भरूच: लगातार तीन दिनों से मानव शरीर के अंगों की खोज ने भरूच पुलिस को उलझन में डाल दिया था, लेकिन अब मृतक सचिन चौहान के करीबी दोस्त शैलेंद्र चौहान की गिरफ्तारी के बाद मामला सुलझ गया है. आरोपी ने मृतक के शव को नौ टुकड़ों में काटा था. जांचकर्ताओं ने बताया कि मृतक के पास शैलेंद्र की पत्नी की निजी तस्वीरें और शैलेंद्र द्वारा उसके नाम पर लिए गए लोन की वजह से यह खौफनाक घटना हुई. पुलिस को गुमराह करने के लिए शैलेंद्र (32) ने महिला की पोशाक पहनी, नाइटगाउन पहना, दुपट्टे से अपना चेहरा ढका और कोहनी तक लंबे दस्ताने पहने.
उसने भरूच के भोलाव जीआईडीसी इलाके में अलग-अलग जगहों पर शवों के अंगों को ठिकाने लगाने में तीन रातें बिताईं. 29 मार्च को इस हत्याकांड का खुलासा तब हुआ जब एक आवारा कुत्ते ने एक मानव सिर को नाले से बाहर निकाला. अगले तीन दिनों में धड़ और हाथ समेत शरीर के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग जगहों पर पाए गए, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी.
अपराध की क्रूरता और जानबूझकर किए गए निपटान से पता चलता है कि यह एक सुनियोजित कृत्य था. अवशेषों के फोरेंसिक विश्लेषण से हाथ पर टैटू और दांतों के उपचार के साक्ष्य मिले, जिससे जांचकर्ताओं ने पीड़ित की पहचान सचिन चौहान के रूप में की. उसके परिवार ने पहले ही उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करा दी थी, और शक जल्दी ही उसके शैलेंद्र पर गया, जो भी गायब हो गया था. मानवीय और तकनीकी खुफिया जानकारी का उपयोग करते हुए, पुलिस ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश में शैलेंद्र की गतिविधियों का पता लगाया, और आखिरकार उसे बिजनौर में पकड़ लिया.
पूछताछ के दौरान, उसने इस जघन्य हत्या की बात कबूल कर ली. सचिन और शैलेंद्र कॉलेज के दिनों से ही करीबी दोस्त थे. उन्होंने बिजनौर से बीएससी की थी और एक-दूसरे के मोबाइल पासवर्ड और डेबिट कार्ड पिन भी जानते थे. भरूच के पुलिस उपाधीक्षक सीके पटेल ने बताया, "सचिन ने शैलेंद्र की पत्नी की निजी तस्वीरें अपने मोबाइल से ट्रांसफर कर ली थीं और कथित तौर पर उनसे पैसे ऐंठने के लिए उनका इस्तेमाल किया था. तनाव को और बढ़ाते हुए शैलेंद्र ने सचिन के नाम पर 4 लाख रुपये का लोन ले लिया था, जो तीखे संघर्ष का एक और कारण बन गया."
24 मार्च को शैलेंद्र ने सचिन को पार्टी के लिए घर बुलाया. सचिन के सो जाने के बाद शैलेंद्र ने अपने फोन से आपत्तिजनक तस्वीरें मिटाने की कोशिश की. जब सचिन जाग गया और उसने विरोध किया, तो बहस शुरू हो गई और अंत में शैलेंद्र ने रसोई के चाकू से उसका गला रेत दिया. अपराध के सभी निशान मिटाने की हताश कोशिश में उसने एक आरी, प्लास्टिक की थैलियां और एक महिला का पहनावा खरीदा. अगली तीन रातों में उसने शव को नौ टुकड़ों में काटा और गाउन पहनकर सचिन के स्कूटर का इस्तेमाल करके अलग-अलग जगहों पर शवों को ठिकाने लगा दिया.
पुलिस को गुमराह करने के लिए शैलेंद्र ने सचिन के फोन का इस्तेमाल करके उसके परिवार को संदेश भेजे और खुद को बेंगलुरु में होने का नाटक किया. उसने सचिन के बैंक खाते से पैसे निकाले और अपना एटीएम कार्ड ट्रेन में छोड़ दिया ताकि झूठी कहानी गढ़ी जा सके. हालांकि हत्या को आधिकारिक तौर पर ब्लैकमेल और वित्तीय विवादों से जोड़ा गया है, लेकिन जांचकर्ता यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या सचिन और शैलेंद्र की पत्नी के बीच किसी संबंध की भी इसमें भूमिका थी. इस बीच, पुलिस अभी भी सचिन के लापता पैरों की तलाश कर रही है.