उद्ध ठाकरे ने घुटने टेक दिए हैं? और ये समझ लिया है कि इस खेल के सबसे बड़े खिलाड़ी फडणवीस हैं. ये आपको समझाते हैं कि आख़िर फडणवीस ही विपक्ष की आंखों में क्यों चुभने लगे हैं? क्या उनकी सिंघम इस्टाइल की राजनीति से महाराष्ट्र में हाहाकार मचा है?

देवेंद्र फडणवीस से क्यों डरा है महाराष्ट्र का विपक्ष?

पहला प्वाइंट: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ शरद पवार और बाकी सभी विरोधी नेता मुख्य ख़तरा फडणवीस को मानते हैं, क्योंकि पता है कि जब तक देवेंद्र फडणवीस रहेंगे तब तक सत्ता की लड़ाई में जीत हासिल करना बहुत मुश्किल है! इसलिए, यह "चौतरफा हमला" है...

दूसरा प्वाइंट: विपक्ष को डर है कि देवेंद्र फडणवीस की हिन्दुत्व वाली छवि विरोधियों पर भारी पड़ सकती है. जाति में बांटने के प्रयास को देवेंद्र तोड़ सकते हैं...बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद उद्धव ने अपने हिंदुत्व के मूल विचारधारा से खुद को अलग कर लिया है और अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण की ओर बढ़ गए हैं. जिन समूहों ने पहले उद्धव का समर्थन किया था, वे अब BJP और उसके नेता फडणवीस की ओर बढ़ रहे हैं..

तीसरा प्वाइंट: उद्धव के पास राज्य के लिए कोई दृष्टिकोण नहीं है, इसलिए वो फडणवीस और महायुति सरकार के खिलाफ आधारहीन आरोप लगाकर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. उसे समझ में आता है कि राज्य में फडणवीस और केंद्र में मोदी BJP के दो प्रमुख नेता हैं, और वो उनसे मुकाबला नहीं कर सकता है!

चौथा प्वाइंट: सकाल समाचार पत्र में प्रकाशित एक समाचार लेख के अनुसार, महा विकास अघाड़ी यानि MVA में सब कुछ ठीक नहीं है.विरोधियों में गुटबाज़ी शुरू हो गई है. इसका भी जिम्मेदार देवेंद्र फडणवीस को ही माना जा रहा है. साझा सीट ऐलान से पहले नासिक में उद्धव द्वारा उम्मीदवार के ऐलान से भी शरद पवार के नाराज़ होने की खबर है.

चौथा प्वाइंट: कुछ सप्ताह पहले, शरद पवार ने चुनावों से पहले शिवसेना (UBT) के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था जिसमें उद्धव को MVA के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने का सुझाव था. ये उद्धव ठाकरे की एक और रणनीतिक चाल है, जिससे वो BJP के खिलाफ खुद को स्थापित नहीं कर सके. जैसे राहुल इंडिया गंठबंधन में PM का सपना देख रहे थे, वैसे ही उद्धव MVA का चेहरा बनना चाहते थे, लेकिन वहां बड़ा झटका लग गया है.

ज़ाहिर तौर पर एक नेता का कद तब बड़ा माना जाएगा जब उसके सारे विरोधी उसको हराने या हटाने का सपना देखेंगे. महाराष्ट्र की सियासत में फिलहाल देवेंद्र फडणवीस VS ऑल पार्टी चल रहा है. इसलिए ये समझना ज़रूरी है कि क्या कहानी है और क्यों देवेंद्र फडणवीस से ही विरोधी भयभीत हैं..या डरे हैं?

देवेंद्र फडणवीस से सब क्यों भयभीत हैं?

देवेंद्र फडणवीस नागपुर के हैं, जहां से RSS का मुख्यालय चलता है. RSS के खाटी कार्यकर्ता हैं. महाराष्ट्र की सियासत में डिप्टी CM की कुर्सी पर बैठे देवेंद्र फडणवीस फिलहाल नंबर 1 के नेता बन गए हैं. महाराष्ट्र में BJP की सरकार गिर गई, शाह की चाणक्य नीति पर सवाल उठे तो देवेंद्र फडणवीस आए. फडणवीस ने दोबारा पार्टी को मज़बूत किया, शाह का सम्मान सरकार बनाकर लौटा दिया.

शरद पवार जैसे बड़े अनुभवी नेता भी देवेंद्र फडणवीस की कूटनीति से संभल कर चलते हैं. उद्धव ठाकरे का डर बढ़ गया है, क्योंकि देवेंद्र उनकी पार्टी और सियासत मिटा सकते हैं. खुद डिप्टी CM बनकर सियासी कद से समझौता किया, लेकिन पार्टी को फायदा पहुंचाया. देवेंद्र फडणवीस के चाणक्य वाले दिमाग से महाराष्ट्र की सियासत में कुछ बड़ा होने जा रहा है. महाराष्ट्र के नेता BJP का चेहरा बनते रहे हैं, इस बार बारी है चाणक्य देवेंद्र फडणवीस की.

देवेंद्र फडणवीस जब 2014 में CM बने तो उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती थी सिस्टम में भ्रष्टाचार कम करना. महाराष्ट्र ऐसा राज्य है जहां सीधे मुख्यमंत्रियों पर घोटाले के आरोप लगते रहे थे, लेकिन उनके कार्यकाल में न सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी बेदाग रही बल्कि सिस्टम में भी 0 टॉलरेंस की नीति हद तक कामयाब हुई. हालांकि 2019 में बीजेपी डगमगाई और फिर देवेंद्र फडणवीस ने ही वहां दोबारा पार्टी को खड़ा किया, अब पार्टी सत्ता में है. शिवसेना लगभग खत्म होने की स्थिति में है.

शरद पवार की पार्टी दो फाड़ हो गई. राज ठाकरे की पार्टी की चर्चा अब नहीं हो रही है. हालांकि अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी न किनारा ढूंढ पा रही है ना ही गहराई. इसलिए मोदी-शाह की जोड़ी देवेंद्र फडणवीस से लगातार मिल रही है. अब देवेंद्र फडणवीस को क्या टास्क मिला है और कैसे वो RSS का किला और बीजेपी की नींव कहे जाने वाले महाराष्ट्र में चुनाव जीतकर दिखाएंगे इसको भी समझते हैं.

निकाय चुनावों में देवेंद्र फडणवीस की रणनीति की वजह से बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ. महाराष्ट्र के नेता देवेंद्र फडणवीस को चाणक्य नहीं बल्कि पार्टी का डिज़ाइनर भी कहते हैं. यानि पार्टी की दिशा,दशा और परफॉर्मेंस का आधार देवेंद्र फडणवीस ही तय कर सकते हैं. निकाय चुनाव से पहले देवेंद्र फडणवीस ने ही पार्टी विधायकों की मीटिंग बुलाई, समझाया. ज़िला ईकाई के साथ बैठक की, और बताया कि कैसे निकाय चुनाव में जीत हासिल हो!

बीजेपी के पास फिलहाल महाराष्ट्र में फडणवीस का विकल्प नहीं है, उन्हें दिल्ली इसलिए नहीं लाया जा रहा है, क्योंकि पार्टी को महाराष्ट्र में किसी भी हाल में सत्ता बनाए रखने की चुनौती है. नितिन गडकरी जैसे नेता भी फडणवीस को सपोर्ट करते हैं, रणनीति, सरकार और संगठन का अच्छा अनुभव रखने वाले देवेंद्र फडणवीस को साबित करना होगा कि वो पार्टी के नए चाणक्य भी हैं और नए डिज़ाइनर भी हैं.

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