नई दिल्ली: कर्नाटक के मंत्री और कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक जगहों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों पर सवाल उठाने के लिए धमकी भरे फोन और गंदे मैसेज मिले हैं. एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा: "पिछले दो दिनों से मेरा फोन बजना बंद नहीं हुआ. धमकी, डराने-धमकाने और मेरे और मेरे परिवार पर सबसे गंदी गालियां भरी कॉल्स, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक जगहों पर आरएसएस की गतिविधियों पर सवाल उठाए और उन्हें रोकने की बात की.
खड़गे ने कहा कि उन्हें ये कॉल्स मिलने से कोई आश्चर्य नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि अगर कोई सोचता है कि धमकियां और निजी हमले उन्हें चुप करा देंगे, तो वो गलत हैं. लेकिन मैं न डरा हूं न हैरान. जब आरएसएस ने महात्मा गांधी या बाबासाहेब आंबेडकर को नहीं बख्शा, तो मुझे क्यों बख्शेंगे? खड़गे ने बराबरी, तर्क और करुणा पर आधारित समाज बनाने की अपील की, जो बुद्ध, बसवन्ना और बाबासाहेब आंबेडकर की शिक्षाओं से प्रेरित हो.
उन्होंने सरकार से "सबसे खतरनाक वायरस" को खत्म करने की भी मांग की. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, अब समय आ गया है कि हम बुद्ध, बसवन्ना और बाबासाहेब के सिद्धांतों पर एक समाज बनाएं, जो बराबरी, तर्क और करुणा पर टिका हो, और इस देश से सबसे खतरनाक वायरस को साफ करें. इससे पहले, खड़गे ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, खेल के मैदानों, पार्कों, राज्य के मंदिरों और अन्य सरकारी जगहों पर सभी आरएसएस गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी.
पत्र में उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी और सरकारी सहायता वाली संस्थाओं में आरएसएस के शाखाएं चल रही हैं, जहां नारे लगाए जाते हैं और बच्चों व युवाओं के दिमाग में नकारात्मक विचार डाले जाते हैं. उन्होंने आगे कहा कि बिना पुलिस की इजाजत के लाठियां लहराते हुए आक्रामक प्रदर्शन किए जा रहे हैं" जो छात्रों पर मनोवैज्ञानिक रूप से बुरा असर डाल सकते हैं.
खड़गे ने जोर दिया कि आरएसएस का विचारधारा भारत के एकता और धर्मनिरपेक्षता के आदर्शों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि जब लोगों में नफरत फैलाने वाली ताकतें सिर उठाती हैं, तो हमारा संविधान, जो अखंडता, बराबरी और एकता पर आधारित है, हमें ऐसी ताकतों को रोकने और देश की धर्मनिरपेक्षता को बचाने का अधिकार देता है. इस विवाद पर बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने आलोचना की और खड़गे की मांग को प्रचार स्टंट बताया.
फडणवीस ने कहा, "वो प्रचार के लिए ऐसे बयान देते हैं. इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही कोशिश किया और सत्ता गंवा दी. सिद्धारमैया ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि तमिलनाडु के हाल के कदमों की समीक्षा करें, जहां सरकारी जगहों पर आरएसएस गतिविधियों पर बैन लगा दिया गया है. सिद्धारमैया ने कहा कि खड़गे की मांग तमिलनाडु के उदाहरण पर आधारित है और राज्य भी ऐसे कदमों पर विचार करेगा.