भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीजेपी सांसद आलोक शर्मा के एक बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है. आलोक शर्मा ने कहा कि भोपाल सिर्फ मुसलमानों का नहीं है, बल्कि यह सम्राट अशोक, राजा भोज और रानी कमलापति का भी है. उनके इस बयान ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई, बल्कि मुस्लिम समुदाय की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है.
वहीं, मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भोपाल का असली इतिहास राजा भोज और रानी कमलापति से जुड़ा है, न कि मुगलों या नवाबों से. आलोक शर्मा ने अपने बयान में भोपाल के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए कहा, "यह शहर परमार वंश के राजाओं और रानी कमलापति का है. सम्राट अशोक की धरती है. इसे केवल एक समुदाय से जोड़ना गलत है." उनके इस बयान को लेकर मुस्लिम समुदाय ने कड़ा ऐतराज जताया और इसे भेदभावपूर्ण बताया.
कांग्रेस ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, "आलोक शर्मा का यह बयान उनकी संकीर्ण सोच को दर्शाता है. भोपाल मध्य प्रदेश का है, भारत का है, और यहां के हर नागरिक का है. सांसद बनकर वे समाज को बांटने वाले बयान दे रहे हैं. यह बीजेपी की संविधान विरोधी और देश विरोधी मानसिकता को दिखाता है." पटवारी ने यह भी कहा कि ऐसे बयान न केवल समाज में तनाव पैदा करते हैं, बल्कि संविधान के मूल्यों और बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों का भी अपमान करते हैं.
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने आलोक शर्मा के बयान का खुलकर समर्थन किया. उन्होंने कहा, "हम लंबे समय से कहते आए हैं कि भोपाल पर मुगलों और नवाबों ने जबरन कब्जा किया था. इस शहर का असली इतिहास राजा भोज और रानी कमलापति से जुड़ा है." उनके इस बयान ने विवाद को और हवा दी, क्योंकि विपक्ष ने इसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला करार दिया.
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब मध्य प्रदेश में पहले से ही कई मुद्दों पर सियासी घमासान चल रहा है. आलोक शर्मा के बयान ने न केवल बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग को तेज किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द पर भी सवाल उठाए हैं. सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है, जहां कुछ लोग शर्मा के बयान को ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित बता रहे हैं, तो कुछ इसे समाज को बांटने की कोशिश मान रहे हैं. इस विवाद ने एक बार फिर भोपाल के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को चर्चा में ला दिया है. अब देखना यह है कि यह सियासी तूफान कितना और तूल पकड़ता है.