ऐसी भीड़ जीवन में नहीं देखी', महाकुंभ हादसे के बाद पीड़ितों ने बयां किया हाल

Deepa Bisht 30 Jan 2025 08:08: PM 2 Mins
ऐसी भीड़ जीवन में नहीं देखी', महाकुंभ हादसे के बाद पीड़ितों ने बयां किया हाल

महाकुंभ नगर: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में बुधवार को मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बीच कई लोगों की मौत हो गई, जिसमें देश के कई कोनों से आए लोग शामिल थे. इनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है. घटना के बाद लोग प्रशासन और अस्पताल की व्यवस्था से पस्त नजर आए. मेले में हुई भगदड़ के कारण एक मृतक का परिवार बॉडी लेने के लिए इंतजार कर रहा है, लेकिन उनको इसके लिए कोई जवाब नहीं मिल रहा है. इस बारे में आईएएनएस से बात करते हुए मृतक की बेटी ने कहा, "हम लोग पांच बहन और एक सबसे छोटा भाई हैं.

यहां पर मम्मी-पापा के साथ गांव से पांच-छह लोग आए थे. मम्मी ने बताया है कि पापा भगदड़ में गिर गए थे. फिलहाल उनकी बॉडी को अस्पताल में ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह नहीं मिली. हमारे पास एक-दो बीघा जमीन है और पापा लकड़ी का काम करते थे." मृतक की पत्नी रामकली ने बताया, "भीड़ और भगदड़ में मेरे पति गिर गए. अस्पताल में पति को मृत घोषित कर दिया गया. बार-बार गुहार के बावजूद उनकी बॉडी नहीं दी जा रही है." ऐसे ही रमेश भाई हैं जो कि गुजरात से आए हैं, इनके एक साथी की भी भगदड़ में गिरने से मौत हो गई.

रमेश ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "मृतक हमारा मित्र था. हम पांचों लोग घर जा रहे थे. पीछे से भीड़ आई और सबको कुचलकर चलती गई. बहुत ज्यादा भीड़ थी. हमारा साथी इसी में गिर गया. मदद भी बहुत देर बाद मिली." उन्होंने कहा कि पब्लिक की गलती ज्यादा थी, जिसमें प्रशासन कुछ नहीं कर सकता था. लेकिन हमारे पास प्रशासन की ओर से भी कोई नहीं आया है. मृतक के परिजन गुजरात में हैं. हमको सिर्फ बताया गया है कि डेड बॉडी जल्द मिल जाएगी. बिहार के मधुबनी से आए सुशील कुमार गुप्ता की सास भी इस हादसे का शिकार हो गईं. सुशील कुमार ने आईएएनएस को बताया, "वह हमारी सास थीं. उनकी उम्र 80 साल से ऊपर रही होगी. उनके साथ हमारी भाभी भी थीं.

भगदड़ में वह गिर गई थीं. उसके बाद कुछ नहीं पता चला है. हमने अस्पताल में भी देख लिया है. कोई सुझाव नहीं दे रहा है. इसलिए आगे क्या किया जाए इसके बारे में कोई कुछ नहीं कह रहा है." घटना के वक्त क्या हुआ, इस पर उन्होंने कहा कि सब कुछ एकदम अचानक हुआ. लोगों से थोड़ी चूक हुई है. बहुत ज्यादा संख्या में लोग थे. कोलकाता से आईं यमुनादेवी इस हादसे का जिक्र बताती हैं कि उन्होंने अपने जीवन में इतनी भीड़ नहीं देखी. वह नीचे गिर गईं और बेहोश हो गईं. चार घंटे ऐसे ही पड़े रहने के बाद उनको एंबुलेंस से ले जाया गया. उन्होंने कहा कि उस समय पुलिस को लोगों की मदद करनी चाहिए थी. हम लोग तीन बार गिरे, लेकिन पुलिस ने उठाने की कोशिश नहीं की और हमारा सामान भी चला गया. 

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