48 साल की टीचर ने 13 साल के लड़के के साथ कई बार की गंदी हरकत, महिला पर पॉक्सो एक्ट में होगी कार्रवाई!

Amanat Ansari 19 Aug 2025 07:02: PM 1 Mins
48 साल की टीचर ने 13 साल के लड़के के साथ कई बार की गंदी हरकत, महिला पर पॉक्सो एक्ट में होगी कार्रवाई!

नई दिल्ली: कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला दिया है कि पॉक्स कानून (बच्चों को यौन अपराधों से बचाने का कानून, 2012) लड़के और लड़कियों, दोनों बच्चों पर समान रूप से लागू होता है, और इसमें पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी यौन शोषण के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. यह फैसला एक मामले में आया, जिसमें एक 48 साल की आर्ट टीचर पर अपने 13 साल के पड़ोसी बच्चे के साथ बार-बार यौन शोषण का आरोप था.

महिला ने अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की थी, लेकिन जज एम. नागप्रसन्ना ने इसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह कानून लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करता और अपराधी का लिंग मायने नहीं रखता, बल्कि अपराध और बच्चे का शामिल होना महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने कहा कि 2019 में पॉक्स कानून में किए गए बदलावों ने इसे लिंग-तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) बना दिया है.

कोर्ट ने यह भी बताया कि कानून में "व्यक्ति" शब्द का मतलब सिर्फ पुरुष नहीं है. 2007 के एक सरकारी अध्ययन का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यौन शोषण की शिकायत करने वाले 54.4% बच्चे लड़के थे और 45.6% लड़कियां, जो यह दर्शाता है कि यौन हिंसा किसी एक लिंग तक सीमित नहीं है.

महिला के वकील ने दलील दी थी कि भारतीय दंड संहिता (IPC) के रेप कानून की तरह पॉक्स कानून भी सिर्फ पुरुषों को अपराधी मानता है, क्योंकि इसमें अपराधी के लिए "वह" (he) शब्द का इस्तेमाल हुआ है. कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पॉक्स में "यौन शोषण" की परिभाषा रेप से अलग और व्यापक है.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून में "वह" शब्द का मतलब सिर्फ पुरुष नहीं है. इसमें किसी वस्तु, शरीर के अंग या मौखिक कृत्यों (ओरल ऐक्ट्स) से यौन शोषण शामिल है. कोर्ट ने यह भी खारिज किया कि महिलाएं यौन शोषण में सिर्फ निष्क्रिय (पैसिव) हो सकती हैं. जज ने कहा कि यह सोच पुरानी है और आज का कानून पीड़ितों की वास्तविकता को समझता है, न कि पुराने रूढ़ियों को.

महिला के वकील ने यह भी दलील दी कि लड़के की "क्षमता" (पोटेंसी) और FIR में देरी जैसे मुद्दे हैं. कोर्ट ने इसे भी खारिज करते हुए कहा कि मनोवैज्ञानिक आघात (ट्रॉमा) के बावजूद शारीरिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं, खासकर डर या दबाव के कारण. अब यह मामला ट्रायल कोर्ट में वापस जाएगा, जहां सबूतों की जांच होगी और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी.

Female teacher sexual abuse art teacher sexual abuse Karnataka sexual abuse Karnataka High Court

Recent News