• लंदन से MBA, फ्रांस से PHD, कौन है हर्षवर्धन जैन, जिसने बनाए 4 फर्जी देश, खोला नकली दूतावास!
• पिता बड़े बिजनेसमैन,पत्नी गोल्ड कारोबारी,खुद बना फर्जी अधिकारी, पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा
• क्या ढूंढने गई थी यूपी STF, जो इसके महल में घुसी, अब खुली पूरी कहानी, 42 लाख रुपये हुए जब्त!
नई दिल्ली: नोएडा एसटीएफ को एक सीक्रेट ख़बर मिलती है कि गाजियाबाद में हवाला का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, जिसकी जांच करते हुए टीम गाजियाबाद के कविनगर इलाके की एक आलीशान कोठी तक पहुंचती है, जहां बाहर 4 लग्जरी गाड़ियां खड़ी थी, चारों पर अलग-अलग झंडे लगे थे, बिल्डिंग पर एंबेसी ऑफ वेस्ट आर्कटिक यानि दूतावास का बोर्ड लगा था. पहले तो एसटीएफ भी हैरान हुई कि ये कहां का पता मिल गया?
टीम जैसे ही अंदर पहुंची एक 47 साल का व्यक्ति उन्हें मिला, जिसने अपना नाम हर्षवर्धन जैन बताया. खुद को 4 देशों के दूतावास का अधिकारी बताया और बातों ही बातों में उसने अपना रसूख दिखाने की कोशिश की, लेकिन एसटीएफ ने थोड़ी ही देर में उससे सच उगलवा लिया और उस घर की तलाशी तो बड़ा खजाना हाथ लग गया.
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती, बल्कि यहां से इस कहानी के दूसरे अध्याय की शुरुआत होती है. जो हर्षवर्धन जैन गिरफ्तार हुआ, उसने पूछताछ में 3 बड़े खुलासे किए हैं, जिसे सुनकर खुद पुलिस के अधिकारी भी हैरान रह गए.
खुलासा नंबर 1- इसके पिता जेडी जैन उद्योगपति हैं, एजेंसियों को ये भी इनपुट मिले हैं कि वो मिनिस्ट्री ऑफ इनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से रिटायर्ड अधिकारी हैं. बेटे की गतिविधियां देखकर पिता ने इसे पहले ही घर से निकाल दिया था. अपने परिवार की कोठी से करीब 500 मीटर दूर ये किराये के घर में पत्नी और बेटों के साथ रहता था. पत्नी दिल्ली में गोल्ड कारोबारी है, जबकि बेटा अभी पढ़ाई करता है.
खुलासा नंबर 2- इसने लंदन से MBA और फ्रांस से PHD की पढ़ाई की है. वहां तांत्रिक चंद्रास्वामी से साल 2000 में मिला, वहीं इसकी मुलाकात अदनान खगोशी से हुई, और फिर इसने लंदन में 12 फर्जी कंपनियां बनाई और अवैध कामों में लग गया. यहां लौटकर अधिकारियों से जान-पहचान बढ़ाई, मंत्रालय जाने लगा, लोगों के काम करवाने लगा.
खुलासा नंबर 3- कई दिग्गजों के साथ ये अपनी तस्वीरें दिखाता, लोगों को अपने झांसे में लेता, किसी को नौकरी लगवाने तो किसी को विदेश भेजने की बात कहकर लाखों लेता. इसके यहां महंगी-महंगी गाड़ियों से लोग पहुंचते. मंत्रालयों तक में इसकी पहुंच थी.
इस खुलासे के बाद अब यूपी एसटीएफ इसके मददगारों की कुंडली खंगालने में जुटी है. साथ में चौंकाने वाली बात ये भी पता चली कि घर के बाहर इसने जिस देश के नाम का बोर्ड लगाया था, वो असल में देश है ही नहीं, बल्कि इस नाम का एक एनजीओ है और उसी नाम को इसने देश बना दिया. फिलहाल जांच एजेंसी इससे ये भी जानना चाहती है कि इसे हवाला के जरिए पैसे कौन देता है और इसका मिशन क्या था.
इसके घर से साल 2021 में एक सैटेलाइट फोन भी मिला था. हालांकि तब पुलिस ने इससे पूछताछ कर इसे छोड़ दिया था. फिलहाल इस खुलासे ने सबको हिलाकर रख दिया है, इससे पहले गाजियाबाद से ही एक फर्जी हाई कमिश्नर को पकड़ा गया था, जो खुद को ओमान का उच्चायुक्त बताता था और अब इसकी गिरफ्तारी के बाद कई तरीके के सवाल भी उठ रहे हैं.