नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया कि स्पीकर ओम बिरला ने बार-बार अनुरोध के बावजूद उन्हें सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी. संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए गांधी ने कहा कि वह महाकुंभ मेले और बेरोजगारी से जुड़े मुद्दों पर बात करना चाहते थे, लेकिन उन्हें ऐसा करने से "रोका" गया. राहुल गांधी ने कहा, "प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) जी ने महाकुंभ पर बात की और मैं भी इस बारे में बात करना चाहता था. मैं कहना चाहता था कि कुंभ मेला बहुत अच्छा था. मैं बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाना चाहता था, लेकिन मुझे इसकी अनुमति नहीं दी गई. मुझे स्पीकर की सोच नहीं पता, लेकिन सच्चाई यह है कि हमें बोलने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि स्पीकर ओम बिरला ने सदन को अचानक स्थगित करने से पहले उनके बारे में "निराधार टिप्पणी" की. अपनी निराशा व्यक्त करते हुए, गांधी ने अध्यक्ष पर उनके अनुरोधों को टालने का आरोप लगाया. नेता प्रतिपक्ष ने कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है. मैंने उनसे मुझे बोलने देने का अनुरोध किया, लेकिन वे भाग गए. सदन चलाने का यह कोई तरीका नहीं है." उन्होंने कहा, "यह एक परंपरा है कि विपक्ष के नेता को बोलने का समय दिया जाता है. जब भी मैं खड़ा होता हूं, मुझे रोक दिया जाता है. मैंने कुछ भी गलत नहीं किया - मैं चुपचाप बैठा था. यहां लोकतंत्र के लिए कोई जगह नहीं है. यहां केवल सरकार के लिए जगह है."
पार्टी सूत्रों ने बताया कि कथित इनकार के जवाब में, लोकसभा के उपनेता गौरव गोगोई और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित लगभग 70 कांग्रेस सांसदों ने इस फैसले का विरोध करने के लिए अध्यक्ष से मुलाकात की. इस मामले को संबोधित करते हुए अध्यक्ष ओम बिरला ने गांधी को संसदीय शिष्टाचार बनाए रखने की याद दिलाई. बिरला ने कहा, "आपसे सदन के उच्च मानदंडों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है. ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां सांसदों का आचरण इन मानदंडों से कम रहा है. मैं विपक्ष के नेता से नियमों का पालन करने की अपेक्षा करता हूं."
भाजपा के अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "यह शर्मनाक है कि लोकसभा अध्यक्ष को विपक्ष के नेता को बुनियादी संसदीय शिष्टाचार के बारे में याद दिलाना पड़ रहा है. यह तथ्य कि कांग्रेस ने इस बचकाने व्यक्ति को हम पर थोपा है, वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है."
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने स्पीकर की टिप्पणी को असामान्य बताया और इस अनुभव की तुलना स्कूल असेंबली से की. चिदंबरम ने कहा, "मुझे नहीं पता कि उकसावे की क्या वजह थी या स्पीकर को ऐसा क्यों कहना पड़ा. इसने मुझे स्कूल के अपने हेडमास्टर की याद दिला दी- मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपने स्कूल की असेंबली में वापस आ गया हूं."