अभिषेक चतुर्वेदी
कोलकाता केस में सीबीआई की 5 टीमें, 5 दिन में भी वो सबूत क्यों नहीं खंगाल पाईं, जिसे ढूंढे बिना आरोपियों को सजा दिलाना मुश्किल है. सीबीआई दिल्ली से एक साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट की टीम क्यों बुलानी पड़ी. क्या कोलकाता पुलिस और आरोपी दोनों ने सीबीआई का दिमाग चकरा दिया है. आखिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट जब चीख-चीखकर ये कह रही है कि उस लड़की के साथ गलत हरकत करने वाले आरोपी सिर्फ एक नहीं बल्कि 8-10 हैं, क्योंकि एक इंसान होता तो 12-15 ग्राम ही सीमन बॉडी से बरामद होता, जबकि लड़की की बॉडी से 150 ग्राम सीमन मिला है. तो सवाल है सीबीआई बाकी के आरोपियों से दूर क्यों है. क्या सीबीआई की फाइल में कोई ऐसा नाम आया है, जिस पर हाथ डालने से पहले अधिकारी सबूत पुख्ता कर लेना चाहते हैं. इसे समझने के लिए आपको उस कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल की हनक को समझना होगा, जहां ये घटना हुई.
आरजी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, जो अपना तबादला एक कॉल से रुकवा देता, कॉलेज में अपनी मनमानी चलाता, क्योंकि उसके ऊपर एक बड़े नेता का हाथ बताया जा रहा है. ख़बर यहां तक कि संदीप घोष का सीधा कॉन्टैक्ट सीएमओ तक था. ये भले ही सियासत में नहीं था, लेकिन संदीप घोष का रुतबा संदेशखाली वाले शाहजहां शेख से भी बड़ा है. और एक भी सबूत ऐसे नहीं छोड़े हैं, जिसके आधार पर सीबीआई संदीप की सीधी भूमिका साबित कर पाए.
यही वजह है कि सीबीआई ने करीब 12 घंटे तक हिरासत में लेकर संदीप घोष से पूछताछ की और फिर छोड़ दिया, पर अभी भी वो सीबीआई की रडार पर है. क्योंकि कहते हैं बड़ा राजदार तब तक मुंह नहीं खोलता, जब तक उसके सिर से बड़े लोगों का हाथ न हटे. अब तक की जांच ये इशारा करती है कि बंगाल की घटना सिर्फ उतनी बड़ी नहीं, जितनी दिख रही है, बल्कि बिहार चारा घोटाले की तरह इसके तार कहीं ऊपर तक जुड़े हैं. जिसके बाद हर कोई यही पूछ रहा है कि क्या लोकतंत्र में कुछ सीएम इसीलिए चुने जाते हैं ताकि उनका सिस्टम आरोपियों को संरण दे सके, क्या आरोपी संजीव राय को आगे कर उन आरोपियों को बचाया जा रहा है, जिन्होंने कॉलेज में सबूत मिटाने की कोशिश की.
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उस दिन उस लड़की के साथ गलत किया और कॉलेज के अंदर चल रहे रैकेट जिसके आरोप बीजेपी ने लगाए हैं, उसमें शामिल था. इसी कॉलेज में कुछ साल पहले भी ऐसी घटना हुई थी, जिसे दबा दिया गया. पर इस बार मामला दबा नहीं तो ममता बनर्जी वाम और राम यानि वामपंथी और भगवान राम को मानने वाली बीजेपी पर आरोप लगाने लगीं. पर असली आरोप जो संदीप घोष पर लगे हैं, उसका जवाब शायद सीबीआई भी अभी तलाश नहीं पाई है.
संदीप घोष के कितने गुनाह
ये वायरल चैट इस बात के सबूत हैं कि कॉलेज के जिस चेस्ट डिपार्टमेंट की लड़की के साथ ऐसा हुआ, वहां एक बड़ा रैकेट चल रहा है. संदीप घोष की महिलाओं से नफरत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पहली बीवी के साथ इसने इतनी मारपीट की कि उसे तलाक लेना पड़ा. उसके घरवालों ने कहा ये डॉक्टर नहीं बल्कि जल्लाद है. पर ममता बनर्जी के अधिकारियों और नेताओं को संदीप घोष बेकसूर लगता है, उसे हाईकोर्ट तक बचाने की प्लानिंग चल रही है, लेकिन हाईकोर्ट ने साफ-साफ कहा है अगर पूर्व प्रिंसिपल को डर लगता है तो कोलकाता पुलिस सुरक्षा दे, लेकिन जांच के दौर से गुजरना होगा. पर सच्चाई ये भी है कि संदीप घोष की तरह कई किरदार इस केस में हो सकते हैं, जो इतनी बड़ी घटना को सिर्फ खुदकुशी बचाकर फाइल बंद करना चाहते थे, लेकिन कॉलेज के स्टूडेंट की डिमांड के आगे इन्हें झुकना पड़ा.