धनंजय सिंह को बेशक अदालत ने जेल भेजा है, लेकिन जौनपुर की जनता खुलकर ये कह रही है कि ये क्षत्रियों का अपमान है, और अगले चुनाव में बीजेपी को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी, पर सवाल ये है कि जेल तो अदालत ने भेजा है, और योगी तो खुद भी ठाकुर हैं, फिर एक ठाकुर को जेल भेजे जाने का फायदा बीजेपी को क्या मिलेगा, ये समझना बेहद जरूरी है।
राजनीतिक मामलों के जानकार बताते हैं कि योगी पर अब तक जो ठप्पा लगा था कि वो मुसलमानों को जेल भेज रहे हैं, उनका बुलडोजर सिर्फ मुस्लिम इलाकों में गरज रहा है, और ठाकुरों को संरक्षण मिला हुआ है, वो छवि बदलेगी। योगी खुद ये बात कई मंचों से दोहरा चुके हैं कि अपराध का कोई जाति या मजहब नहीं होता। फिर भी हमारे देश एक ऐसी प्रथा लंबे वक्त से चल रही है, जहां अपराध सिद्ध होने पर भी कोई नेता जेल जाए तो उसके लिए हमदर्दी उमड़ पड़ती है, समर्थक इसमें सियासत तलाशने लगते हैं, ऐसे में हमने भी ये समझने की कोशिश की कि धनंजय सिंह अगर 7 साल के लिए जेल में रहेंगे तो इससे बाहर बीजेपी को क्या 7 बड़े फायदे मिल सकते हैं।
इसके अलावा छठा फायदा बीजेपी को ये भी मिलेगा कि वो नीतीश पर दबाव बना सकती है, धनंजय सिंह नीतीश कुमार की पार्टी के नेता हैं, और जैसा कि अक्सर देखने को मिला है कि हर पार्टी अपने नेताओं को बचाती है तो सुशासन बाबू ने भी ऐसी कोशिश की होगी, पर वो कोशिश फेल हो गई, सातवां फायदा पुलिस के पास एक फाइल कम होने का भी है, पर इन सबसे अलग कई लोग ये सवाल भी पूछ रहे हैं कि जब केस करने वाला ही मुकर गया था, गवाह ने भी साथ नहीं दिया था, पुलिस ने अपनी जांच तक में धनंजय सिंह को क्लीनचिट दे दी थी, फिर उन्हें सजा कैसे हो गई, अदालत तो सबूत और गवाह के आधार पर सजा सुनाती है, यहां तक कि कई लोग ये भी पूछ रहे हैं कि अगर नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर से धनंजय सिंह और उनके साथियों ने रंगदारी मांगी थी तो वो कितनी थी, ये बात अब तक सामने क्यों नहीं आई। ऐसी ही कुछ चर्चाएं हैं, जिससे लोग इस सजा को सियासत से जोड़ रहे हैं, पर हमने जब इसे समझने की कोशिश की तो कुछ हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आई। हमें पता चला कि प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल ने मई 2020 में शिकायत दी पर कुछ ही समय बाद कोर्ट में हलफनामा देकर आरोप वापस ले लिए थे, ये बात सच है, ये भी सच है कि उन्होंने कहा था कि मैं तनाव में था इसलिए आरोप लगा दिया, उसके बाद गवाह भी मुकर गया और.पुलिस ने जांच में इन्हें क्लीनचिट दे दी. पर उसी दौरान सीओ ने दोबारा विवेचना के आदेश दे दिए। सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड्स, व्हाट्सऐप मैसेज और गवाहों के बयान दोबारा से दर्ज हुए।
और फिर पुलिस ने ऐसे-ऐसे सबूत जुटाए कि जज साहब ने पहले धनंजय सिंह और उनके साथियों को दोषी करार दिया, उसके बाद 7 साल की सजा और दो लाख का जुर्माना लगाया है। जिसके बाद हर कोई यही कह रहा है कि 49 साल के धनंजय सिंह का दोबारा सियासत में आने का सपना अब अधूरा रह जाएगा, पर राजनीति में कब क्या हो जाए, कौन जानता है।