24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में हैं केजरीवाल, फिर भी कैसे दे रहे जेल से आदेश, जानिए सीक्रेट!

Global Bharat 26 Mar 2024 6 Mins
24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में हैं केजरीवाल, फिर भी कैसे दे रहे जेल से आदेश, जानिए सीक्रेट!

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में रखा है, वो करवट भी बदलते हैं तो ईडी वाले चौकन्ने हो जाते हैं कि सरजी कहीं कोई दिमाग तो नहीं लगा रहे, पूछताछ में भी इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि वही सवाल पूछे जाएं जिसमें ये ज्यादा टाल-मटोल न कर पाएं, क्या खा रहे हैं, कब सो रहे हैं और कब जाग रहे हैं, ये सब ईडी के कैमरे में हर वक्त रिकॉर्ड हो रहा है, फिर सरजी फाइल मंगवाकर साइन कैसे कर दे रहे हैं और जेल से आदेश कैसे दे रहे हैं, ये हर कोई जानना चाहता है, सरजी को 21 मार्च की रात ईडी ने गिरफ्तार किया था, 22 मार्च की दोपहर कोर्ट में पेशी हुई और फिर 6 दिन की ईडी रिमांड में केजरीवाल को भेजा गया, लेकिन दो दिन बाद ही यानि 24 मार्च को केजरीवाल ने पहला आदेश जारी कर दिया, उसके बाद 26 मार्च को दूसरा आदेश दिया। जिसके बाद लोग ये पूछने लगे कि आखिर जेल गया कोई व्यक्ति सरकारी फाइल पर दस्तखत कैसे कर सकता है।

अब सवाल उठता है कि क्या ईडी के अधिकारियों ने इसकी अनुमति उन्हें दी है, तो इसका जवाब है नहीं। ईडी सूत्रों के हवाले से ये ख़बर सामने आई है कि जेल से जारी हुए दोनों आदेश की ईडी के अधिकारी जांच कर रहे हैं, कोर्ट के आदेश के मुताबिक रोजाना एक घंटे शाम में केजरीवाल अपनी पत्नी, निजी सचिव और वकील से मिल सकते हैं, क्या इसी मुलाकात के दौरान उनसे किसी कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए हैं, अगर हां तो फिर इसकी जांच में केजरीवाल का परिवार या उनके निजी सचिव भी फंस सकते हैं, क्योंकि ईडी ने सरकारी फाइलों पर साइन की मंजूरी ईडी को नहीं दी है, और नियम के मुताबिक देना भी चाहिए। क्योंकि किसी भी बड़े आरोपी को जब गिरफ्तार किया जाता है तो उसे जमानत का विरोध करते हुए जांच एजेंसियां कहती हैं कि अगर ये आदमी बाहर गया तो जांच प्रभावित हो सकती है, तो इसका एक मतलब ये भी है कि जेल से सरकार चलेगी और वहीं मंत्री-ऑफिसर सब पहुंचेंगे, वहीं से साइन होकर सारा आदेश निकलेगा तो इसका भी असर जांच पर पड़ सकता है। 

यही वजह है कि ईडी के अधिकारी इस बात के खिलाफ हैं कि जेल से सरकार नहीं चल सकती, हालांकि संविधान में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि कोई व्यक्ति जेल से सरकार नहीं चला सकता, पर अब तक जितने नेताओं को जेल हुई है, उन्होंने नैतिक तौर पर पहले इस्तीफा दिया है, फिर जेल गए हैं, लेकिन केजरीवाल ने नैतिकता नहीं निभाई, जिसका विरोध हर तरफ हो रहा है, कई लोग तो ये भी पूछ रहे हैं कि केजरीवाल तो खुद को आम आदमी कहते हैं और कोई आम आदमी अगर जेल जाता है तो साइन छोड़िए वो अपने घरवालों से मिलने को भी तरस जाता है, क्योंकि जेल का मतलब ही कालकोठरी होता है, वहां रखा ही किसी व्यक्ति को इसलिए जाता है, ताकि वो बाहरी दुनिया से दूर हो सके, पर केजरीवाल तो आम आदमी का चोला पहनकर जेल में भी वीवीआईपी बनने की कोशिश कर रहे हैं, आप इस पूरे मामले पर क्या सोचते हैं, क्या केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए या जेल से ही सरकार चलाना चाहिए,, कमेंट कर बता सकते हैं। आम आदमी पार्टी तो यहां तक दावा करती है कि उसने पहले ही जनता के बीच ये सर्वे करवा लिया था और ज्यादातर जनता ने ये कहा था कि सरजी को जेल से ही सरकार चलाना चाहिए, तो आप इस पर क्या कहेंगे कमेंट कर जरूर बताएं, क्योंकि सवाल सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी परंपरा टूटने का है।

24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में हैं केजरीवाल, फिर भी कैसे दे रहे जेल से आदेश, जानिए सीक्रेट!

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में रखा है, वो करवट भी बदलते हैं तो ईडी वाले चौकन्ने हो जाते हैं कि सरजी कहीं कोई दिमाग तो नहीं लगा रहे, पूछताछ में भी इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि वही सवाल पूछे जाएं जिसमें ये ज्यादा टाल-मटोल न कर पाएं, क्या खा रहे हैं, कब सो रहे हैं और कब जाग रहे हैं, ये सब ईडी के कैमरे में हर वक्त रिकॉर्ड हो रहा है, फिर सरजी फाइल मंगवाकर साइन कैसे कर दे रहे हैं और जेल से आदेश कैसे दे रहे हैं, ये हर कोई जानना चाहता है, सरजी को 21 मार्च की रात ईडी ने गिरफ्तार किया था, 22 मार्च की दोपहर कोर्ट में पेशी हुई और फिर 6 दिन की ईडी रिमांड में केजरीवाल को भेजा गया, लेकिन दो दिन बाद ही यानि 24 मार्च को केजरीवाल ने पहला आदेश जारी कर दिया, उसके बाद 26 मार्च को दूसरा आदेश दिया। जिसके बाद लोग ये पूछने लगे कि आखिर जेल गया कोई व्यक्ति सरकारी फाइल पर दस्तखत कैसे कर सकता है।

अब सवाल उठता है कि क्या ईडी के अधिकारियों ने इसकी अनुमति उन्हें दी है, तो इसका जवाब है नहीं। ईडी सूत्रों के हवाले से ये ख़बर सामने आई है कि जेल से जारी हुए दोनों आदेश की ईडी के अधिकारी जांच कर रहे हैं, कोर्ट के आदेश के मुताबिक रोजाना एक घंटे शाम में केजरीवाल अपनी पत्नी, निजी सचिव और वकील से मिल सकते हैं, क्या इसी मुलाकात के दौरान उनसे किसी कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए हैं, अगर हां तो फिर इसकी जांच में केजरीवाल का परिवार या उनके निजी सचिव भी फंस सकते हैं, क्योंकि ईडी ने सरकारी फाइलों पर साइन की मंजूरी ईडी को नहीं दी है, और नियम के मुताबिक देना भी चाहिए। क्योंकि किसी भी बड़े आरोपी को जब गिरफ्तार किया जाता है तो उसे जमानत का विरोध करते हुए जांच एजेंसियां कहती हैं कि अगर ये आदमी बाहर गया तो जांच प्रभावित हो सकती है, तो इसका एक मतलब ये भी है कि जेल से सरकार चलेगी और वहीं मंत्री-ऑफिसर सब पहुंचेंगे, वहीं से साइन होकर सारा आदेश निकलेगा तो इसका भी असर जांच पर पड़ सकता है। 

यही वजह है कि ईडी के अधिकारी इस बात के खिलाफ हैं कि जेल से सरकार नहीं चल सकती, हालांकि संविधान में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं मिलता कि कोई व्यक्ति जेल से सरकार नहीं चला सकता, पर अब तक जितने नेताओं को जेल हुई है, उन्होंने नैतिक तौर पर पहले इस्तीफा दिया है, फिर जेल गए हैं, लेकिन केजरीवाल ने नैतिकता नहीं निभाई, जिसका विरोध हर तरफ हो रहा है, कई लोग तो ये भी पूछ रहे हैं कि केजरीवाल तो खुद को आम आदमी कहते हैं और कोई आम आदमी अगर जेल जाता है तो साइन छोड़िए वो अपने घरवालों से मिलने को भी तरस जाता है, क्योंकि जेल का मतलब ही कालकोठरी होता है, वहां रखा ही किसी व्यक्ति को इसलिए जाता है, ताकि वो बाहरी दुनिया से दूर हो सके, पर केजरीवाल तो आम आदमी का चोला पहनकर जेल में भी वीवीआईपी बनने की कोशिश कर रहे हैं, आप इस पूरे मामले पर क्या सोचते हैं, क्या केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए या जेल से ही सरकार चलाना चाहिए,, कमेंट कर बता सकते हैं। आम आदमी पार्टी तो यहां तक दावा करती है कि उसने पहले ही जनता के बीच ये सर्वे करवा लिया था और ज्यादातर जनता ने ये कहा था कि सरजी को जेल से ही सरकार चलाना चाहिए, तो आप इस पर क्या कहेंगे कमेंट कर जरूर बताएं, क्योंकि सवाल सिर्फ दिल्ली का नहीं, बल्कि लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी परंपरा टूटने का है।