नई दिल्ली: धर्मग्रंथ बताते हैं, सतयुग में सामान्य इंसान की उम्र करीब 1 लाख वर्ष थी, त्रेतायुग में ये घटकर 10 हजार वर्ष हुई, फिर द्वापर में 1 हजार साल और कलियुग में आकर 100 साल हो गई, हालांकि जिन्होंने इसे देखा नहीं, वो इस पर यकीन नहीं करते, पर दुनिया के दो दिग्गज नेता शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या इंसान अमर हो सकता है. दोनों की बातचीत का एक वीडियो भी सामने आया है.
Bloomberg published a conversation between Xi and Putin that was caught on a microphone accidentally left on during the parade.https://t.co/znq755yQNK pic.twitter.com/D94y903xDx
— WarTranslated (@wartranslated) September 3, 2025
शी जिनपिंग: पहले लोग 70 साल से ज्यादा नहीं जी पाते थे. आज 70 की उम्र में भी मानो आप एक बच्चे की तरह ही हैं.
व्लादिमीर पुतिन: बायोटेक्नोलॉजी के साथ, अंगों को अनगिनत बार बदला जा सकता है, लोग अमर भी हो सकते हैं.
शी जिनपिंग: कुछ लोगों का अनुमान है कि इस सदी में लोग 150 साल तक जी सकते हैं.
जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुतिन ने अमृत का प्याला ढूंढ लिया और जिनपिंग 150 साल तक जीने की व्यवस्था बना रहे हैं. मौत पर तो किसी का कंट्रोल नहीं है, क्योंकि इंसान को अब तक यही पता नहीं चल पाया कि आत्मा होती कैसी है और शरीर से निकलती है तो फिर क्या नजर आता है, वैज्ञानिकों के तमाम प्रयोग फेल हो चुके हैं, फिर ये दावा किस आधार पर किया जा रहा है, इसे समझना होगा.
क्या है अमर होने की बायोटेक्नोलॉजी
इसके अलावा शरीर का पावर हाउस जिसे माइटोकॉन्ड्रिया कहा जाता है, उसे ठीक करने की थेरेपी भी आ चुकी है. एंटी एजिंग दवाएं भी बढ़ती उम्र को कम कर सकती हैं. पर इसके कई नुकसान भी हैं. बीते दिनों शेफाली जरीवाला की मौत हुई तो ये जानकारी भी आई कि वो एंटी एंजिंग दवा ले रहीं थीं, यानि विज्ञान अभी इतना आगे नहीं पहुंच पाया कि उम्र को रोककर मौत को मात दे दे. फिर भी चीन और रूस के दो दिग्गज अगर इस पर चर्चा कर रहे हैं तो इस बात की संभावना बेहद तेज हो जाती है कि आने वाले दिनों में कोई नई खोज हो सकती है.
पर सवाल ये उठता है कि भारत में जहां कई ऋषियों को अमरता का वरदान प्राप्त था, कई राजा भी अजर-अमर थे, वहां के शोधकर्ता अपने उन पुराने शास्त्रों को पढ़कर नई तकनीक पर काम क्यों नहीं कर रहे हैं. तपस्या, योग और साधना के दम पर किसी भी मुश्किल चुनौती को साधा जा सकता है, ऐसा शास्त्र सीखाते हैं, रामायण में संजीवनी बूटी का जिक्र मिलता है, तो वहीं पुराणों में समुद्र मंथन से अमृत निकलने की बात सामने आती है, यानि भारत में अमरता का इतिहास भले ही शास्त्रों में रहा हो, पर रहा जरूर है. हालांकि उस अमरता का मतलब सिर्फ शरीर के जीवित रहने से नहीं था. तो सवाल उठता है कि एक तरफ दुनिया खत्म होने की भविष्यवाणी कई भविष्यवक्ताओं ने की है तो दूसरी तरफ क्या इंसान खुद को अमर बना पाएगा, या सारे खोज नियति के आगे असफल साबित होंगे. क्योंकि फिलहाल उम्र 100 से घटकर 50-70 तक पहुंच गया है. 100 साल से ज्यादा जीने वालों की संख्या बेहद सीमित है.