नई दिल्ली: बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) की याचिका पर सुनवाई के दौरान तीखा सवाल उठाया कि वह अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की मांग सिर्फ मजारों और दरगाहों के लिए क्यों कर रहा है. कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए NGO की मंशा पर सवाल उठाए.
सेव इंडिया फाउंडेशन नामक संगठन ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की जमीन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर लिया है. याचिका में बुद्ध विहार फेज 2 में एक मजार और रोहतक रोड, सीलमपुर, तथा बुराड़ी में तीन दरगाहों को अनधिकृत निर्माण के रूप में हटाने की मांग की गई थी.
मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने याचिकाकर्ता से पूछा, ''आप बार-बार केवल मजार और दरगाह जैसे ढांचों को ही क्यों निशाना बनाते हैं? क्या आपको कहीं और अतिक्रमण नहीं दिखता?'' NGO के वकील उमेश शर्मा ने जवाब दिया, ''ऐसे स्थानों पर मंदिरों जैसे अन्य निर्माण भी हैं, लेकिन मैं उनकी चर्चा नहीं कर रहा.''
चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की, ''आप इस कोर्ट के सामने बार-बार ऐसी याचिकाएं ला रहे हैं, जो सिर्फ मजारों को हटाने की बात करती हैं. हम यह नहीं कह रहे कि ये निर्माण वैध हैं, लेकिन आपका ध्यान सिर्फ इन्हीं पर क्यों केंद्रित है? अगर समाज की भलाई करनी है, तो इसके लिए और भी रास्ते हैं. केवल विशिष्ट ढांचों को हटाने की मांग से समाज का कोई भला नहीं होगा. हम आपके फाउंडेशन से अनुरोध करते हैं कि वे अपने प्रयासों को और सकारात्मक दिशा में ले जाएं.''
चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को निर्देश दिया कि वह ट्रस्ट के प्रतिनिधित्व पर जल्द निर्णय ले. इस याचिका को दायर करने वाला संगठन सेव इंडिया फाउंडेशन है, जिसके संस्थापक प्रीत सिंह हैं. गौरतलब है कि 2022 में दिल्ली पुलिस ने प्रीत सिंह और इस NGO के खिलाफ बुराड़ी में आयोजित ‘हिंदू महापंचायत’ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया था.