NIA के 6 सवाल पर अब्दुल रहमान का भयंकर खुलासा! परिजनों की बात पर क्यों नहीं हो रहा विश्वास

Abhishek Shandilya 06 Mar 2025 07:36: PM 4 Mins
NIA के 6 सवाल पर अब्दुल रहमान का भयंकर खुलासा! परिजनों की बात पर क्यों नहीं हो रहा विश्वास
  • पाकिस्तान का संदेश, अब्दुल दौड़ा राम मंदिर के करीब, RAW ने भेजा था अल्टीमेटम, पूछताछ में भयंकर खुलासा!
  • राम मंदिर निशाना था, योगी को रूलाना था, ऐसा प्लान था, IB-RAW भी हैरान, अब्दुल के कबूलनामे से हड़कंप!
  • प्रतिबंधित ऐप का सहारा,4 मार्च को अयोध्या में पूरा करता मकसद, एक गलती और दबोचा गया देश का दुश्मन!

नई दिल्ली: चेहरे पर हल्की दाढ़ी, मदरसे से पढ़ा अब्दुल हिन्दुस्तानी ज़मीन पर पैदा होता है. मंसूबा ऐसा कि आपको पहली नज़र में यक़ीन नहीं होगा. 1500 किलोमीटर तक देश की अलग-अलग एजेंसी पीछा करती है. फिर जो होता है वो हर हिन्दुस्तानी को ध्यान से सुनना चाहिए. अब्दुल के पास दो मकसद था. पहला योगी आदित्यनाथ को चोट पहुंचाना, दूसरा राम मंदिर को गिराना.

अयोध्या के मिल्कीपुर का रहने वाला अब्दुल किस पार्टी के आशीर्वाद से ये सब कर रहा था. ये खुलासा भी चौंकाने वाला है. यूपी की सीमा के ठीक बगल में हरियाणा का फरीदाबाद है. यहां के गांव पाली में रविवार को अचानक गुजरात ATS पहुंचती है. हरियाणा की एसटीएफ साथ होती है. चारों तरफ से गांव को घेरा जाता है. गांव पाली के लोग हैरान होते हैं कि उनके गांव को एसटीएफ और एटीएस ने क्यों घेरा है.

इलाके के हर रास्ते को बंद कर दिया जाता है. 19 साल के अब्दुल को गिरफ्तार करने के लिए एटीएस और एसटीएफ जवान पैदल ही उसके ठिकाने तक पहुंचते हैं. जब उसे दबोचा गया तो हुलिया और उम्र देखकर किसी को यक़ीन नहीं था कि इसका प्लान इतना ज्यादा ख़तरनाक होगा. गिरफ्तारी के बाद अब्दुल रहमान से पूछताछ के लिए NIA और IB की टीम निकलती है. उसके बाद जो सच सामने आता है, वो दंग कर देगा.

  1. NIA-IB के अधिकारी: अब्दुल तुम्हारा प्लान क्या था. किसके कहने पर तुम राम मंदिर की रेकी कर रहे थे. और किसने टास्क दिया था?
  2. अब्दुल का कबूलनामा: मैंने राम मंदिर की रेकी की थी, क्योंकि मुझे अपना मंसूबा पूरा करना था. लेकिन गिरफ्तार हो गया.
  3. NIA-IB के अधिकारी: अयोध्या से दिल्ली कब गए, विशाखापट्टनम क्यों गए, मरकज़ में भी तुम गए थे?
  4. अब्दुल का कबूलनामा: मैं अयोध्या से निकला, दिल्ली पहुंचा, यहां मरकज में शामिल हुआ था. फिर मैं विशाखापट्टनम भी गया.
  5. NIA-IB के अधिकारी: तुम्हारा प्लान क्या था. तुम अयोध्या में क्या करने वाले थे, ये हथियार कहां से आए?
  6. अब्दुल रहमान का कबूलनामा: मैं फरीदाबाद रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचता. वहां से ट्रेन लेता और सीधे अयोध्या जाता, मैं सुरक्षा जांच से बचना चाहता था. तीन और चार मार्च के दिन अयोध्या में मंसूबे को अंजाम देना था.
  7. NIA-IB के अधिकारी: हमारे पास जानकारी है कि तुम पाकिस्तानी आका अब सूफियान के संपर्क में थे. क्या प्लान था, पूरी बात क्या है?
  8. अब्दुल रहमान का कबूलनामा: मुझे वहां से निर्देश मिल रहा था. एक ऐप के जरिए वीडियो कॉल पर बात होती थी,  मुझे बताया गया था कि कैसे बिना सुरक्षा एजेंसियों के जाल में फंसे अयोध्या में मंसूबा कामयाब कर सकता हूं.
  9. NIA-IB के अधिकारी: तुम बैटरी वाली ई-रिक्शा चलाते थे. फिर ये प्लान कहां से आया, ये बदले का प्लान किसके कहने पर बनाया?
  10. अब्दुल रहमान का कबूलनामा: अयोध्या में राम मंदिर नहीं था, बाबरी मस्जिद थी. मैं राम मंदिर गिराने वाला था. लेकिन अफसोस उसके पहले ही गिरफ्तार हो गया.
  11. NIA-IB के अधिकारी: तुम्हें ये सामान कहां से मिला, किसने दिया, तुम्हें ये सब इस्तेमाल करना किसने सीखाया?
  12. अब्दुल रहमान का कबूलनामा: यहीं एक हैंडलर ने दिया था, उसने गड्ढे में इसे छिपा दिया था, वहां से मैंने उठाकर बैग में रख लिया, देसी तमंचा भी बनाना जानता हूं, सब वीडियो कॉल पर ही सीखा है.

अब्दुल ने पूछताछ में ऐसे ही कई और चौंका देने वाले खुलासे किए हैं, जो साफ इशारा करता है, कहानी थोड़ी बड़ी है. जरा विस्तार से समझिए, ये स्लीपर सेल का एजेंट बन चुका था. इसके तार झारखंड, विशाखापट्टनम, गुजरात और फरीदाबाद के साथ यूपी के कई स्लीपर सेल के साथ जुड़ चुके हैं. फरीदाबाद से अगर ये गिरफ्तार नहीं होता होता तो ये अयोध्या में राम मंदिर के करीब पहुंच जाता. क्योंकि परिवार जो कहानी बता रहा है, और अब्दुल जो बता रहा है, दोनों में कोई समानता नहीं है. यानि 10वीं तक पढ़ने वाला अब्दुल अयोध्या से दिल्ली पहुंचता है, वहां मरकज में पहुंचता है, वहां उसे कुछ लोग कई संदिग्ध से मुलाकात करवाते हैं. सूत्र कहते हैं कि आज पिता बेशक अब्दुल को निर्दोष बता रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि अब्दुल ने दिल्ली से कुछ पैसे अपने घर मिल्कीपुर भी भेजे थे. वो घरवालों के लगातार कॉन्टैक्ट में भी था.

अब्दुल सोशल मीडिया पर योगी की लोकप्रियता और राम मंदिर पर बढ़ती भक्तों की भीड़ से गुस्से में था. इसलिए जब वो दिल्ली के मरकज में पहुंचा तो उसका कनेक्शन देश के दुश्मनों के साथ करवाया जाता है. और वो हथियार उठाने के लिए तैयार हो जाता है. मिल्कीपुर में अब्दुल का पिता चिकन शॉप की दुकान चलाता है. दुकान का नाम भी अब्दुल के नाम पर ही रखा था. पूछताछ में ये भी पता चला कि फरीदाबाद में वो दिन में भीख मांगता था. रात में गांव के एक ट्यूबेल में रहता था. जहां उसने हथियार छिपाए थे. हरियाणा के फरीदाबाद का ये वही ट्यूबेल है जहां अब्दुल रहता था.

भारत की एजेंसी को शक है कि ये मॉड्यूल का हिस्सा है. अब्दुल के साथ कई और दुश्मन भारत के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहे थे, अब्दुल इसलिए पकड़ा गया, क्योंकि वो जिस फोन से पाकिस्तानी एजेंसी के साथ संपर्क में था. उस फोन को गुजरात एटीएस की टीम ट्रैक कर रही थी. ऑपरेशन कई दिनों से चल रहा था. ये जिस दिन अयोध्या निकलने वाला था. ठीक उसी दिन देश के जवानों ने दबोच लिया. यहां अजीब बात ये है कि ई-रिक्शा चलाने वाला अब्दुल, कई महंगे शहर में घूमने कैसे जाता है, वो मरकज जाता है तो फिर घर पर पैसा कैसे भेजता है, भीख मांगने का नाटक क्यों करता था? फरीदाबाद के जिस ट्यूबेल के पास ये रहता था. वहां पर किसी को शक क्यों नहीं होता है?

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