इधर शिवराज ने किया नामांकन, उधर उनकी पत्नी साधना सिंह का किस्सा हुआ वायरल

Global Bharat 19 Apr 2024 2 Mins
इधर शिवराज ने किया नामांकन, उधर उनकी पत्नी साधना सिंह का किस्सा हुआ वायरल

ये कहानी 33 साल पुरानी है, साल था 1991 का, 32 साल की उम्र में शिवराज सिंह चौहान विदिशा से जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे, मतलब विधायकी के बाद सियासत की दूसरी सीढ़ी चढ़ रहे थे, घरवाले शादी करवाने को तैयार थे, पर शिवराज सबको ये कहकर शांत कर देते थे कि मुझे शादी नहीं करनी, पर अपनी बहन की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. कहते हैं बहन के बहुत मनाने पर शिवराज सिंह चौहान महाराष्ट्र की रहने वाली साधना सिंह से मुलाकात को तैयार हुए, पर वहां भी एक शर्त रख दी. पहली ही नजर में दिल हार बैठे, पर अपने दिल के भीतर जो बातें चल रही थी वो एक एक्सप्रेस की तरह साधना सिंह के सामने ऐसे रखी कि वो सादगी देखकर प्रभावित हो गई, तब शिवराज सिंह ने कहा था
"राजनीति और देशसेवा की डगर कठिन है. इस नाते समय कम होगा जीवन में कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ सकता है. अगर आप तैयार हैं तो बात आगे बढ़ सकती है."

शिवराज सिंह की ये साफगोई साधना सिंह को इतनी पसंद आई कि उसके बाद दोनों एक दूसरे को चिट्ठी लिखकर बातें करने लगे और अगले ही साल दोनों शादी के बंधन में बंध गए. उसके बाद साधना ने शिवराज सिंह चौहान का हर कदम पर साथ दिया, चाहे सांसदी के लिए नामांकन करने जाना हो या फिर सीएम पद की शपथ लेने शिवराज हमेशा ये 2 काम किए बगैर घर से बाहर नहीं निकले.

पहला पत्नी की शुभमकामनाएं, जो आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं, 2024 चुनाव के लिए विदिशा सीट से नामांकन के लिए जाने से पहले शिवराज पत्नी से शुभकामनाएं ले रहे हैं और इसकी तस्वीर ट्वीट कर बताते भी हैं.
जबकि दूसरा पूजा-पाठ करना, घर में पूजा-पाठ करने और माला जपने के बाद ही शिवराज सिंह चौहान किसी शुभ काम की शुरुआत करते हैं, और विदिशा से नामांकन से पहले भी उन्होंने इसे दोहराया.
जो बताता है कि शिवराज सिंह चौहान कैसे एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं. पहले विधायकी, फिर सांसदी फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे, पार्टी में बड़ा कद हासिल किया, जनता के चहेते बने और आज भी इतनी लोकप्रियता हासिल कर ली है कि कोई चाहकर भी उन्हें इग्नोर नहीं कर सकता. एक बार को जब मुख्यमंत्री पद की रेस से शिवराज बाहर हुए और उनकी जगह मोहन यादव को सीएम बनाया गया तो ऐसी चर्चाएं छिड़ी थी कि शिवराज अब मध्य प्रदेश की सियासत से दूर हो जाएंगे. लेकिन शिवराज न सिर्फ मध्य प्रदेश की सियासत में जमे रहे, बल्कि अब विदिशा से चुनाव भी लड़ रहे हैं और ताल ठोंककर कहते हैं राहुल गांधी तो वायनाड चले गए, लेकिन मैं यहीं रहूंगा.
शिवराज इस बयान के सहारे साफ इशारा करना चाहते हैं कि कांग्रेस के नेता जनता को छोड़कर भाग सकते हैं, लेकिन बीजेपी के नेता अपनी जनता के प्रति ईमानदार है, वफादार है. शिवराज के इस बयान के ये भी मायने हो सकते हैं कि वो लड़ भले ही विदिशा से रहे हैं, पर उनकी दावेदारी सीधा दिल्ली वाली है, और ऐसी चर्चा भी है कि अगर जीतकर आए और तीसरी बार मोदी की सरकार केन्द्र में आई तो शिवराज मोदी के सबसे खास मंत्रियों की लिस्ट में शामिल हो सकते हैं.