Mountain of gold silver and notes: एक कॉन्स्टेबल की सैलरी होती है 30-40 हजार..यानि सैलरी के पैसे से 300 करोड़ रुपये जमा करना असंभव ही नहीं बल्कि नामुमकिन है, फिर एक कॉन्स्टेबल ने ऐसा किया कैसे? जरा गौर से उसका किस्सा सुनिए, जिसने दिल्ली तक के अधिकारियों की नींद उड़ा रखी है, कभी ईडी के अधिकारी फाइल पलट रहे हैं, तो कभी आर्थिक अपराध शाखा वाले सबूत जुटा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट बताती है कि सौरभ के पिता स्वास्थ्य विभाग में तैनात था, साल 2016 में उनकी मौत हुई तो अनुकंपा के आधार पर सौरभ ने नौकरी मांगी, स्वास्थ्य विभाग ने नौकरी देने की बजाय सीधा लेटर लिखकर कहा यहां कोई पद खाली नहीं है.
ये जानबूझकर करवाया गया ताकि उसे मनचाहे विभाग में नौकरी मिल सके, उसी साल कॉन्स्टेबल के पद पर उसकी भर्ती हो गई, पहली पोस्टिंग ग्वालियर परिवहन विभाग में हुई, कुछ ही महीने बाद वो चेकपोस्ट पर ड्यूटी करने लगा, और तीन साल बाद फ्लाइंग स्क्वॉयड में आ गया, वहां से अफसरों का खास बन गया. मार्च 2020 में जब कमलनाथ की सरकार गिरी और शिवराज सिंह चौहान सीएम बने तो कई व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन सौरभ शर्मा पर कोई हाथ नहीं डाल पाया.
मध्य प्रदेश सरकार ने कई चेकपोस्ट को बंद करने का फैसला लिया, पर आधे से ज्यादा सौरभ खुद संभालता था. कहने को वो परिवहन विभाग का अदना सा सिपाही था, लेकिन उसके काम में दखल न तो जिले के आरटीओ ऑफिसर दे पाते थे और ना ही कोई नेता या मंत्री, बात दिल्ली तक पहुंची तो खुद केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई 2022 में लेटर लिखा, तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने जांच शुरू करवाई, पर कहते हैं नीचे से ऊपर तक जब सब मिले हों, तो फिर आपका बचना आसान हो जाता है, सौरभ शर्मा के साथ भी यही हुआ, इसने नौकरी छोड़ दी यानि स्वैछिक सेवानिवृति ले लिया और खुद दुबई भाग गया, अब बड़े-बड़े जांच अधिकारी ये नहीं समझ पा रहे हैं कि जांच के दौरान इसका इस्तीफा कैसे मंजूर हुआ. इधर आयकर विभाग की टीम उसके घर छापा मारने पहुंची तो घर से जो मिला उसे सुनकर दंग रह जाएंगे.
इसके अलावा एक स्कूल, छतरपुर वाले शहजाद की तरह एक आलीशान निर्माणाधीन बंगला, और भोपाल-इंदौर समेत अलग-अलग शहरों में कई प्रॉपर्टी का पता चला. इसका एक दोस्त चेतन भी जांच की रडार में आया, जो कहता है हम सिर्फ उसके आदेश पर काम करते थे. इनकी काली कमाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 52 किलो सोना और 11 करोड़ कैश जंगल में जिस कार से मिला, उसकी सुरक्षा में कई बंदूकधारी पर्सनल बॉडीगार्ड लगाए गए थे पर अधिकारियों के साथ गए सुरक्षाबलों को देखकर उनका मंसूबा पूरा नहीं हो पाया, अब ईडी की टीम ने पूरे केस में एंट्री ले ली है.
पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन सिंह गौर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है. इसके पास से एक डायरी बरामद होने की भी ख़बर है. जिसमें करीब 100 करोड़ रुपये का लेन-देन लिखा है.52 जिलों के RTO यानि रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिसर के नाम और नंबर मिले हैं, ये भी लिखा है कि किस RTO से कितना पैसा मिला है.
अब इसी डायरी कि डिकोड करने पर ये पता चलेगा कि कहां कितनी लेन-देन हुई है, और कौन-कौन इस पूरे खेल में शामिल है, हो सकता है आने वाले दिनों में ये सिर्फ भ्रष्टाचार का एक मामला नहीं बल्कि एक बड़ा घोटाला निकले, जिसमें ऊपर से नीचे तक के लोग शामिल हों, मध्य प्रदेश की जनता चूंकि पहले व्यापम जैसे घोटाले देख चुकी है, और उसका दंश भुगत चुकी है, जिसमें नोट के बदले नौकरी का खेल चल रहा था, तो वहीं ये जनता की गाढ़ी कमाई लूटने का खेल लग रहा है, जिसकी तह तक जांच जरूरी है. अब ईडी की जांच में क्या निकलता है, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं, आप इस पूरे खेल का दोषी किसे मानते हैं, अपनी राय जरूर दीजिए.