नई दिल्ली : नेपाल के बाद तुर्की की राजनीति में इन दिनों उथल-पुथल मची हुई है. राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन की सरकार पर विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (CHP) को कमजोर करने के आरोप लगे हैं. कुछ दिनों पहले ही अदालत ने CHP की इस्तांबुल इकाई के 2023 के आंतरिक चुनाव को रद्द कर दिया. वहीं, प्रदेश प्रमुख ओज़गुर सेलिक को पद से हटाकर एक अस्थाई कमेटी नियुक्त कर दिया. इस फैसले ने विपक्षी खेमे में गहरी नाराजगी है.
CHP के राष्ट्रीय नेता ओज़गुर ओज़ेल ने इसे कानूनी तख्तापलट करार देते हुए कहा कि अदालत का यह फैसला न्यायिक अधिकारों के दायरे से बाहर है. इसे सत्ता पक्ष की राजनीतिक मंशा से जोड़ा जा रहा है. इस मामले को लेकर ओज़ेल ने जनता से सड़कों पर उतरकर लोकतंत्र की रक्षा करने की अपील की है.
माहौल हुआ तनावपूर्ण
न्यायालय के फैसले के बाद इस्तांबुल स्थित CHP कार्यालय पर भारी संख्या में पार्टी समर्थक इकट्ठा हुए. जिसके बाद माहौल बेहद ही तनावपूर्ण हो गया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए काली मिर्च स्प्रे और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. वहीं, कई प्रदर्शकारियों को हिरासत में ले लिया. पार्टी के कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह केवल अदालती आदेश को लागू करना नहीं बल्कि विपक्ष की आवाज दबाने की रणनीति है.
अर्थव्यवस्था पर हुआ असर
अदालत के फैसले के बाद तुर्की में मचे राजनीतिक घटनाक्रम का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. प्रमुख शेयर सूचकांक BIST-100 में भारी गिरावट हुई. अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक राजनीतिक अस्थिरता बनी रहेगी, निवेशकों का भरोसा नहीं जीता जा सकेगा. इससे आर्थिक दबाव भी बढ़ सकता है.
काफी दिनों से चल रहा है विवाद
तुर्की में यह विवाद नया नहीं है. इससे पहले मार्च 2025 में इस्तांबुल के मेयर और CHP के बड़े नेता एकरेम इमामोग्लू को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद विवाद बढ़ गया था. कुछ ही दिनों के बाद उन्हें एक अलग मामले में सार्वजनिक अधिकारी का अपमान करने के आरोप में सजा भी सुनाई गई. इमामोग्लू ने हमेशा खुद को निर्दोष बताते हुए सरकार पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई का आरोप करार दिया था.