हैदराबाद की सीट पर 40 वर्षों से जिस परिवार का राज चल रहा है, क्या वो ओवैसी परिवार इस बार हिंदुत्व की सियासत के आगे घुटने टेकने वाला है? इस रिपोर्ट के माध्यम से आप समझ पाएंगे कि माजरा किया है. देशभर में क्यों कहा जा रहा है कि इस बार असदुद्दीन ओवैसी के लिए किला बचाना आसान नहीं होगा.
दरअसल केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर सीएम योगी तक माधवी लता के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. वहीं अमित शाह तो साफ कहते हैं कि रजाकारों के प्रतिनिधि को हटाना है. ऐसे में यहां ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर ये रजाकार कौन हैं. बताते चलें कि रजाकार वो लोग थे जो हैदराबाद को भारत से अलग करवाना चाहते थे.
रिटार्यड अधिकारी महमूद नवाज खान ने एक संगठन बनाया था और इसकी संगठन में जो ट्रेंड मिलिट्री सिपाही थे, उन्हें रजाकार नाम दिया गया था. ये विदेशी ताकतों के साथ मिलकर हैदराबाद को भारत से अलग करवाना चाहते थे. पर भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो चलाकर इनके मंसूबों को नाकाम कर दिया था.
वहीं अब माधवी लता इन रजाकारों की सोच पर सियासी बुलडोजर चलाने वाली हैं. ओवैसी जिन मुसलमानों को अपना मानते हैं, उन्हीं मुसलमानों को अपने पक्ष में करके माध्वी पूरा गेम पलटने के मूड में नजर आ रही हैं. शायद यही वजह है कि अमित शाह इनका जिक्र कर ओवैसी को ये साफ संदेश दे रहे हैं कि इस बार मुकाबला कांटे की टक्कर का होने वाला है.
ओवैसी कहते हैं कि बच्चों को लेकर वोट डालने जाओ. डोर टू डोर प्रचार में भी वो यही बात मुस्लिम परिवारों से भी कह रहे हैं. वो कह रहे हैं कि आपके जो बच्चे दुबई, कुवैत और दूसरे देश में काम की तलाश में गए हैं, वहां से उन्हें बुलाइए और वोट दिलवाइए, ताकि हम जीत हासिल कर सकें.
वहीं माधवी लता जितनी फेमस हिंदुओं के बीच हैं, उतनी ही मुस्लिमों के बीच भी हैं. मुस्लिम लड़कियां भी उन्हें काफी चाहती हैं और उनकी तरह ही पढ़-लिखकर डॉक्टर बनना चाहती हैं. लेकिन माध्वी की मुसीबत वो बुजुर्ग महिलाएं हैं, जो ओवैसी को अपना सबकुछ मानती हैं.