Azam Khan release: कभी मिनी CM कहे जाने वाले आज़म ख़ान क्या अखिलेश यादव का CM बनने का सपना तोड़ने वाले हैं? BSP में जाने की ख़बरों का सच ऐसा है कि आप भी कहेंगे ये सियासत है, यहां कुछ भी हो सकता है! पश्चिम के एक बड़े मुस्लिम नेता का जेल जाना तय है! आज़म की रिहाई मतलब एक सपा नेता को जेल भेज सकती है! सियासत में समीकरण सेट है, बस सबकुछ आपकी आंखों के सामने आना बाकी है! जनता के मन में 4 सवाल हैं?
...आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ की ताकत BSP में बढ़ रही है, कहा जा रहा है कि अशोक सिद्धार्थ ने ही दिल्ली में मायावती और आज़म की पत्नी तंजीफ फातिमा की मुलाकात करवाई! आज़म ख़ान को BSP में आने का रास्ता और मसौदा इसी मुलाकात में तैयार किया गया है! इसके कई सबूत हैं जो इस बात को साबित कर सकते हैं कि आज़म ख़ान का मन सपा से ऊब चुका है...विदाई की रस्म बाकी है. उधर बसपा में स्वागत की तैयारियां चल रही हैं. आज़म ख़ान का परिवार बड़े से गेट के पीछे गुपचुप तैयारियों का हिस्सा है. बीएसपी के विधायक उमाशंकर सिंह ने मीडिया में साफ बयान दिया है कि अगर वो बसपा में शामिल होते हैं तो उनका स्वागत होगा. इससे पार्टी मजबूत होगी.
आजम खान मायावती जी पर भरोसा जताते हैं तो वो भरोसा करने लायक भी हैं. उन्हें लगता है कि यहां न्याय होगा. लेकिन ये कोई अकेला सबूत नहीं है, इसके कई सबूत हैं कि आज़म खान और अखिलेश यादव में दुश्मनी की तलवार खींच चुकी है! सीतापुर जेल में बंद आज़म ख़ान ने पिछले एक साल से समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली है. शिवपाल यादव को दो बार मिलने के लिए जेल में बुलाया, जबकि चंद्रशेखर भी आज़म के कहने पर ही जेल में मिलने पहुंचे थे! कई सपा नेताओं ने मिलने का आवेदन लगाया लेकिन आज़म ख़ान ने मना कर दिया था!
पत्नी तंजीम फातिमा को सिर्फ अल्हाह पर भरोसा है, बेटा अबदुल्ला कई महीने से बाहर है लेकिन अखिलेश यादव के सभी कार्यक्रम से दूर है! रामपुर में सपा नेता मशकूर अहमद मुन्ना ने आज़म ख़ान को पार्टी से निकालने की पैरवी की है, उन्हें समाजवादी विरोधी बता दिया है! रामपुर के सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी आज़म गुट के नेता नहीं है, यानि आज़म ख़ान को सपा ने एकदम अलग-थलग कर दिया है!
आज़म ने जनवरी 2025 में जेल से एक ख़त लिखा था. जिसमें इंडी गठबंधन पर मुसलमानों के साथ भेदवाव करने का आरोप लगाया था! यानि बगावत दोनों तरफ से तैयार है, लेकिन अखिलेश यादव ये नहीं चाहेंगे कि वो आज़म ख़ान को पार्टी से बाहर करें, वो चाहते हैं आज़म खुद इस बार पार्टी से बाहर जाएं! इसलिए पूरी भूमिका तैयार हो रही है! 2009 में आज़म ने सपा छोड़ दी थी. हालांकि उन्होंने कोई दूसरी पार्टी नहीं ज्वाइन की थी! लेकिन वो मुलायम का दौर था. ये अखिलेश का दौर है! दोनों में ज़मीन आसमान का फर्क है! यानि बसपा में जाने वाली ख़बरें गलत नहीं हैं.
आज़म ख़ान मायावती के मंच पर दिख सकते हैं, दलित और मुस्लिम अगर एक हो जाए तो पश्चिम कई सीटों पर बसपा को फायदा हो सकता है! अब क्या ज़ियाउर्रहमान को योगी आदित्यनाथ जेल में डालना चाहते हैं, इसलिए आज़म ख़ान अगर BSP में जाते है तो बीजेपी का काम आसान हो जाएगाय़ ज़ियाउर्रहमान बर्क के ख़िलाफ़ लगातार संभल में शिकंजा कस रहा है लेकिन वो बार बार बच जाते हैं.
उनपर हिंसा भड़काने, हिंसा की साज़िश रचने और हिंसा करवाने की धारा में मुकदमा दर्ज है! उनके बयान के आधार पर उन्हें चुनाव से पहले गिरफ्तार किया जा सकता है! क्योंकि संभल की जो न्यायिक आयोग की रिपोर्ट आई है, उसके बाद बर्क की नींद उड़ी है! आज़म ख़ान अगर BSP में चले जाते हैं, और बर्क जेल में डाल दिए जाते हैं, तो नया समीकरण भी सबको चौंका देगा? समाजवादी पार्टी के पास फिर पश्चिम में सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा ST हसन ही बच पाएंगे, जिनका टिकट 2024 लोकसभा में काट दिया गया था.
इधर इकरा हसन मुजफ्फरनगर में पार्टी को संभाल सकती हैं, लेकिन मुरादाबाद, बरेली, संभल और रामपुर जैसे ज़िलों का मुसलमान आज भी आज़म के साथ रहना पसंद करता है? पिछले कुछ दिनों से अखिलेश यादव बार बार हर मंच पर दावा कर रहे हैं कि बहुत जल्द समाजवादी पार्टी के मंच पर लोकप्रिय नेता आज़म ख़ान भी होंगे? लेकिन क्या ये सिर्फ हवा में चलाया गया तीर है? THE WIRE की पत्रकार आरफा ख़ानम ने अबदुल्ला आज़म का इंटरव्यू किया है, उसमें वो कहते हैं, ''कुछ ऐहसान होते हैं जो बताए नहीं जाते हैं, कुछ होते हैं जो बताए जाते हैं लेकिन किए नहीं जाते हैं''
अखिलेश यादव नई सपा बनाने की चाहत में हैं, आज़म सपा के संस्थापक सदस्य में से एक हैं, इसलिए भी अपनी नई सपा के चक्कर में शायद अखिलेश यादव को पुराने नेताओं की उतनी ज़रूरत ना हो! अखिलेश यादव की टीम में मुलायम युग के कम नेता दिखाइ देने लगे हैं...अब इसमें क्या कोई सत्ता का खेल है? अचानक आज़म जिनपर लगातार FIR हो रही थी, उन्हें लगातार ज़मानत कैसे मिलने लगी! वो कुछ दिनों में जेल से बाहर होंगे! 2014 की बात है, इस बग्घी पर समाजवादी पार्टी की ताकत में आज़म ख़ान का चेहरा भी दिख रहा है! मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर रामपुर में भव्य कार्यक्रम हुआ था...लेकिन कुछ साल बाद ही योगी आदित्यनाथ सत्ता में आ गए, योगी ने कार्रवाई शुरू की तो समाजवादी पार्टी ने दूरी बना ली!
हालांकि मुलायम के रहते ही योगी ने आज़म को जेल में डाल दिया था...लेकिन इससे सच नहीं बदलता है! आज़म को भी जेल में रहने के दौरान ये समझ आया होगा कि एक संत जिसे कुछ नहीं चाहिए, उसके सामने अकड़ घातक हो सकती है! IAS से जूता साफ करवाने का गुमान ठीक नहीं है, किसी भी अधिकारी की मां को गाली नहीं दी जानी चाहिए, योगी ने आज़म को ये भी समझा दिया कि बुरे वक्त में पार्टी का असली रंग क्या है? समाजवादी पार्टी ने आज़म की सिर्फ राजनीति में इस्तेमाल किया ये भी सच आज़म को दिखने लगा है... तंजीम फातिमा का वो बयान आपको याद होगा, जिसमें उन्होंने कहा था सिर्फ अल्लाह पर भरोसा है? क्योंकि अखिलेश यादव अपनी धुन में है, उन्हें नई सपा चाहिए, इसलिए नए नेताओं को मौका दे रहा हैं, लेकिन आज़म ख़ान का कद बड़ा है, अगर वो बीएसपी में गए तो फिर अखिलेश यादव का CM बनने का सपना 2027 में भी सपना ही रह सकता है!