कलियुगी पिता की वो कहानी जिसे सुनकर आपका चेहरा गुस्से से लाल हो उठेगा, आंखें नम हो जाएंगी!

Global Bharat 23 Apr 2024 3 Mins
कलियुगी पिता की वो कहानी जिसे सुनकर आपका चेहरा गुस्से से लाल हो उठेगा, आंखें नम हो जाएंगी!

एक लड़की रोते हुए थाने में पहुंचती है, सिपाहियों से दारोगाजी के रूम का पता पूछती है और फिर जो आपबीती बताती है उसे सुनकर हर पुलिसवाले के आंखों में आंसू आ जाते हैं, वो बताती है
-साहब, मैं यहीं की एक कॉलोनी में रहती हूं, जिस दिन मेरी मां की मौत हुई, उसके दूसरे ही दिन मेरे पिता ने मेरे साथ वो किया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था, बात यही नहीं रुकी, मैं छोटी थी, सब सहती रही, 6 साल से उनके गलत कामों को सहती रही. 3 बार प्रेग्नेंट भी हुई तब घरवालों ने जबरन समझा-बुझाकर एबॉर्शन करवा दिया. 
लेकिन एक दिन हिम्मत करके खुद ही खुद का वीडियो बनाया, रिश्तेदारों को उसे दिखाया, दिखाते हुए खुद पर शर्म भी आ रही थी और बदनसीबी पर रोना भी आ रहा था, लगा था रिश्तेदार समझाएंगे और मेरा बाप मान जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ वो फिर और बुरी तरह चिढ़ गए, और दो दिन पहले तो ऐसी हालत हो गई कि मुझे ही मारपीट कर घर से निकाल दिया. 
इतना कहते-कहते लड़की जोर-जोर से रोने लगती है, वहां बैठे कई पुलिसवाले भावुक हो जाते हैं, तुरंत बात एसीपी ज्ञानप्रकाश राय तक पहुंचती है, मुकदमा लिखा जाता है और आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया जाता है, अब वो सलाखों के पीछे अपने किए की सजा भुगतेगा. पुलिस इस लड़की के चाचा, ताऊ और उन सभी रिश्तेदारों को ढूंढ रहे हैं, जो मदद करने की बजाय चुप होकर सब देखते रहे, पर कानूनी कार्रवाई एक तरफ और सामाजिक कार्रवाई दूसरी तरफ होनी चाहिए. हमारे देश में निर्भया मामले जैसे आरोपियों को भी वकील मिल जाते हैं, उनका भी बचाव किया जाता है, कानून सबको बचाव का मौका देता है, लेकिन सवाल है कि समाज की गिरती नैतिकता का क्या होगा. सवाल सिर्फ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में हुई इस घटना का नहीं है. 
इसी साल फरवरी महीने में केरल से भी एक ऐसी ही ख़बर सामने आई थी. जहां केरल के मलप्पुरम में एक व्यक्ति को 123 साल की सजा सुनाई थी. उस पर आरोप था कि उसने अपनी 11 और 12 साल की बेटियों के साथ गलत किया. इससे पहले मलेशिया से भी एक ऐसी ही हिला देने वाली रिपोर्ट सामने आई. जहां एक पिता को 702 साल की जेल और 234 बेंत की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद कई लोगों के दिमाग में ये सवाल उठे थे कि आज इंसान की उम्र तो 80-100 साल की होती है, इससे ज्यादा तो कोई जिंदा रहता नहीं है फिर 702 साल और 123 साल की सजा सुनाने का क्या मतलब है, आखिर जब ये सजा जज साहब लिख रहे होते हैं तो उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है तो इसे समझने के लिए आपको कुछ आंकड़े दिखाते हैं. गूगल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा लंबी अवधि की सजा सुनाने में अमेरिका सबसे आगे है. 
टैरी निकोलस  नाम के आरोपी को अमेरिका ने 1995 के ओकहाम सिटी में हुए सबसे गंभीर मामले में 162 जन्मों के लिए आजीवन कारावास और 93 साल तक बिना पैरोल वाली सजा सुनाई , जो दुनिया की सबसे बड़ी सजा के तौर पर गिनी जाती है.
अमेरिकी नागरिक माइकल जे डेवलिन को 74 जीवन का आजीवन कारावास और 2020 सालों की सजा सुनाई गई थी, इसके ऊपर नाबालिग बच्चों को अगवा करने और फिर उनसे गलत काम करवाने का आरोप था. 
अमेरिका के अलावा इजरायल ने अब्दुल्ला बरगोटी नाम के आरोपी को 67 जीवन की कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हिंदुस्तान में ऐसे काफी कम मामले देखने को मिलते हैं, जहां आरोपियों को लंबी सजा सुनाई जाती हो, लंबी सजा सुनाने का मतलब कतई ये नहीं होता कि वो अगले जन्म में भी सजा काटेगा, क्योंकि ये पता कैसे चलेगा कि अगले जन्म में वो आरोपी कहां है, न तो उसे पकड़ने वाली पुलिस वो होगी, न सजा सुनाने वाले वो जज होंगे, ऐसे में इतनी लंबी सजा सुनाने का मकसद होता है आरोपी को ये बताना कि तुमने जो किया है वो काफी खतरनाक है. और इसके लिए तुम्हें जितनी सजा दी जाए उतनी कम है.