पूर्वांचल में बाहुबली नेताओं की बैठक, मुख्तार के बाद कौन कंट्रोल कर रहा है पूर्वांचल?

Abhishek Shandilya 23 Sep 2025 10:22: AM 5 Mins
पूर्वांचल में बाहुबली नेताओं की बैठक, मुख्तार के बाद कौन कंट्रोल कर रहा है पूर्वांचल?

नई दिल्ली: मुख्तार अंसारी के जाने के बाद पूर्वांचल की सियासत में कई नए बदलाव आए हैं! पूर्वांचल में मुख्तार-अतीक को छोड़ दिया जाए तो बाहुबली नेताओं में ठाकुर नेताओं का बड़ा दबदबा रहा है! पूर्वांचल और अवध की सियासत में कई ठाकुर नेता ऐसे हैं जिनका इतिहास अपराध की दुनिया में भरा रहा! हालांकि बाद में वो माननीय हो गए! CM योगी आदित्यनाथ ने सियासत को पूरी तरह बदल दिया है! कोई कितना भी ताकतवर बाहुबली हो उसको दो कायदा नहीं तोड़ना है- पहला किसी भी गैंग में गैंगवार नहीं होनी चाहिए!

दूसरा: कोई भी अपराध में लिप्त पाया गया तो बचेगा नहीं! कहते हैं ये नियम उन सभी के लिए जो बाहुबली होते हुए राजनीत में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं! ख़बर है कि कुछ दिनों पहले पूर्वांचल के बाहुबली ब्रजेश सिंह के घर एक बैठक हुई थी. जिसमें पूर्वांचल के 6 नेताओं को बुलाया गया था...इस मीटिंग में कुछ ऐसे लोग भी पहुंचे थे, जो बाहुबली तो नहीं थे लेकिन टेंडर और ठेका में अहम भूमिका निभाते रहे हैं! डॉन बैठक इसलिए हुई ताकि टेंडर और ठेका किसी बाहरी इंसान को ना मिले, आपस में ही सब लोग बांट लें...ऐसी डॉन बैठक पहले भी हो चुकी हैं, 2003 में अजीत सिंह के कहने पर राजा भैया ने डॉन बैठक बुलाई थी! बैठक का एजेंडा था, कोई भी दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करेगा!

मुख्तार की मौत के बाद पूर्वांचल के बाहुबली नेताओं का मुख्य केंद्र वाराणसी बन गया है, यहां से जौनपुर, मिर्जापुर, भदोही, सोनभद्र, सुल्तानपुर, और गाज़ीपुर, आज़मगढ़, चंदौली सबकुछ नज़दीक है, पूर्वांचल का कोर ज़िला लगभग 20 है!  प्रयागराज का डॉन अतीक अहमद रहा नहीं, अब प्रयागराज में योगी सरकार के एक मंत्री का पूरा कंट्रोल बढ़ गया है! भदोही के माफिया विजय मिश्रा जेल में हैं, भदोही पर मिर्जापुर के एक नेता कंट्रोल चाह रहे हैं, भदोही के विधायक उदयभान सिंह फिलहाल उम्रकैद की सज़ा काटकर बाहर आ चुके हैं, लेकिन उनका परिवार अब वाराणसी में रहता हैं, उनका लड़का भी वाराणसी में जम गया है! सुल्तानपुर में सोनू-मोनू की हालत भी खस्ता हो चुकी है, सुल्तानपुर में अब जौनपुर का वर्चस्व बढ़ा है!

जौनपुर में धनंजय सिंह का सिक्का चलता है, बीजेपी की सरकार में उन्हें कोई ख़ास दिक्कत नहीं होने वाली है! चंदौली से बाहुबली ब्रजेश सिंह, उनके परिवार के ही बीजेपी विधायक सुशील सिंह की रफ्तार बढ़ रही है! मिर्जापुर और वाराणसी में कंट्रोल कर रहे हैं बाहुबली नेता BJP MLC विनित सिंह! गाज़ीपुर खाली हो चुका हैं, मऊ का कोई माफिया नहीं रहा, आज़मगढ़ में कोई बड़ा माफिया नहीं रहा, कुंटू सिंह के जेल जाने के बाद वहां भी कहानी ख़त्म हो गई है! यानि पूरा कंट्रोल वाराणसी के हाथ में है? वाराणसी पर पहले से ही कंट्रोल ब्रजेश सिंह का रहा है? ये बैठक भी वाराणसी में हुई है? इसमें कौन कौन शामिल हुआ, कोई ठोस सूचना नहीं है लेकिन आस-पास के बाहुबली नेता शामिल हुए थे, मुद्दा था किसी के टेंडर में कोई दूसरा टांग नहीं लड़ाएगा! इस बैठक का मतलब क्या निकाला जा रहा है?

वाराणसी की ताकत का अंदाज़ा आप इस तस्वीर से लगाइए, ये तस्वीर ब्रजेश सिंह के बेटे सागर सिंह के रिसेप्शन की है...कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह भी पहुंचे थे, ब्रजेश सिंह का बेटा सागर सिंह ने साथ में फोटो खिंचवाई थी! मुख्तार अंसारी के जाने के बाद ब्रजेश सिंह का कंट्रोल वाराणसी के साथ पूर्वांचल पर बढ़ गया है, लेकिन कोई भी बाहुबली नेता जिसके दामन पर कई दाग लगे हो वो योगी की सरकार में बचकर चलना पसंद कर रहा है! ज्यादातर बाहुबली संत बनने की राह पर दिखते हैं, लेकिन असल में सरकारी टेंडर का आंनद अभी भी जारी है!

मिर्जापुर से विनित सिंह जो बाहुबली कहे जाते हैं, वो फिलहाल बीजेपी से MLC हैं, उनका बेटा विधासभा चुनाव 2027 की लड़ाई की तैयारी में जुटा है.यानि माफिया हो या बाहुबली योगी की सरकार में ख़बरों से दूर रहना पसंद करते हैं! लेकिन अंदर खाने अभी भी सिस्टम उनका काम कर रहा है! वाराणसी के पास ही सोनभद्र है, सोनभद्र में ही खनन का कारोबार बढ़ रहा है, सोनभद्र को सोने की चिड़िया कहा जाता है, सोनभद्र पर सबकी नज़रें टिकी हैं...लेकिन कहानी यहां ख़त्म नहीं होती है! पूर्वांचल का कंट्रोल बेशक वाराणसी में बढ़ा हो लेकिन कुंडा की सियासत में दम भी बढ़ा है, राजा भैया फिलहाल योगी आदित्यनाथ के सबसे करीब हैं, राजा भैया अपनी बाहुबली वाली छवि को बदलकर एक सामान्य व्यक्ति की करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो संभव नहीं है.

उनकी पत्नी के साथ उनका एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें उनकी हंसी बता रही है, वो आज भी ताकतवर हैं, कल भी थे, कल भी रहेंगे! (ऑडियो लगाए) हालांकि पूर्वांचल में कुर्सी पर कोई भी बैठता है नियम एक रहता है, ठाकुर नेताओं में आपसी दुश्मनी नहीं होगी! इसका नतीजा देखिए! कभी धनंजय सिंह और अयोध्या के अभय सिंह के बीच कांटे की दुश्मनी थी...हालांकि पहले वो दोस्त हुआ करते थे, लेकिन एक शूटआउट ने दोनों को दुश्मन बना दिया था! नवल कांत सिन्हा ने साल 2004 में 'मौत माफिया और सियासत' नाम की एक किताब लिखी थी.

पूर्वी उत्तर प्रदेश के माफिया और राजनीति पर सालों पहले लिखी गई इस किताब में अभय और धनंजय की दोस्ती से लेकर जानी दुश्मन बनने तक की पूरी कहानी है...साल 2002 था...बाहुबली अभय सिंह ने BSP के टिकट पर दांव लगाया लेकिन वो हार गए, जबकि धनंजय सिंह ने लोक जन शक्ति पार्टी से दांव खेला वो सदन तक पहुंच गए, बताया जाता है कि इस हार के बाद धनंजय सिंह ने दोस्ती तोड़ दी, दोनों में दुश्मनी की शुरूआत हो जाती है! 4 सितंबर 2002 वाराणसी का नदेसर, यहां धनंजय सिंह पर हमला होता है, हमले में धनंजय बच गए लेकिन अभय सिंह दुश्मन बन गए, हालांकि कहा जाता है दोनों नेताओं में पूर्वांचल के एक बड़े ठाकुर नेता ने समझौता करवा दिया है! अब दोनों दुश्मन तो नहीं हैं.

बेशक दोस्त भी नहीं हैं! UP की सियासत में पूर्चांचल के पास कंट्रोल रहा है! पूर्वांचल में बीजेपी के कई बड़े ठाकुर नेता दिल्ली तक पहुंचे! कहा जाता हैं कि कोई कितना भी बड़ा बाहुबली हो, लेकिन राजनाथ सिंह के सामने सरेंडर हो जाता है! पूर्वांचल का कोई कितना बड़ा तूफान हो राजनाथ सिंह की बात को नहीं काट सकता है! अब बात फिर वहीं आ जाती है, पूर्वांचल में क्या डॉन बैठकों का दौर अब भी जारी है?

यानि मुख्तार के जाने के बाद नए समीकरण बन गए हैं, समीकरण का फायदा किस पार्टी को होगा? अखिलेश यादव बार बार पूर्वांचल के ठाकुर नेताओं की कुंडली निकाल कर मीडिया को बताते हैं लेकिन इससे योगी को ख़ास फर्क नहीं पड़ता है! कुछ लोगों का मानना हैं कि जिन्होंने अपराध किया, उन्हें कोर्ट ने सज़ा दी, अब वो शांत हैं, सामान्य जीवन जीते हैं, पूर्वांचल में किडनैपिंग, हत्या, जैसे अपराध से माफिया या बाहुबली दूर हैं, ऐसे में योगी आदित्यनाथ को कोई परेशानी नहीं हो रही है, बल्कि उन्हें पूर्वांचल की सियासत में जमे रहने में ये सभी फायदा पहुंचा रहे हैं!

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