श्रीलंका से नेपाल तक…भारत के चारों ओर उथल-पुथल, क्या पर्दे के पीछे है अमेरिका का हाथ?

Global Bharat 09 Sep 2025 03:51: PM 2 Mins
श्रीलंका से नेपाल तक…भारत के चारों ओर उथल-पुथल, क्या पर्दे के पीछे है अमेरिका का हाथ?

नई दिल्ली : दक्षिण एशिया में भारत के पड़ोसी देशों ने इन दिनों खूब उथल-पुथल मचा हुआ है. पहले श्रीलंका फिर बांग्लादेश के बाद अब नेपाल भी उसी आग में झुलस रहा है. बांग्लादेश की कहानी में अमेरिका का योगदान छिपा नहीं है. वहीं, नेपाल में अमेरिका के सोशल मीडिया ऐप्स बंद होने के बाद भारी बवाल हुआ है. बवाल इतना बढ़ गया कि नेपाल के प्रधानमंत्री को पद से इस्तीफा देना पड़ा. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. इसके पीछे का कारण बड़ी शक्तियों को माना जा रहा है. भारत के पड़ोसी देशों में पिछले कुछ समय से राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता दिख रही है. चाहे श्रीलंका का आर्थिक संकट हो या बांग्लादेश में चुनावी विवाद के बाद बवाल हो. अब नेपाल में सरकारों का बार-बार बदलना बड़े कूटनीति को दर्शा रहा है. 

विदेश नीति से जुड़े जानकारो का मानना हैं कि इन घटनाओं के पीछे अमेरिका अप्रत्यक्ष तौर पर अमेरिका की भूमिका है. कारण भारत की विश्व में बढ़ती हुई ताकत है. भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है.  रक्षा, अंतरिक्ष और तकनीक के क्षेत्र में भी भारत की पकड़ तेजी से मज़बूत हो रही है. यही वजह है कि अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ खड़ा रहे. वहीं, चीन के खिलाफ उसकी रणनीति का हिस्सा बने. चालाक अमेरिका यह भी नहीं चाहता कि भारत ज्यादा मज़बूत हो और अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर दक्षिण एशिया पर दबदबा बना लें. ऐसे में पड़ोसी देशों को अस्थिर करके भारत को लगातार दबाव में रखना अमेरिका के लिए फायदेमंद है. 

चीन को दबाना चाहता है अमेरिका

अमेरिका की असली नज़रें चीन पर टिकी हैं. टेक्नोलॉजी में चीन तेजी से आ जा रहा है. वहीं, चीन श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में अरबों डॉलर निवेश किया है. श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट से लेकर पाकिस्तान के ग्वादर तक चीन की मौजूदगी से अमेरिका टेंशन में है. ऐसे में अमेरिका की रणनीति है कि भारत और चीन के बीच रिश्ते स्थिर न हों और भारत के पड़ोसी देशों में अशांति बनी रहे. ताकि, चीन और भारत को सीधे फायदा न मिले. 

पहले श्रीलंका हुआ अस्थिर

2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट बढ़ गया. पेट्रोल से लेकर खाने के लिए संकट आ गया. तब IMF की मदद सख़्त शर्तों के साथ श्रीलंका को मिली. हालांकि, आर्थिक संकट इतना गहराया कि विरोध प्रदर्शन भड़ उठा. राष्ट्रपति भवन तक प्रदर्शनकारी पहुंच गए और अंतिम में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को पद छोड़ना पड़ा. 

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने बचाई जान

अमेरिका ने बांग्लादेश में चुनावों में पारदर्शिता और मानवाधिकार का मुद्दा उठाकर शेख हसीना सरकार पर दबाव बनाया. शेख हसीना का भारत से बेहतर संबंध थे. अमेरिका चाहता है कि बांग्लादेश करीब आए और चीन-भारत से दूरी बनाए. ऐसा नहीं करने पर छात्र आंदोलन के नाम पर पूरे बांग्लादेश को अस्थिर कर दिया. अंततः प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़कर देश से भागना पड़ा. 

दंगा में सुलग रहा है नेपाल

भारत का पड़ोसी और मैत्री देश नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगने के बाद बवाल मचा हुआ है. अमेरिका की नजरें नेपाल पर है. चीन और भारत के बीच फंसे नेपाल को अमेरिका अपने पाले में लाना चाहता है. अमेरिका की शर्तों को नहीं मानने की वजह से नेपाल में राजनीतिक उठा-पटक के बाद सोशल मीडिया की आड़ में दंगा भड़का और प्रधानमंत्री ओली को इस्तीफा देना पड़ा.

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