टीएमसी नेता गाँव में चुनावी प्रचार करने पहुंची थीं. लेकिन उन्हें क्या पता था कि जनता उनका स्वागत नहीं करेगी बल्कि खदेड़ देगी। जी हाँ टीएमसी नेता पहुंची तो थी जनता को लुभाने, नए-नए चुनावी वादे करने लेकिन ये क्या जनता ने तो उनकी एक न सुनी। आलम ये हो गया कि प्रचार बीच में छोड़कर सताब्दी रॉय को उल्टे पाँव ही लौटना पड़ गया. टीएसमी नेता की फजीहत का ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है. खासकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है एक शख्स के बयान की. क्योंकि उसने टीएमसी नेता के सामने ही कह दिया कि ममता सरकार से उनको ही पैसा मिलता है जिनकी बीवी सुंदर होती है.
सताब्दी रॉय बीरभूम के रौताड़ा गाँव में पहुंची तो जनता ने अपनी शिकायतों का अम्बार लगा दिया। वहां मौजूद शेख सैफुल नाम के शख्स ने कहा कि मुझे ये बात साफ कही गई है जिनकी बीवियाँ सुंदर होती हैं सिर्फ उन्हें ही सरकारी योजनाओं के तहत पैसा मिलता है। जिनकी बीवियाँ सुंदर नहीं होतीं उन्हें कोई लाभ नहीं मिलता।
संदेशखाली की महिलाओं ने जो चौकाने वाले खुलासे किए थे उसे लेकर बंगाल की ममता सरकार पहले ही बुररी तरह घिरी हुई है. इसी बीच जब ममता सरकार पर इतना गंभीर आरोप लग गया तो तहलका मचना तो स्वाभाविक है. इस शिकायत की वीडियो सामने आने के बाद भाजपा ने मुद्दा उठा लिया। ममता बनर्जी पर गुस्सा जाहिर करते हुए पार्टी ने कहा कि टीएमसी सिर्फ लोगों का दिमाग असलियत से भटकाना चाहती हैं। ये सच है कि बंगाल का हर गाँव अब संदेशखाली बन रहा है। हालांकि जब विवाद बढ़ा तो टीएमसी ने सफाई देते हुए इन तमाम आरोपों से किनारा कर लिया। ऐसे में अब जानकारों का दावा है कि ये केस संदेशखाली का मामला उजागर होने के बाद सामने आया है। शुरू में जैसे संदेशखाली का मुद्दा दबाने का प्रयास हुआ वैसे ही शेख सैफुल की कही बात भी दबाने की कोशिश हो रही है, लेकिन सैफुल शेख समेत अन्य लोगों की शिकायतों की वीडियो अब वायरल है। दावे में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, मगर पिछले दिनों जिस प्रकार की घटनाएँ बंगाल से सामने आई हैं वो ये सोचने पर मजबूर करती हैं कि वहाँ आखिर लोकल जनता के साथ हो क्या रहा है। संदेशखाली वाले मामले में भी स्थानीयों ने आरोप लगाए थे कि सुंदर महिलाओं को बुलाकर टीएमसी के गुंडे साथ ले जाते हैं। अब लोग तंज कस रहे हैं कि जिस राज्य की सीएम ही महिला है वहां भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं