नई दिल्ली: इंडिया टुडे टीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में बड़ा दावा किया है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश का छोटा सा शहर संभल आतंकवादी संगठनों के लिए एक खतरनाक केंद्र बन गया है. यह शहर अल-कायदा, ISIS, हिजबुल मुजाहिदीन और प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) जैसे संगठनों ने इस शहर को अपने नेटवर्क का अड्डा बनाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, संभल कभी अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) का मुख्य केंद्र था. इसका पहला प्रमुख, मौलाना असिम उमर, जो संभल का रहने वाला था, 2014 में अल-कायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी द्वारा नियुक्त किया गया था. उमर ने अपने भड़काऊ भाषणों से युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित किया. ये भाषण आज भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं और युवाओं को भटकाने का काम कर रहे हैं. 2019 में अफगानिस्तान में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में उमर मारा गया.
आतंकी गतिविधियों से जुड़े लोग
रिपोर्ट में संभल के कई लोगों का जिक्र है, जो आतंकी संगठनों से जुड़े थे. मोहम्मद आसिफ को 2015 में दिल्ली पुलिस ने AQIS के भारत प्रमुख के रूप में गिरफ्तार किया, जो 2023 में सजा पूरी कर रिहा हो चुका है. जफर मसूद को फंड जुटाने और भर्ती करने के आरोप में 2015 में गिरफ्तार किया गया था. असद हिलाल को 2000 में दिल्ली से पकड़ा गया. हबीबुर रहमान और मोहम्मद वसीम, जो पहले इस संगठन से जुड़े थे, अब निजी कारोबार में हैं. एक और नाम है हनीफ, जो हिजबुल के रडार पर था, लेकिन उसका ठिकाना अब अज्ञात है.
SIMI का रहा है पुराना नेटवर्क
संभल का SIMI से भी पुराना रिश्ता है. हिफ्जुर रहमान और रईस अहमद पर इसके लिए काम करने का आरोप लगा था, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. अब ये लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं—एक प्लास्टिक का सामान बेचता है, दूसरा एक निजी स्कूल में पढ़ाता है. हाल ही में, संभल का नाम ISIS के पुणे मॉड्यूल की जांच में भी सामने आया. इसमें शामिल लोग हैं, नाजिम जो संभल-अलीगढ़ रूट पर टैक्सी ड्राइवर था. नोमान, जो अलीगढ़ से गिरफ्तार हस्तशिल्प व्यापारी था. नावेद, इसे उत्तराखंड से पकड़ा गया था. अब्दुल समद, इन्होंने जनवरी 2024 में लखनऊ कोर्ट में आत्मसमर्पण किया, पुणे मॉड्यूल में शामिल था.
फरार और लापता लोग
कई लोग संभल से गायब हैं या फरार हैं. मोहम्मद उस्मान, अल-कायदा से जुड़ा, पाकिस्तान की जेल में बंद है. मोहम्मद शरजील, पाकिस्तान में छिपा हुआ माना जाता है. सईद अख्तर (1998 से गायब), उस्मान (2007 से गायब), और शरजील (2013 से गायब) अभी भी फरार हैं.
संभल क्यों बना आतंकी अड्डा?
रिपोर्ट कहती है कि संभल को आतंकी संगठन एक तरह से "कैंपस भर्ती केंद्र" की तरह इस्तेमाल करते थे. यहां से युवाओं को भर्ती कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाता था. संभल पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई (LIU), दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल, उत्तर प्रदेश एंटी-टेरर स्क्वॉड और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने मिलकर इस रिपोर्ट को तैयार किया है. यह संभल के आतंकी नेटवर्क का सबसे विस्तृत दस्तावेज माना जा रहा है. खुफिया एजेंसियों के लिए संभल अब भी एक संवेदनशील क्षेत्र है. इसका आतंकी इतिहास आज भी इसकी छवि पर भारी पड़ रहा है. एजेंसियां इस शहर पर कड़ी नजर रख रही हैं ताकि भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोका जा सके.