केजरीवाल सरकार के स्कूल में भारी भ्रष्टाचार, प्रिंसिपल और सहयोगियों पर गंभीर आरोप

Global Bharat 11 Sep 2024 12:40: PM 2 Mins
केजरीवाल सरकार के स्कूल में भारी भ्रष्टाचार, प्रिंसिपल और सहयोगियों पर गंभीर आरोप

दिल्ली के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार का एक गंभीर मामला सामने आया है. राजकीय उच्चतर बाल विद्यालय, प्रशांत विहार के प्रिंसिपल मनदीप डबास और उनके सहयोगी राहुल डबास पर संगीन आरोप लगाए गए हैं. यह मामला न केवल विद्यालय के अंदर की व्यवस्था को चुनौती देता है, बल्कि शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है.

दरअसल, प्रिंसिपल पर आरोप लगाया गया है कि मनदीप डबास और उनके सहयोगी राहुल डबास ने न केवल स्कूल के भीतर बल्कि विभाग के बाहर भी कई अनियमितताएं की हैं. मामला सामने आने के बाद प्रिंसिपल मनदीप डबास के खिलाफ प्रशांत विहार थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. आरोपी प्रिंसिपल पर शराब पीने और मारपीट करने के आरोप भी लगे हैं. साथ ही बिना अनुमति के विदेश यात्रा करने और सरकारी धन का दुरुपयोग करने के भी आरोप लगे हैं.

इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि मनदीप डबास ने एक दिव्यांग अनुसूचित जाति के शिक्षक का मनमाने तरीके से स्थानांतरण के लिए आवेदन करवाया और एक अन्य एससी शिक्षक को बंद कमरे में पीटा. मनदीप डबास द्वारा इस हिंसा का कबूलनामा भी किया गया है. इसके अलावा, बाहरी परीक्षाओं, जैसे कि IGNOU और NIOS, में भी जमकर भ्रष्टाचार हुआ है.

शिकायतकर्ताओं ने बताया कि विभाग में इन गंभीर मुद्दों की शिकायत करने पर उन्हें मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. एक शिकायतकर्ता के तो महज 15 दिन के भीतर तीन बार स्थानांतरण कर उन्हें शिकायत वापस लेने का दबाव डाला गया. जांच के लिए 5 अगस्त 2024 को एक समिति गठित की गई थी, लेकिन 20 अगस्त तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

21 अगस्त को, जब शिकायतकर्ताओं ने शिक्षा निदेशक और विशेष सचिव (सतर्कता) से गुहार लगाई, तब जांच पर पहुंची, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. शिकायतकर्ताओं का कहना है कि मनदीप डबास के खिलाफ कई शिकायतें लंबित हैं, और उनके भाई संदीप डबास, जो शिक्षा विभाग में DASS ग्रेड II अधिकारी हैं, उनके प्रभावी संबंधों का लाभ उठाकर मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. आरोपों में यह भी शामिल है कि राहुल डबास ने बायोमेट्रिक जांच में यह साबित किया कि वह स्कूल में आए बिना ही पूरा वेतन ले रहा है.

इसके अलावा, मनदीप डबास को एक मामले में पहले ही निलंबित किया जा चुका था, लेकिन फिर भी उन्हें प्रिंसिपल के पद पर नियुक्त किया गया. यह नियुक्ति नियमों का उल्लंघन है क्योंकि उन्होंने जानबूझकर अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामले की जानकारी छिपाई.

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रिंसिपल की पत्नी और परिवार के सदस्य भी स्कूल की गतिविधियों में अनधिकृत रूप से शामिल हैं और स्कूल को निजी संपत्ति के रूप में उपयोग कर रहे हैं. साथ ही, कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, जैसे कि कर्मचारियों के वेतन, अनुपस्थिति रिकॉर्ड, और सरकारी दस्तावेजों में जालसाजी.

इस मामले ने शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या शिक्षा विभाग इन आरोपों की गंभीरता को समझेगा और छात्रों को एक सुरक्षित और निष्पक्ष माहौल प्रदान करेगा? यह देखना बाकी है कि विभाग इस मुद्दे पर कितनी तेजी से और प्रभावी कार्रवाई करेगा.

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