नई दिल्ली: कुछ लोग कहते हैं भारत का हाल भी नेपाल जैसा होगा? मोदी-शाह को भी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी? लेकिन शायद वो भारत की उस ताकत के बारे में नहीं जानते हैं जो न तो नेपाल के पास है ना ही बांग्लादेश के पास है! भारत का हाल न तो कभी नेपाल जैसा होगा ना ही पाकिस्तान जैसा? ऐसी रिपोर्ट दिखाएंगे. आपकी आंख खुल जाएगी! देश विरोधी गैंग सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, वहां के वित्त मंत्री को दौड़ा कर मारा गया तो सोशल मीडिया पर लिखा जाने लगा साड़ी में तो भागने में दिक्कत होगी! इशारा निर्मला सीतारमण की तरफ था! किसान आंदोलन के दौरान लालकिला से भारत का तिरंगा उतार दिया गया था.
वहां खालिस्तानी झंडा लगाने का दावा किया गया था! तो क्या भारत में भी देश विरोधी लोग नेपाल और बांग्लादेश वाला हाल चाहते हैं? ये हैं राकेश टिकैत, इनके आंदोलन के दौरान ही लालकिला से झंडा उतारा गया था...इनका दावा होता है कि भारत में भी बांग्लादेश वाला हाल होगा, बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान भारत में कई बयान दिए गए थे...टिकैत का दावा था बांग्लादेश जैसा आंदोलन भारत में भी होगा! आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी कुछ ऐसा दावा करते रहे हैं! लेकिन भारत में कोई ऐसा करने की हिमाकत करेगा तो क्या होगा थोड़ा समझिए!
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि भारत ताकतवर देश हैं, विदेशी ताकतें ऐसा करना चाहती हैं लेकिन वो कामयाब नहीं हो सकती हैं, क्योंकि यहां का लोकतंत्र मज़बूत है! नरेंद्र मोदी जैसा ताकतवर नेता है, भारतीय सेना को सत्ता में बैठने का अधिकार संविधान नहीं देता है, विपक्ष ताकतवर है लेकिन उसके पास जनता की संवेदना नहीं है, देश में महंगाई या भ्रष्टाचार का कोई ख़ास मुद्दा नहीं है? कई बार कोशिश की गई लेकिन हर बार कोशिश धड़ाम हो गई? भारतीय लोकतंत्र की संरचना को समझना होगा!
रशिया की सरकारी मैगजीन का दावा था कि भारत में डीप स्टेट एक्टिव है, स्पूतनिक मीडिया की रिपोर्ट कुछ महीने पहले आई थी...स्पूतनिक ने अपनी रिपोर्ट में बीजेपी सरकार को गिराने की अमेरिकी साजिश का दावा किया था...रूसी मीडिया ने अमेरिकी राजदूत और कुछ अधिकारियों के साथ बार-बार भारत के विपक्षी नेताओं के साथ बैठक करने पर चिंता व्यक्त की है....रशिया की मीडिया का दावा था.
CIA विपक्ष के कुछ नेताओं के साथ लगातार संपर्क में है और मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में अविश्वास पैदा करने के लिए परिस्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रही है…CIA का पहला लक्ष्य चंद्रबाबू नायडू की मदद से उनका समर्थन वापस पाना है. मोदी विरोधी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, सोशल मीडिया हस्तियों, उद्योगपतियों और कलाकारों समेत कई लोगों को इस अभियान के लिए व्यवस्थित तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है..
कुछ समय पहले ही उपराष्ट्रपति पद से अचानक धनखड़ ने इस्तीफा दिया...ये दावा भी किया जा रहा था. वो किसी उद्योगपति के साथ मिलकर एक मैसेज पास करना चाहते थे. लेकिन इसके पहले ही उनको इस्तीफा देना पड़ा, राकेश टिकैत किसान नेता हैं लेकिन जाट समाज से आते हैं, धनखड़ भी जाट समाज से ही आते हैं, टिकैत ने खुलकर कहा था...20 लाख ट्रैक्टर से दिल्ली घेर लेंगे....इशारों ही इशारों में हमारे देश के लोग भी ऐसी ही तस्वीर चाहते हैं, लेकिन उनकी मंशा पूरी नहीं हो सकती है, क्योंकि जनता अभी न तो मोदी से नाराज़ हैं ना ही वो चाहती हैं कि सत्ता बदले! इसलिए CIA की कोशिश भारत को परेशान तो कर सकती है, लेकिन एक इंच हिला नहीं सकती है...