नई दिल्ली: आजम खान को जेल से छुड़ाया किसने, ये सवाल हर किसी के दिमाग में घूम रहा है, कोई कह रहा है योगी ने मेहरबानी दिखाई, तो कोई कह रहा है मायावती अपनी पार्टी में इन्हें बुलाने वाली हैं, इसलिए सियासी सेटिंग हुई है, लेकिन अंदरखाने सच्चाई क्या है, ये सुनेंगे तो आपके भी शायद होश उड़ जाएं, सूत्र बताते हैं आजम खान ने जब जेल से चिट्ठी भेजवाई थी कि वो सपा से नाराज हैं, तो अखिलेश यादव के अक्ल ठिकाने आ गए थे, और उसके बाद उन्होंने अपने दो खास दूत मैदान में उतारे, जिनमें से एक का नाम है इमरान उल्लाह.
ये अखिलेश यादव के कितने खास हैं, आप इन तस्वीरों में देख लीजिए, ये यूपी के अपर महाधिवक्ता रह चुके हैं, यानि कानून के बहुत बड़े जानकार हैं, पुरानी सरकार में यानि जब योगी मुख्यमंत्री नहीं हुआ करते थे, तब इमरान उल्लाह अदालत में सरकार का पक्ष रखा करते थे, और इन्होंने ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में आजम खान का पक्ष रखा, और जो दलील दी, उसने आजम को फटाफट राहत दिलवा दी, वो दलील क्या थी, उसे अगर सुनेंगे तो आपको कपिल सिब्बल जैसे वकील की याद आ जाएगी.
क्योंकि आजम खान के ऊपर एक ऐसा मुकदमा था, जिसमें उनके वकील नासिर सुल्तान पर भी गवाह को धमकी देने का मुकदमा दर्ज हो चुका था, खुद आजम खान 90 से ज्यादा मुकदमे झेल रहे थे, एक में बेल मिलती तो दूसरे में खारिज हो जाती, हालत ये तक हो गई कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद पुलिस ने 3 धाराएं बढ़ा दी, लेकिन उसके बाद इमरान उल्लाह ने जो किया, उसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे.
दरअसल इमरान उल्लाह ने पहले आजम खान के खिलाफ लंबित एक केस में कहा याची के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा ही तीन साल बाद दर्ज किया है. माई लॉर्ड हमारे मुवक्किल को बेवजह परेशान किया जा रहा है, उसके बाद जब धाराएं बढ़ाई गईं, और जमानत रोकने की कोशिश हुई, तो इमरान उल्लाह कोर्ट को ये समझाने में सफल रहे कि आजम खान को जबरन जेल में रखने की कोशिश की जा रही है.
कहा जा रहा है इन्होंने आजम खान की फाइल देखकर वो-वो जानकारियां निकाली, जिस पर शायद अब तक के वकीलों का ध्यान नहीं गया था, नतीजा आजम खान को दूसरी बार खुली हवा में सांस लेने का मौका मिला, आप शायद ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि संभल के सपा सांसद जियाऊर्रहमान बर्क को बचाने वाले भी यही वकील साहब हैं. जब पूरा पुलिस प्रशासन ये कह रहा था बर्क की भूमिका की हम जांच कर रहे हैं, बर्क से पूछताछ तक हो चुकी थी, किसी भी वक्त गिरफ्तारी की चर्चा होने लगी थी, तब इमरान उल्लाह ने बर्क के पक्ष में हाईकोर्ट में ऐसी दलील दी कि प्रशासन के भी होश उड़ गए.
हालांकि ये भी एक सच्चाई है कि बर्क और आजम की आपस में बिल्कुल नहीं बनती, आजम इस बात से भी खफा होंगे कि बर्क को साथ लेकर अखिलेश क्यों घूम रहे हैं, इसकी नाराजगी उन्होंने चिट्ठी में जाहिर भी की थी, और अब जेल से निकलने के बाद इमरान उल्लाह को थैंक्स कहेंगे या अखिलेश को बाय कहेंगे, ये वो जानें. पर 22 सितंबर को सीतापुर जेल में रिहाई का फरमान मिलने की ख़बर जैसे ही सामने आई, आजम के समर्थकों ने इधर राहत की सांस ली, उधर पूरी रात जेल प्रशासन चौंकना रहा, सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई. क्योंकि बड़े नेता का जेल जाना हो या जेल से छूटना प्रशासन के लिए हमेशा चुनौती वाली ड्यूटी होती है.