बदायूं पर सबसे बड़ा खुलासा, साजिद को मिला था पाकिस्तान से मैसेज?

Global Bharat 21 Mar 2024 3 Mins
बदायूं पर सबसे बड़ा खुलासा, साजिद को मिला था पाकिस्तान से मैसेज?

बदायूं में जो कुछ भी हुआ, उसकी कहानी क्या सीमापार पाकिस्तान या फिर सीरिया में रची गई, इसे समझने के लिए हमने जब पड़ताल शुरू की तो चौंकाने वाली रिपोर्ट हाथ लगी। चेक के जरिए बाहर से वहां लोगों को पैसा भेजा जाता था और फिर वारदात को अंजाम दिया जाता था, एक ऐसा ही चेक पुलिस को कुछ साल पहले मिला था। बदायूं के दबतोरा गांव के रहने वाले अतीक खां के नाम से एक रजिस्ट्री आई थी, जिसमें लिफाफा खोलने पर 9 चेक मिले, कुल मिलाकर इससे 50 लाख रुपये कैश करवाए जा सकते थे। उसके साथ ही एक कागज पर ये लिखा हुआ था कि अतीक खां मैं जो सामान भेज रहा हूं, इन चेकों की पेमेंट एक तारीख के बाद तुरंत कर लेना तथा इसका पैसा जल्द पार्टी तक पहुंचना है, जिससे अगले काम को अंजाम दिया जा सके। बाकी बात मिलने पर होगी।

बदायूं का ये गांव हवाला कारोबार का कभी गढ़ हुआ करता था और ये चेक योगी के मुख्यमंत्री बनने से दो साल पहले यानि साल 2015 में मिला था। तब इसे पढ़ते ही बड़े-बड़े अधिकारियों के होश उड़ गए थे, जांच करने पर पता चला था कि पश्चिम बंगाल के रहने वाले रितेश सिन्हा नाम के व्यक्ति के उस पर साइन हैं, अब दोनों का क्या नाता था ये तो नहीं पता चला पर पुलिस ने यहां निगरानी बढ़ा दी थी, तब ये भी पता चला था कि विदेशों से कइयों के तार जुड़े हैं। और अब 9 साल बाद इसी बदायूं जिले में एक अलग तरह की वारदात हुई है, जिसका मकसद पुलिस पता नहीं लगा पा रही है, तो कई लोगों का ध्यान उसी रजिस्ट्री की ओर जा रहा है कि क्या साजिद के नाम से भी कोई रजिस्ट्री आई थी, या फिर उसे पाकिस्तान या सीरिया से कोई मैसेज मिला था। क्योंकि उसने बड़ी प्लानिंग से पूरे काम को अंजाम दिया। करीब 8 दिन पहले पत्नी को मायके भेजा, ताकि उसे कोई परेशानी न हो, और पत्नी से फोन पर भी बातचीत नहीं की, फिर घटना वाली शाम अपने दोस्त जावेद को फोन कर घर से बुलाया और करतूत को अंजाम देने के बाद भागने लगा, पर पुलिस ने सीधा उसे ऊपर भेज दिया, अब यहां समझने वाली बात ये है कि आखिर उसे इससे क्या हासिल हुआ। पड़ोसी बताते हैं कि दोनों लड़के सीधे-सादे थे, मजदूर आदमी थे, सैलून चलाकर रोज कमाते-खाते थे। इनकी कोई दुश्मनी नहीं थी, हमलोग भी सैलून में जाते थे, कभी भी बातचीत से किसी तरह का कोई शक नहीं हुआ, अब तो सोचकर हमें भी ये लग रहा है कि हमारे साथ भी कुछ भी हो सकता था।

इस बयान को सुनने के बाद ट्विटर पर लोग ये भी पूछने लगे हैं कि आपका नाई कौन है, और आर्थिक बहिष्कार की बात करने लगे हैं, पर इन बातों पर ध्यान देने की बजाय गौर करने वाली बात ये है कि अगर साजिद सीधा था तो फिर उसे ऐसा किसने बनाया, और अगर उसने सीधा बनने का नाटक किया तो वो कितने वक्त से ऐसे लोगों को संपर्क में था, जो उसके दिमाग में ऐसी बातें भर रहे थे। स्थानीय लोग बताते हैं कि 20 साल पहले इसका परिवार यहां आकर बसा था और करीब 10 साल पहले सैलून खोला था, साजिद के चाचा का दावा है कि वो परिवार में किसी की नहीं सुनता था, बाबा कॉलोनी, नेकपुर और मीरा सराय की गलियों में कई ऐसे सैलून हैं, जिनकी अब जांच होनी चाहिए और बिना वेरीफिकेशन के किसी को भी सैलून चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसी घटना किसी के भी साथ हो सकती है। 

अभी पुलिस इस केस में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, चूंकि उसके पास से मोबाइल मिले जाने की पुष्टि भी नहीं हुई है, इसलिए मोबाइल से भी राज सामने आने की उम्मीद कम है, अब इकलौता जावेद ही इसकी पूरी कहानी पुलिस को बता सकता है, जिसका पकड़ा जाना इस केस के खुलासे के लिए बेहद जरूरी है। आखिर में सवाल ये है कि सूफी संतों की भूमि बदायूं को अशांत करने की प्लानिंग क्या लंबे वक्त से चल रही थी, कुछ साल पहले बिजनौर में भी हुए एक मामले के तार बदायूं से जुड़े थे, जिसके बाद कई तरह के सवाल उठे थे। पूरी कहानी सुनने के बाद आपको क्या लगता है, क्या ये कहानी उतनी ही सिंपल है, जितनी सुनाई जा रही है या फिर तार बाहर से जुड़े हैं, जिसका खुलासा होना चाहिए।