...एक हफ्ते के भीतर यूपी की सियासत में ये कैसा बदलाव है? पहले 21 जुलाई को 31 महीने तक सीएम योगी से दूरी बनाकर रखने वाले बृजभूषण शरण सिंह लखनऊ में जाकर योगी से मिलते हैं और अब 26 जुलाई को उनके दोनों बेटे प्रतीक भूषण और करण भूषण सीएम योगी से मुलाकात करते हैं. जिसके बाद ये चर्चा छिड़ जाती है कि प्रतीक भूषण को योगी कैबिनेट में मंत्री बनाया जा सकता है, पर सवाल है क्या ये इतना आसान होगा? क्या बृजभूषण की मुलाकात में ही ये डील हो गई थी कि उनके एक बेटे को मंत्रीपद मिलेगा और बदले में बृजभूषण खुलकर योगी का साथ देंगे?
अंदरखाने का मनमुटाव खत्म हो जाएगा. इसे समझने के लिए ये तस्वीर देखिए. जिसे बृजभूषण के छोटे बेटे और कैसरगंज से बीजेपी सांसद करण भूषण सिंह ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है. और लिखा है गोंडा से विधायक भ्राता प्रतीक भूषण के साथ सीएम योगी से मुलाकात की. तस्वीर में सीएम योगी करण से ही बात करते नजर आ रहे हैं.
कुछ वक्त पहले बृजभूषण सिंह ने कहा भी था कि छोटे बेटे के सीएम योगी से रिश्ते अच्छे हैं. हालांकि इसे लेकर विधायक प्रतीक भूषण से जब एक मीडिया हाउस ने पूछा तो वो कहते हैं, ''कोई पॉलिटिकल चर्चा नहीं हुई. अयोध्या और देवीपाटन मंडल से संबंधित लोक निर्माण विभाग की समीक्षा बैठक में हम लोग शामिल हुए थे. इसके बाद में हम दोनों भाइयों ने सीएम से मुलाकात की थी. सीएम योगी से ढेमवा घाट संपर्क मार्ग बनाए जाने की मांग की है.''
इससे पहले भी दोनों भाईयों ने बीते साल सीएम योगी से मुलाकात की थी, तब भी ऐसी चर्चा उठी थी कि बृजभूषण शरण सिंह अब रिश्ते सुधारने की पहल में जुटे हैं.
हालांकि योगी से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा मुझे तो सीएम योगी ने बुलाया था, इसलिए मिलने गया. पर न तो कोई तस्वीर जारी हुई और ना ही अंदर की बातें सामने आई, लेकिन बृजभूषण के दोनों बेटों की मुलाकात की तस्वीर भी आई और चर्चा मंत्रीपद को लेकर इसलिए भी छिड़ी क्योंकि यूपी में अभी मंत्री के 6 पद खाली हैं.
सूत्र बताते हैं योगी मंत्रिमंडल में छंटनी हो सकती है, कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. रिपोर्ट कार्ड और तमाम सियासी आधार पर फैसले हो सकते हैं, क्योंकि 2027 में चुनाव भी है. और बृजभूषण शरण सिंह के हवाले से नवभारत टाइम्स ये भी लिखता है, ''जिनको जनता देखना नहीं चाहती है, वह मंत्री बने हैं. उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ा दिया जाए तो 5000 वोट नहीं जुटा पाएंगे. बस उनका भाग्य साथ दे रहा है.''
अब उनका निशाना किनकी ओर था, ये तो स्पष्ट नहीं हुआ, पर कहते हैं सियासत में शब्दों को समझने वाले लोग एक शब्द से भी मतलब निकाल लेते हैं. फिलहाल एक हफ्ते के भीतर बृजभूषण और उसके परिवार ने सीएम योगी से दो बार अलग-अलग मुलाकात की है तो चर्चाएं तेज हैं. फैसला योगी आदित्यनाथ को लेना है, मंत्रिपरिषद में एंट्री मिलेगी या कोई नई बात सामने आएगी.