सुप्रीम कोर्ट के भीतर CBI ने ममता बनर्जी सरकार की पोल खोल दी. सुप्रीम कोर्ट के सामने बंगाल सरकार पूरी तरह से एक्सपोज़ हो गई. पीड़िता के साथ क्या हुआ? किसको बचाने की कोशिश की जा रही थी? केस डायरी में इतना झूठ किसके कहने पर लिखा था? चक्रव्यू में ऐसी फंसी ममता सरकार कि कोर्ट में कपिल सिब्बल के पास भी जवाब नहीं था. क्या संजय रॉय सिर्फ बली का बकरा है? क्योंकि CBI स्टेटस रिपोर्ट में जो दावा किया गया हैं उसमें चौंका देने वाला खुलासा हुआ है. अदालत के सामने झूठ के पांव टिकते नहीं है.
ये बात सुप्रीम कोर्ट में फिर से साफ हो गई. केंद्र सरकार की तरफ से पांच सीनियर वकीलों की टीम सुप्रीम कोर्ट में पहुंची. ममता बनर्जी सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल दलीलें दे रहे थे, लेकिन सवाल ऐसे पूछे जाएंगे इसका अंदाजा ममता बनर्जी सरकार को बिल्कुल नहीं था. हर कदम पर झूठ फैला हो तो बचना नामुमकिन होता है. CBI ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया गया है, सबूत मिटाए गए है. केस डायरी में पुलिस ने कई बातें छिपाई है, CBI हर एक सच बता दिया...सुनवाई के दौरान जस्टिस पादरीवाला भावुक होकर कहते हैं.
जस्टिस पारदीवाला: राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा...पहली बात, क्या ये सच है कि अननैचुरल डेथ रिपोर्ट 10:30 बजे दर्ज की गई थी? दूसरी बात, ये असिस्टेंट सुपरिडेंडेंट नॉन-मेडिकल कौन है, उसका आचरण भी बहुत संदिग्ध है, उसने ऐसा व्यवहार क्यों किया? सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि बंगाल में केस डायरी में खेल किया गया है. बंगाल पुलिस ने जो जांच की डायरी CBI को सौंपी है उसमें कई झूठ है, जबकि पीड़िता की डायरी भी CBI को सौंपी हैं, लेकिन उसके कई पन्ने फट्टे है.
इस पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है...घटना की सूचना पीड़िता के परिजनों को देरी से दी गई...परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई...मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है. वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई. कोर्ट ने भी कहा कि पुलिस डायरी और पोस्टमार्टम के वक्त में अतंर है. आरोपी की मेडिकल जांच पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. कोलकाता में मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़ की गई है. केस की लीपापोती की कोशिश की गई. अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई....
इतना सबकुछ हो जाने के बाद CBI से जज साहब एक सवाल पूछते है...
CJI: आरोपी की मेडिकल जांच रिपोर्ट कहां है?
CBI: हमें दी नहीं गई है, बंगाल पुलिस के पास है.
सिब्बल: यह केस डायरी का हिस्सा है और इसे जमा किया गया है.
CBI: हमने 5वें दिन घटनास्थल पर प्रवेश किया और CBI जांच शुरू करना एक चुनौती है. अपराध स्थल को बदल दिया गया है.
क्या झूठ सच से ताकतवर हो सकता है? ममता बनर्जी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के 21 वकीलों की फौज़ खड़ी की गई है. जबकि केंद्र सरकार की तरफ से 5 दिग्गज वकील उतारे हैं. CBI ने साफ बताया कि सबूतों से छेड़छाड़ की गई है. कॉलेज को सही समय पर सील नहीं किया गया है. अंतिम संस्कार के बाद FIR दर्ज करवाई गई. CBI ने कोर्ट में दावा किया है कि बंगाल पुलिस ने पूरा केस घुमा दिया. पीड़िता के परिवार को कुछ और बताया, पुलिस कार्रवाई कुछ और कर रही थी. CBI की रिपोर्ट से साफ होता है कि बंगाल में कोई एक आरोपी नहीं है, ये सबकुछ प्रयोजित है. कोई बहुत बड़ा ग्रुप है.
ममता बनर्जी सरकार की कोई मज़बूरी है. संदीप घोष सबसे बड़ा आरोपी लगता है. उसके कार, उसकी कुंडली जब खोली गई तो पता चला संदीप घोष तो बेहद ही शातिर आदमी था. फर्स्ट ईयर की छात्रों के साथ वो बहुत कुछ करता था. संजय रॉय का DNA मैच कर रहा है, लेकिन इस बात का दावा नहीं किया जा सकता है कि आरोपी कोई एक है. CBI ने कोर्ट को बताया बंगाल पुलिस ने क्राइम सीन से छेड़छाड़ की. ये झूठ कितने दिन टिकेगा? अब देखना ये होगा कि ममता बनर्जी की सरकार, उनकी पुलिस कब तक इस केस को घुमा पाएगी... लेकिन ये तो तय हो गया है कि संदीप घोष की गिरफ्तारी अब पक्की है.