Azam Khan politics: क्या आज़म ख़ान का परिवार बीएसपी की सवारी करने वाला है? समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य आज़म ख़ान फ़िलहाल जेल में हैं, लेकिन उनके बेटे ज़मानत पर बाहर हैं. कुछ दिन पहले लखनऊ में चंद्रशेखर ने एक मुस्लिम सम्मेलन किया. वहां आज़म खान का ज़िक्र नहीं हुआ लेकिन राजनीतिक इशारा मिला कि शायद यूपी में कोई बड़ी राजनीतिक उठापटक होने वाली है. आजम का परिवार अगर बीएसपी में जाता है तो कैसे अखिलेश का सीएम बनने का सपना टूट जाएगा पढ़िए इस रिपोर्ट में...
क्या आजम खान को पार्टी में पराया महसूस होने लगा है, क्या उनकी पत्नी तंजीन फातिमा को ये समझ आ चुका है कि अब न सपा साथ देगी, न अखिलेश यादव, और बेटे अब्दुल्ला आजम को अखिलेश से ज्यादा चंद्रशेखर प्यारे लगने लगे हैं. बीते दिनों की मुलाकात, मुलाकात में हुई बात और पश्चिमी यूपी में बिछती सियासी बिसात तो यही इशारा कर रही है, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि आजम खान क्या साइकिल छोड़कर हाथी की सवारी करेंगे और मायावती के लिए मुस्लिमों के सबसे भरोसेमंद नेता बनेंगे. एक अखबार की कटिंग सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें सूत्रों के हवाले से तीन बड़े दावे किए गए हैं.
ये दावा कितना सही है और कितना गलत ये नहीं कहा जा सकता. ना ही हम इसकी पुष्टि करते हैं. लेकिन बीते दिनों हुए घटनाक्रम बड़े बदलाव की ओर इशारा जरूर करते हैं. आजम खान जब पहली बार जेल से बाहर आए थे, तभी इसकी पटकथा लिखी जा चुकी थी, ऐसे दावे भी किए जाने लगे हैं.
यहां तक कि अब्दुल्ला आजम अब लगता है अखिलेश से ज्यादा चंद्रशेखर को अपना करीबी मानते हैं, तो क्या अब्दुल्ला आजम और चंद्रशेखर मिलकर थर्ड फ्रंट बनाने जा रहे हैं, और अगर ऐसा हो भी गया तो क्या यूपी की सियासत में बड़ा भूचाल आ जाएगा या सिर्फ ये सियासी पैंतरबाजी है. चंद्रशेखर की सियासत देखकर तो ऐसा लगता है जैसे उनके लिए अब दलितों से पहले मुस्लिम हो गए हैं, और आजम खान एंड फैमिली पर तो आज भी रामपुर समेत कई जिलों के मुस्लिम भरोसा करते हैं तो क्या इससे बड़ा बदलाव आएगा, इसे समझने के लिए आजम खान के कद को समझना होगा.
यानि यहां एक बात तो साफ है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले आजम खान अगर कोई दांव चलते हैं, और उससे सपा को नुकसान होता है तो फिर अखिलेश का सीएम वाला सपना न सिर्फ अधूरा रह जाएगा, बल्कि योगी आदित्यनाथ जीत की हैट्रिक लगाकर यूपी की सियासत में नया रिकॉर्ड भी बना सकते हैं. लेकिन यहां एक सवाल ये भी उठता है कि आखिर आजम सपा को नुकसान पहुंचाकर बीजेपी की मदद क्यों करेंगे, और इसके बदले में उन्हें क्या मिलेगा, तो इसका जवाब राजनीतिक पंडित ही नहीं रामपुर का बच्चा-बच्चा भी समझता होगा. लेकिन फिलहाल आजम के परिवार न तो कुछ कहा है, न मायावती की पार्टी की तरफ से कोई जानकारी आई है, आकाश आनंद मायावती की पार्टी में बड़े पद पर पहुंच जरूर गए हैं, लेकिन फैसला मायावती को ही लेना होगा. आजम खान के समर्थक तो इस बात के इंतजार में हैं कि वो जेल से कब बाहर आएंगे.