Hathras Stampede: मैनपुरी में अखिलेश यादव का प्रभाव या फिर बात कुछ और? क्या बाबा को बचा रही है UP पुलिस?

Global Bharat 04 Jul 2024 01:10: PM 3 Mins
Hathras Stampede: मैनपुरी में अखिलेश यादव का प्रभाव या फिर बात कुछ और? क्या बाबा को बचा रही है UP पुलिस?

रात करीब 11 बजे बाबा के आश्रम मैनपुरी में SP सिटी राहुल मिठास जाते हैं. रात करीब 11 बजकर 40 मिनट पर मैनपुरी आश्रम में ही DSP सुनील कुमार अंदर जाते हैं. आधी रात को करीब 70 मिनट तक 20 से ज्यादा हथियारबंद पुलिसवाले, तीन सब इंस्पेक्टर, एक दारोगा, 1 IPS रैंक के अधिकारी, एक डीएसपी और SOG की टीम बाबा के आश्रम में जाती है. बाहर निकलते ही मीडिया पूछती है तो कहते हैं अंदर गए ही नहीं थे. जितने सवाल पूछे जाते हैं UP पुलिस के उतने जवाब बदल जाते हैं? क्या योगी का सिस्टम ही उनके साथ खेल कर रहा है?

क्या कोई है जो पाखंडी बाबा को बचाना चाहता है? घटना के कुछ घण्टे बाद योगी सरकार का दावा कुछ और था. घटना के कुछ घण्टे बाद योगी सरकार का दावा कैसे बदल गया? 123 ज़िंदगियों को निगलने वाले सूरजपाल ऊर्फ साकार हरि का राजनीतिक मददगार कौन है? कैमरे में कैद है वो सच्चाई. कैमरा अंदर झाकता है तो देखता है कि अंदर पुलिसकर्मी और अधिकारी मौजूद हैं. कोई पड़ताल चल रही है, लेकिन जब वो अधिकारी आश्रम के गेट के बाहर होते हैं, तो दावा करते हैं हम अंदर गए ही नहीं.

अभी कई सवालों से पर्दा हटाना है? इसलिए इस रिपोर्ट पर बने रहिए. सुनिए कैसे राते के अंधेरे में बाबा को लेकर UP पुलिस के बयान बदलते रहे हैं. बाबा का आश्रम एटा, आगरा, हाथरस हर जगह है, लेकिन UP पुलिस सिर्फ मैनपुरी में ही देर रात क्यों जाती है? क्या आश्रम के भीतर ही बाबा बैठा है? क्या पुलिस को बाबा की लोकेशन पता है? ये हैं मैनपुरी के SP राहुल मिठास, जिनके बारे में कई निजी वेबसाइट दावा करती हैं कि इनपर कानपुर में डायल 112 के एसपी रहने के दौरान उगाही का गंभीर आरोप लगा था.

मीडिया के कैमरे दावा करते हैं कि वो बाबा के आश्रम में देर रात अंदर गए, लेकिन बाहर निकलने पर फोन पर बात करने की एक्टिंग करते और सवालों से बचते रहे. तो ऐसा क्या हो सकता है जो पुलिस छिपा रही है. दावा किया जा रहा है कि मैनपुरी में बाबा के आश्रम में पुलिस अंदर गई और बाहर आने में करीब 70 से 75 मिनट का वक्त लेती है. डीएसपी मीडिया के सवाल पूछने पर गुस्सा हो जाते हैं? क्या सच्चाई छिपाई जा रही है?

क्या पुलिस ये सब इसलिए कर रही है कि कोई राजनीतिक दबाव है? जाटव समाज का कोई अपराधी होगा तो क्या बुलडोज़र नहीं चलेगा? ज़िंदगी की कीमत ज्यादा है या वोट की? अस्पताल में डॉक्टर नहीं. एंबुलेंस की भारी कमी, लेकिन CM जब पीड़ितों से मिलते हैं तो फलों की टोकरी रखी जाती है. गरीब मरता है तो सिस्टम ऐसे ही हंसता है, लेकिन क्या योगी को ये सब पता है? अगर नहीं पता है तो करना चाहिए? कुछ सवाल हैं जिसका जवाब क्या UP पुलिस देख पाएगी?

पहला सवाल: बाबा लेटर जारी करता है, वकील अधिकृत करता है, लेटर पर उसका साइन है, तो वो कहां है? क्या पुलिस को पता है?

दूसरा सवाल: क्या भोले बाबा को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है? क्या पुलिस किसी नेता के इशारे पर काम कर रही है?

तीसरा सवाल: जब DSP और SP मैनपुरी आश्रम में घुसे तो मीडिया के कैमरे पर आकर अलग बयान क्यों देने लगे?

चौथा सवाल: क्या पुलिस ने बाबा को आश्रम में ही गिरफ्तार कर लिया है? सही समय का इंतज़ार किया जा रहा है?

पांचवां सवाल: मैनपुरी में एक राजनीतिक घराने का प्रभाव रहता है तो क्या यूपी पुलिस पर भी किसी का प्रभाव है?

योगी आदित्यनाथ को वोट की नहीं ज़िंदगी की चिंता करनी चाहिए, होश गंवाने वालों को बताना चाहिए, जब-जब सरकार और उसके बुलडोज़र के इकबाल पर सवाल उठाए जाएंगे सरकार निष्पक्ष एक्शन लेगी. नहीं तो फिर जनता कहेगी, सियासत का अपना रंग है, कहां हरा, कहां भगवा करना है, आता है.

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