बीच सड़क पर एक स्कूटी और एक बाइक नजर आती है, बाइक सवार फुरकान, बीच सड़क लड़की की कमर पर हाथ मारता है, हवा में उड़ते दुपट्टे पर झपट्टा मारता है, लेकिन उसे कोई नहीं रोक पाता, क्योंकि हाइवे पर वो लड़की अकेली थी, अगर वो स्कूटी नहीं संभाल पाती तो उसके साथ फुरकान क्या करता, आप अंदाजा लगा लीजिए. फुरकान को लगता है लखनऊ की हाइवे पर भला कौन पकड़ेगा, पर 48 घंटे बाद जो उसकी तस्वीर सामने आती है, उसमें वो चलने लायक नहीं नजर आता, जिन हाथों से दुपट्टे पर झपट्टा मारा था, उन हाथों को पुलिस में पट्टी लगी थी, जिसे देखकर सबने यही कहा कि ऐसे लोगों का यही इलाज होना चाहिए, पर इसकी कहानी सिर्फ इतनी नहीं है, बल्कि फुरकान ने जो दिमाग लगाया था, वो आपको भी हिलाकर रख देगा.
जिस बाइक को ये रॉकेट बनाकर घूम रहा था, वो बाइक इसने एक दुकानदार से मांगी थी. अमरीश नाम के आदमी ने अपनी बाइक मैकेनिक को ये गाड़ी दी थी, और कहा था कि कोई खरदीदार मिले तो बताना, मतलब वो अपन बाइक बेचना चाहता था, और फुरकान ने ये कहकर ये बाइक ले ली कि पहले चलाकर देखता हूं, फिर सोचूंगा. पर उसके दिमाग में एक ऐसा खुराफात चल रहा था, बाइक मालिक अमरीश ने सोचा भी नहीं होगा. क्या वो अमरीश को फंसाना चाहता था, ये भी बड़ा सवाल है. मामला लखनऊ के लुल्लू मॉल के सामने का है, लेकिन एफआईआर बिजनौर थाने में दर्ज होती है. जिसके बारें वो लड़की एक डिजिटल चैनल से बातचीत में बताती है...
''29 सितंबर को ऑफिस में मीटिंग के बाद डिनर था. इस वजह से वह घर जाने के लिए लेट हो गई थी. लूलू मॉल के पास पहुंचने पर लगा कि कोई मुझे फॉलो कर रहा है. लग रहा था किसी तरह शहीद पथ से नीचे उतरूं और भीड़-भाड़ वाली जगह मिले, मदद मिले. लेकिन पीजीआई मोड़ के पास जैसे ही पहुंची वो मेरी कमर पर हाथ मारकर चला गया, पीछे से आ रहे कुछ लोगों ने इसका वीडियो बना लिया, मैंने 112 पर कॉल करके सूचना दी. पुलिस ने पहले कहा आशियान थाने में एफआईआर कीजिए, फिर पीजीआई थाने, सुशांत गोल्फ सिटी और कृष्णानगर थाने पर बात टालते रहे. एक दिन में चार-चार थानों के चक्कर काटे, आखिर में बिजनौर में केस दर्ज हुआ.
बिजनौर पुलिस ने जैसे ही एफआईआर दर्ज की, उसके सामने पहला सवाल यही था कि बाइक नंबर यूपी 32 जीडी 4080 का मालिक कौन है, कागजों के आधार पर पुलिस बाइक मालिक अमरीश वर्मा तक पहुंचती है, वो कहता है, मैं तो उस दिन शहर से बाहर था, मैंने अपनी बाइक मैकेनिक को बनाने के लिए दी थी, अब पुलिस उस मैकेनिक के पास जाती है, तो वो कहता है फुरकान मेरा दोस्त है, वो लुल्लू मॉल में काम करता है, वही बाइक लेकर गया था, उधर फुरकान लखनऊ में घटना को अंजाम देने के बाद सीतापुर में सो रहा होता है.
जहां से पुलिस उसे पहले उठाती है, फिर उसका अपनी भाषा में इलाज करती है और उन बिगड़ैल शोहदों को ये साफ संदेश देती है कि रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला लड़की के साथ गलत करोगे तो बचोगे नहीं, क्योंकि योगी बाबा का साफ आदेश है इस चौराहे पर कोई गलती करे तो अगले चौराहे पर उसे अंजाम पता हो जाना चाहिए. लेकिन इतनी सख्ती के बाद भी फुरकान जैसे कुछ लोगों के अंदर इतनी हिम्मत आ कहां से रही है. ये पुलिस को पता करना होगा, पर उससे भी बड़ी बात ये है कि अगर आप किसी मैकेनिक को अपनी बाइक या कार दें तो ये तय करें कि वो किसी फुरकान को न दे दे, क्योंकि यहां पीछे वालों ने वीडियो नहीं बनाया होता, सही शिनाख्त नहीं होता, तो बाइक मालिक भी फंस सकता था.