नई दिल्ली: इजरायल के नव नियुक्त कांसुल जनरल यानिव रेवाच ने भारत के साथ साझा चुनौतियों पर चर्चा करते हुए, दोनों देशों के बीच मजबूत बंधन की सराहना की. उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा इजरायल को दिए गए समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया, खासकर गाजा में बंधकों की मुक्ति अभियान में उनकी भूमिका को सराहा. रेवाच ने अपने हालिया साक्षात्कार में व्यक्तिगत दर्द साझा किया.
उन्होंने बताया कि 7 अक्टूबर के हमले में उनके एक करीबी रिश्तेदार को आतंकियों ने बंधक बनाकर क्रूरता से मार डाला था, जो इस मुद्दे को उनके लिए बेहद निजी बनाता है. इस दुखद घटना के बावजूद, उन्होंने जोर दिया कि भारत और इजरायल दोनों ही विभिन्न स्वरूपों में आतंकवाद की चुनौती का डटकर मुकाबला कर रहे हैं. दोनों राष्ट्र शांति कायम करने और हिंसा को नकारने के साझा सिद्धांतों पर अडिग हैं.
रेवाच ने कहा कि हमारे दोनों देश अलग-अलग तरीकों से आतंकवाद की मार झेल रहे हैं. पिछले दो सालों से और उससे पहले भी भारत ने इजरायल का साथ दिया, विशेषकर हमारे बंधकों को सुरक्षित लौटाने में. मेरा एक परिजन भी इसी तरह अगवा होकर खो दिया गया. इसलिए यह विषय मेरे हृदय से जुड़ा हुआ है. उन्होंने पीएम मोदी को सीधे संबोधित करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भारत का खुला समर्थन सच्ची मित्रता का प्रतीक है.
भारत की सांस्कृतिक समृद्धि पर रेवाच ने भी उत्साह जताया. उन्होंने स्थानीय व्यंजनों, हलचल भरे बाजारों, ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन आकर्षणों के प्रति अपनी गहरी आकर्षण व्यक्त किया. मसाला चाय के दीवाने होने का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके पसंदीदा पेयों में शुमार है.
उन्होंने आगे कहा कि इजरायल और भारत दोनों ही तकनीकी नवाचारों के गढ़ हैं. मैं यहां के स्वदेशी ऐप्स और डिजिटल उपकरणों को अपनाना सीखना चाहता हूं. भारत एक विशाल अर्थव्यवस्था है, जबकि इजरायल छोटा राष्ट्र. यह अवसर ज्ञान आदान-प्रदान का आदर्श मंच बनेगा. इसके अलावा, रेवाच ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 29 सितंबर को प्रस्तुत गाजा शांति प्रस्ताव का जोरदार स्वागत किया.