बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 3 दिसंबर 2018 को हुई इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में जिला अदालत ने आज पांच आरोपियों को दोषी ठहराया है. दोषियों को पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया गया है, और सजा का ऐलान जल्द होने की उम्मीद है. इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 44 लोगों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिनमें से पांच को हत्या का दोषी पाया गया है. इस फैसले ने छह साल से अधिक समय से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे इंस्पेक्टर सुबोध के परिवार को थोड़ी राहत दी है.
क्या हुआ था उस दिन?
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर के स्याना क्षेत्र में माहव गांव के पास गौकशी की अफवाह के बाद भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित चौधरी की मौत हो गई थी. स्याना थाने के स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) सुबोध कुमार सिंह उस समय स्थिति को नियंत्रित करने पहुंचे थे, जब लगभग 400 लोगों की भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला कर दिया. भीड़ ने पथराव किया, वाहनों में आग लगा दी, और इंस्पेक्टर सुबोध को निशाना बनाया.
पुलिस के अनुसार, भीड़ ने इंस्पेक्टर सुबोध पर पहले पथराव किया, फिर एक व्यक्ति ने कुल्हाड़ी से हमला कर उनके दो अंगुलियां काट दीं और सिर पर चोट पहुंचाई. इसके बाद, आरोपी प्रशांत नट ने कथित तौर पर सुबोध की सर्विस रिवॉल्वर छीनकर उन्हें गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई. इस हिंसा में सुमित चौधरी नामक एक युवक भी गोली लगने से मारा गया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष जांच टीम (SIT) ने इस मामले की गहन जांच की और मार्च 2019 में 38 लोगों के खिलाफ 3,400 पेज की केस डायरी और 103 पेज की चार्जशीट दाखिल की. चार्जशीट में बजरंग दल के स्थानीय संयोजक योगेश राज और बीजेपी युवा मोर्चा के नेता शिखर अग्रवाल सहित 33 अन्य लोगों पर हत्या का प्रयास, हिंसा भड़काने, आगजनी, और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने जैसे आरोप लगाए गए थे. हालांकि, पांच लोग प्रशांत नट, राहुल, डेविड, जॉनी, और लोकेंद्र को इंस्पेक्टर सुबोध को हत्या का दोषी ठहराया गया.
बुलंदशहर के पुलिस अधीक्षक (SP) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने उस समय कहा था, "प्रशांत नट ने इंस्पेक्टर सुबोध की पिस्तौल छीनकर उन्हें गोली मारी थी. यह एक सुनियोजित साजिश थी." जांच में यह भी पाया गया कि हिंसा गौकशी की अफवाह के बाद सोची-समझी रणनीति के तहत भड़काई गई थी. जिला अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद 30 जुलाई 2025 को पांच आरोपियों प्रशांत नट, राहुल, डेविड, जॉनी, और लोकेंद्र को इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का दोषी करार दिया.
इसके अलावा योगेश राज और शिखर अग्रवाल को पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी थी. इन्हीं पर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था. वहीं जमानत के खिलाफ सुबोध की पत्नी रजनी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कहा था, "अगर मेरे पति जैसे लोग, जो देश के लिए अपनी जान दे देते हैं, को न्याय नहीं मिलेगा, तो फिर किसे मिलेगा?