8वीं पास मौलाना समझता था खुद को RBI गवर्नर, प्रयागराज पुलिस ने खोली पोल!

Global Bharat 28 Aug 2024 10:59: PM 3 Mins
8वीं पास मौलाना समझता था खुद को RBI गवर्नर, प्रयागराज पुलिस ने खोली पोल!

वो चूरन वाले नोट बेचकर हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को चूर-चूर करना चाहता था, वो मौलाना मदरसे में बैठकर भारत की हालत पाकिस्तान और बांग्लादेश वाली करना चाहता था, उसने बकायदा तीन लड़कों को इसके लिए काम पर भी रखा था, खुद बड़ी सी कुर्सी पर बैठकर उनका काम देखता, दिन में मदरसे का प्रिंसिपल बना रहता, लेकिन शाम होते ही खुद को आरबीआई का गर्वनर समझने लगता. वो मदरसे के भीतर बैठकर कैसे हिंदुस्तान के खिलाफ रच रहा था, उसकी पूरी कहानी आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे. उसने तीन लड़कों को इसके लिए काम पर रखा था. 

पहला है मोहम्मद शाहिद- वो मदरसे में मौलवी बनने गया था, सिर्फ आठवीं तक पढ़ा-लिखा था, लेकिन लालच में आकर 100-100 के नोट छापने लगा

दूसरा है जाहिर खान- वो मदरसे में आलिम यानि इंटरमीडिएट की पढ़ाई करता है, उसके बाद नोट सप्लाई वाले काम में जुट जाता है

तीसरा है मोहम्मद अफजल- वो सिर्फ 8वीं पास था, वो बाजार में इन नोटों को चलाता था, करीब 5 लाख रुपये बाजार में खपा चुका था

इसकी जानकारी जब प्रयागराज पुलिस तक पहुंची तो सबके होश उड़ गए. मुखबिर ने कहा साहब मदरसे में अवैध गतिविधि चल रही है. बाहरी लोगों का आना-जाना बराबर लगा रहता है, लेकिन मामला चूंकि मदरसे से जुड़ा था, इसलिए पुलिस अचानक से छापा नहीं मार सकती थी, तो पुलिस ने पहले निगरानी की, उसके बाद जैसे ही छापा मारा, अंदर का नजारा देखकर दंग रह गई. तीन लोग प्रिंटिंग मशीन से नोट छाप रहे थे. कुर्ते की बाईं जेब में नोटों की 100-100 की गड्डियां रखी हुई थी. पुलिस सबको पकड़कर पूछताछ करती है, वहां रखा लैपटॉप, प्रिंटर और नोट छापने वाले कागज जब बरामद करती है तो उसका दिमाग ठनक जाता है कि आखिर सारे नोट 100-100 के ही क्यों हैं, क्या इसके पीछे कोई बड़ा लॉजिक है, तो एक आरोपी बताता है 100-100 के नोट आसानी से बाजार में खप जाते हैं, इसलिए सिर्फ 100 वाले ही छप रहे थे. ये लोग 100 रुपये के असली नोट के बदले में 3 नकली नोट देते थे और ऐसे ही पूरे शहर में इनका खेल चल रहा था.

जांच में ये भी पता चलता है कि इसका असली मास्टरमाइंड ओडिशा में बैठा है, जो पहले प्रयागराज में आधार कार्ड बनाने का काम करता था, लेकिन जल्दी अमीर बनने के चक्कर में उसने स्कैनर और प्रिटिंग खरीदकर जाली नोट छापने का खेल शुरू कर दिया. मदरसे में बकायदा इसने अलग कमरा भी बनाया हुआ था, जहां नोटों की सफाई और कटिंग बड़ी कायदे से की जाती थी. लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या इनकी प्लानिंग बड़े स्तर पर नोटों की छपाई कर हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की थी. क्योंकि जाली नोटों का कारोबार कितना बुरा होता है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं जाली नोट पर शिकंजा कसने के लिए सरकार ने नोटबंदी की. तब मीडिया में ये जानकारी सामने आई थी कि

  • पाकिस्तान में ISI की शह पर नकली नोट बनाने का कारोबार धड़ल्ले से चलता है
  • नेपाल, थाईलैं औऱ बांग्लादेश के पाकिस्तानी दूतावास के जरिए वो भारत भेजता है
  • कराची से समुद्री रास्ते से बांग्लादेश जाने वाले कंटेनर में भी ये नोट भरे जाते हैं
  • साल 2010 में करीब 1600 रुपये के जाली नोट हिंदुस्तान में भेजे गए थे

इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कारोबार कितना बड़ा है, अब इनका पाकिस्तान से कोई कनेक्शन है या सिर्फ जल्दी अमीर बनने की चाहत में इन्होंने इतनी बड़ी प्लानिंग रची ये पूछताछ के बाद पता चलेगा, लेकिन जिस हिसाब के अतीक के गढ़ से इनकी गिरफ्तारी हुई है, उसके बाद सवाल ये भी खड़े होते हैं कि क्या बदले का कोई प्लान तैयार हो रहा था, क्योंकि बीते दिनों सीएम योगी की सुरक्षा बढ़ाए जाने का भी अलर्ट जारी हुआ था.

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